punjabfly

Jul 19, 2018

A Painful Story 
........और गांव के जमींदार को लगा दी गई फांसी

         फाजिल्का के करीब चार किलोमीटर दूर है गांव गंजूआणा हस्ता यानि गंजू हस्ता। जहां हर समुदाय के लोग बड़े प्यार से रहते हैं, लेकिन अधिकांश आबादी कंबोज व राय सिक्ख बिरादरी से सबंधित हैं। भारत विभाजन से पहले यहां बोदला जाति के समुदाय का बोलबाला था। वे  जमींदार थे। इनमें एक जमींदार की दास्तान बड़ी अनोखी है। उस जमींदार में खासियत थी कि वह अवैध प्रेम से नफरत करता था। वह जमींदार था गुलाम नबी बोदला। जो घोड़े रखने का काफी शौकीन था, मगर शराब से उसे नफरत थी। सुबह घोड़े पर चढक़र घूमना और दिनभर खेत में गुजार देना उनकी दिनचर्या में शामिल था। गांव मेें उनकी एक बड़ी सुंदर हवेली थी जिसकी धूम आसपास के गांवों के अलावा अन्य शहरों में भी थी। एक बेटी तथा एक बेटे का पिता गुलाम नबी का सारा दिन हवेली के बाहर गुजरता था। हां, सुबह एक घंटा वह हवेली में जरूर रहता और लोगों की मुश्किलें सुनकर उनका समाधान करता। रोजाना कई लोग उसके पास फरियाद लेकर आते। जिनका निपटारा वह मौके पर ही कर देता। इस कारण उसकी चर्चा दूर-दूर के गांवों तक फैली हुई थी। लोग उसे सम्मान सहित अदब करते थे।

