महाराजा गंगा सिंह ने निकाली गंग केनाल
बीकानेर रियासत को पानी देने वाली गंग केनाल फाजिल्का के क्षेत्र से होकर गुजरती है। इसे सतलुज वैली प्रोजेक्ट समझोते के तहत बीकानेर रिसायत को पानी देने के लिए बनाया गया है। बात 1899-1900 की है। जब बीकानरे रियासत में अकाल पड़ गया। तब बीकानेर रियासत के महाराजा गंगा सिंह ने केनाल के लिए ब्रिटिश साम्राज्य से अपील की। पंजाब के चीफ इंजीनियर आर.जी. कनेडी ने 1906 में सतलुज वैली प्रोजेक्ट की रूपरेखा तैयार की तो महाराजा गंगा सिंह को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया। तब महाराजा गंगा सिंह लार्ड कर्जन के पास शिमला पहुंचे। क्योंकि बहावलपुर रियासत की ओर से इसकी खिलाफत की जा रही थी। इसलिए केनाल निकालना आसान नहीं था। बहावलपुर रियासत का तर्क था कि रिपोरियन नियमानुसार बीकानेर रियासत का इस पानी पर कोई हक नहीं है। मगर पंजाब के गवर्नर सर डैंजिल इबटसन को महाराजा से हमदर्दी थी और 1912 में योजना बनाकर तैयार कर ली गई। मगर पहले विश्व युद्ध के कारण यह कार्य अधर में लटक गया। इसके बाद 4 सितंबर 1920 को पंजाब, बहावलपुर और बीकानेर रियासत में सतलुज घाटी प्रोजेक्ट समझौता हुआ।
महाराजा गंगा सिंह ने केनाल की जिम्मेदार रैवन्यू कमिश्नर जी.डी. रूडकिन को सौंप दी। केनाल पर करीब तीन करोड़ रूपये खर्च आने का अंदाजा था। महाराजा द्वारा 5 दिसंबर 1925 को हुसैनीवाला में गंग नहर का नींव पत्थर पंजाब के गवर्नर सर मैलकम हैले, चीफ जस्टिस ऑफ पंजाब सर सादी लाल, सतलुज वैली प्रोजेक्ट के चीफ इंजीनियर ई.आर. फाए की मौजूदगी में रखा गया। इस केनाल का नाम महाराजा गंगा सिंह के नाम पर गंग केनाल रखा गया। हुसैनीवाला से शिवपुर तक इसकी लंबाई 129 किलोमीटर है। उस समय यह नहर दुनियां की सबसे लंबी नहर थी। महाराजा ने पंजाब क्षेत्र में नहर और रेस्ट हाउस बनाने के लिए सारी भूमि पंजाब सरकार से खरीद की थी। पांच वर्ष में चूने से तैयार की गई यह केनाल अब सीमेंट बजरी और ईंटों से बनी अन्य नहरों से मजबूत है। 26 अक्तूबर 1927 को शिवपुर हैड से केनाल का पानी छोडक़र महाराजा द्वारा इसका उद्घाटन किया गया। इस मौके पर वायसराये ऑफइंडिया लार्ड इरविन के अलावा कई राज्यों के राजा-महाराजा और नवाब भी मौजूद थे।
बीकानेर रियासत को पानी देने वाली गंग केनाल फाजिल्का के क्षेत्र से होकर गुजरती है। इसे सतलुज वैली प्रोजेक्ट समझोते के तहत बीकानेर रिसायत को पानी देने के लिए बनाया गया है। बात 1899-1900 की है। जब बीकानरे रियासत में अकाल पड़ गया। तब बीकानेर रियासत के महाराजा गंगा सिंह ने केनाल के लिए ब्रिटिश साम्राज्य से अपील की। पंजाब के चीफ इंजीनियर आर.जी. कनेडी ने 1906 में सतलुज वैली प्रोजेक्ट की रूपरेखा तैयार की तो महाराजा गंगा सिंह को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया। तब महाराजा गंगा सिंह लार्ड कर्जन के पास शिमला पहुंचे। क्योंकि बहावलपुर रियासत की ओर से इसकी खिलाफत की जा रही थी। इसलिए केनाल निकालना आसान नहीं था। बहावलपुर रियासत का तर्क था कि रिपोरियन नियमानुसार बीकानेर रियासत का इस पानी पर कोई हक नहीं है। मगर पंजाब के गवर्नर सर डैंजिल इबटसन को महाराजा से हमदर्दी थी और 1912 में योजना बनाकर तैयार कर ली गई। मगर पहले विश्व युद्ध के कारण यह कार्य अधर में लटक गया। इसके बाद 4 सितंबर 1920 को पंजाब, बहावलपुर और बीकानेर रियासत में सतलुज घाटी प्रोजेक्ट समझौता हुआ।
