पहले गिर चुके हैं 5 कमरे, अब सिर्फ पेड़ सहारे खड़ी है इमारत
फाजिल्का, 14 सितंबर: पंजाब के संस्कृतिकए पुरातत्व और संग्राहालय विभाग की ओर से विरासती दर्जा प्राप्त फाजिल्का की सबसे पुरानी इमारत रघुवर भवन की तरफ पंजाब सरकार व जिला प्रशासन की तरफ से बिलकुल ध्यान नहीं देने के कारण मुख्य गेट गिर गया है। इसके अलावा नगर सुधार ट्रस्ट की तरफ से इमारत की सुरक्षा के लिए करीब डेढ़ वर्ष पहले बनाई गई दिवार का भी काफी हिस्सा गिर गया है। वहीं ट्रस्ट की तरफ से दिवार को लगाए गए गेट को बंद करने वाला हिस्सा भी टूट चुका है। हैरीटेज दर्जा प्राप्त इस इमारत की मौजूदा हालत यह है कि इमारत सिर्फ पिपल के पेड़ के सहारे ही खड़ी है और इसके चारों तरफ एक से दो फीट तक बारिश का पानी जमा हो चुका है। जिस कारण यह पूरी इमारत किसी भी समय मलबे के ढेर में बदल सकती है।
120 वर्ष पुरानी है इमारत
इस बारे में जानकारी देते हुए फाजिल्का के इतिहासकार लछमण दोस्त ने बताया कि इस इमारत को बने हुए 120 साल पूरे हो चुके हैं और मौहल्ला नईं आबादी इस्लामाबाद, धींगड़ा कालोनी, बस्ती चंदोरां व टीचर कालोनी के अलावा शहर के इतिहास को प्रेम करने वाले लोगों की तरफ से यहां एक माह से अधिक समय तक धरना प्रदर्शन किया गया, जिसके बाद पंजाब सरकार के संस्कृतिकए पुरातत्व और संग्राहालय विभाग ने इसे हैरीटेज का दर्जा दिया, जिसकी अंतिम प्रकाशना 2016 में की गई थी। मगर उसके बाद न तो विभाग ने इस तरफ कभी ध्यान दिया और न ही जिला प्रशासन ने। हैरानी की बात यह भी है हैरीटेज का दर्जा प्राप्त इस इमारत के निकट कहीं भी हैरीटेज प्राप्त इमारत का बोर्ड तक नहीं लगाया गया। उन्होंने बताया कि हैरीटेज का दर्जा मिले आज पांच साल बीत गए, लेकिन इस की कभी रिपेयर तक नहीं की गई। जिस कारण यह इमारत अब बिलकुल गिरने के कगार पर है।
मेन गेट पर थी सुंदर चित्रकारी
इतिहासकार लछमण दोस्त ने बताया कि जो मुख्य गेट गिरा है, उस पर काफी सुंदर चित्रकारी की हुई थी। गेट के ऊपर ओम रघुवर भवन लिखा हुआ था और उसके नीचे ठेक द्वार लिखा हुआ था। मगर सुंदर कलाकृति से सजाए पिल्लर बीती रात गिर गए। जबकि इस इमारत के पांच कमरे पहले ही गिर चुके हैं। उन्होंने बताया कि नगर सुधार ट्रस्ट की तरफ से करीब डेढ़ साल पहले इमारत की सुरक्षा के लिहाज से चारदिवारी बनाई गई थी, लेकिन उस दिवार में से अब करीब 15 फीट तक दिवार गिर गई है।
हैरीटेज का बोर्ड तक नहीं
लछमण दोस्त ने बताया कि कड़े संघर्ष के बाद रघुवर भवन, बंगला और गोल कोठी को हैरीटेज का दर्जा मिला था, लेकिन पंजाब सरकार व प्रशासन ने इन इमारतों की न तो संभाल की और न ही यहां हैरीटेज के बोर्ड लगाए गए। जिस कारण यहां आने वाले पर्यटकों व जिले के लोगों को इन ऐतिहासिक इमारतों के इतिहास के बारे में कुछ जानकारी नहीं है। उन्होंने पंजाब सरकार व जिला प्रशासन से मांग की है कि रघुवर भवन की संभाल की जाए तांकि यहां आने वाले पर्यटक फाजिल्का की इस शान को देख सकें। इसके अलावा आने वाली पीढ़ी को भी अपनी विरासत के बारे में जानकारी मिलती रहे।