       एक रात जब गुलाम नबी हवेली में देर से लौटे तो उसके नौकर ने घोड़ा पकड़ा और तबेले में बांध दिया, लेकिन नौकर के चेहरे पर रोजाना की तरह मुस्कराहट नहीं थी। उसकी नजरें देखकर गुलाम नबी समझ गया कि कोई न कोई बात जरूर है। पूछने पर भी नौकर ने नहीं बताया। न बेटी के चेहरे पर मुस्कराहट और न ही बेटे के चेहरे पर शरारत। पत्नी अलग कमरे में शांत बैठी थी। गुलाम नबी ने सबका चेहरा पढ़ा, लेकिन हकीकत नही पढ़ पाया। बच्चों की मां की आंखों में भरा धोखा गुलाम नबी नही समझ पाए। आखिर बेटे ने मुंह खोला और बोल दिया कि वह अब मां के साथ नही रहेगा। उसे मां से सख्त नफरत हो गई। मगर ज्यादा बताने से साफ मना कर गया। समय बीतता गया। बेटा युवा अवस्था में पहुंच चुका था। रोजाना मां से नफरत भरी आंखों के चलते गुलाम नबी ने अपने बेटे और बेटी को अलग जगह दे दी, लेकिन वह अपने बेटे की जुबान का ताला नही खोल पाया। गांव में तरह-तरह के किस्से फैल चुके थे। एक दिन इस किस्से की हवा गुलाम नबी के कानों तक आ पहुंची, लेकिन उसे पत्नी पर पूरा भरोसा था। उसने पत्नी से पूछा, लेकिन पत्नी बताने वाली नहीं थी। जो लोग उसे अदब से सलाम करते थे, वह उससे दूर रहने लगे। लोग भी फरियाद लेकर आना बंद कर गए। जमींदार को अपमान महसूस होने लगा। मगर वह हकीकत को जाने कैसे ? इस गम को भूलाने के लिए उसने शराब का सहारा लिया। बात दूर-दूर तक पहुंच चुकी थी। गांव के नंबरदार विजय हांडा बताते हैं कि जमींदार शराब का आदि बन गया। जमींदार रोजाना घोड़े पर सवार होकर फाजिल्का आता और पीपल वाला चौंक के ठेके से शराब पीने लग जाता। एक रात हवेली में एक अजनबी को देखकर उसका शक यकीन में बदल गया। आंखों में गुस्से की लाली और चेहरे पर हकीकत को पत्नी तुरंत पहचान गई। मन में चोर था। इसलिए पत्नी ने जुबान नहीं खोली। अजनबी तो भाग गया, लेकिन शक से फैली नफरत की आंधी के कारण गुलाम नबी अपने गुस्से पर काबू नही पा सका। उसकी आँखों में खून उतर आया। गुलाम नबी हवेली के अंदर गया और तेजधार हथियार उठाकर पत्नी की तरफ दौड़ा। पलक झपकते ही उसने अन्य व्यक्ति से अवैध संबन्ध बनाने वाली पत्नी पर हथियार से वार करके हत्या कर दी। हत्या के बाद वह बेखौफ खड़ा रहा। थोड़ी देर सोचने के बाद उसने लाश को उठाया और तबेले में जाकर घोड़े पर रख दी। नौकर हादसा देखकर भाग गया। जमींदार घोड़े पर बैठा और लाश सहित चल पड़ा। घोड़ा आराम से चल रहा था। घोड़े पर रखी लाश से निकलती खून की बूंदें हॉर्स शू लेक तक गिरती गई, लेकिन जमींदार पर इसका कोई असर नहीं था। उसकी तो एक मात्र सोच थी कि जो अवैध सम्बन्ध बनाता है। उसे स्वर्ग में कभी जगह नही मिलती। भगवान उसे कभी माफ नही करता तो फिर इंसान होकर उसे माफ कैसे कर सकता है ? जो लोग उसे झुककर सलाम करते थे, वह लोग उसकी पत्नी के इश्क की चर्चा का मजा ले रहे थे। वह गुलाम नबी की सहनशक्ति से बाहर था। यही कारण था कि उसने पत्नी की हत्या कर दी। जिसका उसे जरा भी अफसोस नही था।
सूर्य उदय हो चुका था। किसी तरह ब्रिटिश पुलिस को हत्या की खबर मिल गई। पुलिस हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए गांव में पहुंच गई। जहां से उन्हें हत्या का सुराग मिला और उन्होंने जमींदार गुलाम नबी को गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे धकेल दिया। इसके बावजूद जमींदार के माथे पर कभी अफसोस नही आया। जेल में ही उसे फांसी की सजा की सूचना मिली। समय की घड़ी चलती गई। फांसी की तैयारियां शुरू हो गई। चेहरे पर काला कपड़ा लपेटकर गुलाम नबी को फांसी के रस्से के नजदीक लाया गया और उसकी अंतिम इच्छा पूछी गई, तब भी उसकी जुबान से एक शब्द निकला। वह शब्द था - अवैध संबंध बनाना पाप है। अल्हा उसे कभी पनाह नहीं देता जो स्त्री पति के होते हुए अन्य व्यक्ति से संबंध बनाती है। रस्सी को उसके गले में डाल दिया गया। पलक झपकते ही गुलाम नबी की लाश रस्सी से लटकती हुई नजर आई। बरसों तक गुलाम नबी के इस किस्से की कहानी माताएं अपनी बेटियों को सुनाती रही। इस कहानी के बाद कभी गांव में इश्क की चर्चा तक नही हुई। भारत विभाजन हुआ तो गुलाम नबी का बेटा-बेटी पाकिस्तान चले गए। पीछे से खाली रह गई एक बड़ी हवेली और गुलाम नबी की दर्द-भरी दास्तान। (Lachhman  Dost Fazilka)
........ and the landlord was hanged
         About 4 km away from Fazilka is the village Ganjuana Hasta urf Ganju Hasta. Where people of every community live with love, but most of the population is related to the Kamboj and Rai Sikh fraternity. Before the Partition of India, there was the domination of the Bodla caste community here. They were landlords. Among these, a landlady's story is very unique. There was a specialty in that landlady that he hated illegal love. He was the landlord Ghulam Nabi. Who was quite fond of keeping horse, but he was hated by alcohol. In the morning, walking around on horseback and passing in the field all day was involved in his daily routine. He had a huge beautiful mansion in the village whose Dhoom was also in other cities besides the surrounding villages. The father of a daughter and a son Ghulam Nabi passed all day outside the mansion. Yes, one hour in the morning he would stay in the mansion and he would solve them by listening to the problems of the people. Many people bring their complaints daily. He settled on the spot only. Because of this, his talk spread to far-flung villages. People used to respect him with respect.
