Home »
» आज बरसी पर विशेष -- आई.सी.एस. की नौकरी नहीं चाहिए, देश भक्त हूं और देश के लिए ही काम करूंगा: लाला सुनाम राए
बापू गांधी जी के ‘सादा जीवन, उच्च विचार’ के सिद्धांत को अपनाए खादी को धारण करने वाले लाला सुनाम राए की बरसी है। ब्रिटिश साम्राज्य में आई.सी.एस. की नौकरी ठुकरा कर स्वतंत्रता संग्राम में कूदने वाले स्वतंत्रता सेनानी लाला सुनाम राय एम.ए. का जन्म 23 नवंबर 1896 को फाजिल्का में हुआ था। 1918 में मिशन कालेज लाहौर से अंग्रेजी में एम.ए.पास करने वाले लाला जी जिला फिरोजपुर के प्रथम एम.ए. थे। लाला जी ने अपने जीवन काल में स्वतंत्रता संग्राम में योगदान के एवज में कभी किसी प्रकार का लाभ लेने का कोई प्रयास अपने जीवन पर्यन्त नहीं किया। लाला जी इस नशवर संसार को छोड़ कर 25 दिसंबर 1959 को ब्रह्मïलीन हो गए।
फाजिल्का में पहली बार जलाई विदेशी वस्त्रों की होली
उन्होंने 1919 के असहयोग आंदोलन में सक्रियता से भाग लिया तथा प्रथम बार जेल यात्रा की। उसके पश्चात उन्होंने कांग्रेस द्वारा चलाए गए सभी आंदोलनों में बढ़ चढ़ कर भाग लिया। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेेने के कारण उन्हें निरंतर अढ़ाई वर्ष तक सेंट्रल जेल मुलतान (पाकिस्तान) में बंदी बन कर रहना पड़ा। जहां कठिन यातनाओं व निम्न स्तर के भोजन के कारण उन्हें दमे का रोग लग गया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ही लाला जी पंजाब केसरी लाला लाजपत राय, जलियावाला बाग कांडके नायक डॉ. सतपाल के निकट सहयोगी रहे। स्वतंत्रता संग्राम में लाला जी के नेतृत्व में फाजिल्का में प्रथम बार विदेशी वस्त्रों की एक बड़ी होली जलाई गई। इसके अलावा उन्होंने पत्रकारिता व शिक्षक के तौर पर काफी नाम कमाया।याद में स्थापितउनकी स्मृति में वर्ष 1960 में एक परिवार नियोजन केंद्र सिविल अस्पताल के सामने खोला गया था। कालांतर में इस केंद्र को लाला सुनाम राय एम.ए. मैमोरियल वैल्फेयर सेंटर के रूप में बदल कर सोशल वैल्फेयर सोसायटी फाजिल्का द्वारा संचालित किया जा रहा है। इस केंद्र में जरूरतमंदों के कल्याण हेतु व अन्य अनेकों गतिविधियां चलाई जा रही है। इसी के प्रांगण में इस वर्ष 14 अक्तूबर को लाला जी की प्रतिमा का अनावरण किया गया। (Lachhman Dost 99140-63937)
|
Lala Sunam Rai M.A. |
0 comments:
Post a Comment