महाराजा गंगा सिंह ने केनाल की जिम्मेदार रैवन्यू कमिश्नर जी.डी. रूडकिन को सौंप दी। केनाल पर करीब तीन करोड़ रूपये खर्च आने का अंदाजा था। महाराजा द्वारा 5 दिसंबर 1925 को हुसैनीवाला में गंग नहर का नींव पत्थर पंजाब के गवर्नर सर मैलकम हैले, चीफ जस्टिस ऑफ पंजाब सर सादी लाल, सतलुज वैली प्रोजेक्ट के चीफ इंजीनियर ई.आर. फाए की मौजूदगी में रखा गया। इस केनाल का नाम महाराजा गंगा सिंह के नाम पर गंग केनाल रखा गया। हुसैनीवाला से शिवपुर तक इसकी लंबाई 129 किलोमीटर है। उस समय यह नहर दुनियां की सबसे लंबी नहर थी। महाराजा ने पंजाब क्षेत्र में नहर और रेस्ट हाउस बनाने के लिए सारी भूमि पंजाब सरकार से खरीद की थी। पांच वर्ष में चूने से तैयार की गई यह केनाल अब सीमेंट बजरी और ईंटों से बनी अन्य नहरों से मजबूत है। 26 अक्तूबर 1927 को शिवपुर हैड से केनाल का पानी छोडक़र महाराजा द्वारा इसका उद्घाटन किया गया। इस मौके पर वायसराये ऑफइंडिया लार्ड इरविन के अलावा कई राज्यों के राजा-महाराजा और नवाब भी मौजूद थे।
Gang Canal - Fazilka |
Maharaja Ganga Singh took out the Gang Canal
Bikaner passes through the area of Gang Kanal Fazilka, which gives the water to the principality. It is designed to give water to Bikaner Reasi under the Sutlej Valley Project Settlement. The talk is from 1899-1900. When there was a famine in the basin kingdom. Then Maharaja Ganga Singh of Bikaner principality appealed to the British Empire for canal. Chief Engineer of Punjab RG When Kanadei outlined the Sutlej Valley Project in 1906, then Maharaja Ganga Singh was called to keep his side. Then Maharaja Ganga Singh reached Shimla near Lord Curzon. Because it was being opposed by Bahawalpur principality. So it was not easy to remove canals. The Bahawalpur principality argued that according to the Reporian rule Bikaner principality has no right over this water. But Sir Darjeeling Ibbatson, Governor of Punjab, was sympathetic to the Maharaja and was prepared in 1912 by planning. But due to World War I this work was hanging in the balance. After this, on September 4, 1920, the Sutlej Valley Project agreement was settled in Punjab, Bahawalpur and Bikaner.
Maharaja Ganga Singh, responsible for the canal, is the revenue commissioner, G.D. Handed to Rudkin. The estimated cost of the canal was about three crore rupees. The foundation stone of the Gang Canal at Husainainiwala, on December 5, 1925, by Maharaja Sir Sir Malcolm Hailey, Chief Justice of Punjab Sir Sardar Lal, Chief Engineer of Sutlej Valley Project, ER; Kept in the presence of FAA. This canal was named after Gangkal in the name of Maharaja Ganga Singh. Its length is 129 kilometers from Hussainiwala to Shivpura. At that time the canal was the longest canal in the world. The Maharaja had bought all the land from Punjab Government to make canal and rest house in Punjab area. This canal, made from lime in five years, is now stronger than cement gravel and other canals made of bricks. It was inaugurated on 26 October 1927 by Shivaji Mahar, leaving the canal water from Shivpura Head. On this occasion besides the Viceroy of India Lord Irwin, King-King and Nawab of many states were also present.
very good for that news
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