       One night when Ghulam Nabi returned late in the mansion, his servant caught the horse and tied it in a stile, but there was no grin like the daily on the servant's face. Seeing his eyes, Ghulam Nabi understood that there is some thing to talk about. Even when asked, the servant did not tell. No grin on the face of the daughter nor mischief on the son's face. The wife was sitting in a different room. Ghulam Nabi read everything, but did not read the reality. In the eyes of the mother of the children, the deceitful slave did not understand the prophet. After all, the son opened his mouth and said that he will no longer be with the mother. He hated her mother. But it was clearly forbidden to tell more. Time passed by. The son had reached the young age. Because of the hateful eyes of the mother, Ghulam Nabi gave his son and daughter a separate place, but he could not open his son's tongue speech. Various types of stories were spread in the village. One day the wind of this story came to the ears of the prophet, but he had complete confidence in the wife. He asked the wife, but the wife was not about to tell. Those who greeted him with admiration, started living away from him. People also stopped coming for help. The landlord began to feel insulted. But how to know the reality? To get rid of this gum, he resorted to alcohol. The talk was far and wide. Namdhari Vijay Handa of the village explains that the landlord became the father of liquor. Landlord rides on a daily horse and comes to Fazilka and drinks with a peeping shock contractor. One night, seeing a stranger in the mansion turned his suspicion into doubt. The wife immediately recognized the rug of anger in the eyes and the reality on the face. There was a thief in mind. So the wife did not open the tongue. The stranger ran away, but due to the storm of hate spreading the doubt, the slave, Nabi could not control his anger. Blood was found in his eyes. Ghulam went inside the Nabi Haveli and raised sharp weapons and ran towards the wife. As soon as the blink started, he murdered the unlawful wife with a weapon and murdered another person. After the murder, she stood uneasy. After thinking for a while, he picked up the corpse and went to the stables and put it on a horse. The servant ran away after seeing the accident. The landlord sat on the horse and went along with the corpse. The horse was running comfortably. The drops of blood coming out from the body lying on the horse fell to the horse shoe lake, but there was no effect on the landlord. He was the only one who made an illegal connection. She never gets a place in heaven. God never forgives him, how can he forgive and forgive him? People who bowed to him bowing down, they were enjoying the discussion of his wife's love. He was out of the stamina of the slave prophet. This was the reason that he murdered his wife. He had no regrets.
The sun had risen. In some way the British police got the news of the murder. The police reached the village to solve the murder of the killings. From where he got a clue of murder and he arrested Jamindar Ghulam Nabi and pushed him behind the prison bars. Despite this, the landlord has never regretted the forehead. In prison he was reported to be hanged. The clock of time went on. The hanging preparations have begun. By wrapping black cloth on face, Ghulam Nabi was brought near the hanging rope and his last wish was asked, even then a word came out of his tongue. That was the word - making illegal relations is sin. Alha never gives her shelter, which makes her husband relate to another person while being a husband. The rope was thrown in his throat. As soon as the blinking moment, the plight of Ghulam Nabi was seen hanging from the rope. For many years, the story of this slave of the slave Nabi kept telling her daughters. After this story, there was no discussion of Ishq in the village. When India split, Ghulam Nabi's son-daughter went to Pakistan. A big mansion left behind and a painful story of Ghulam Nabi.


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