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Jul 13, 2015

Fazilka-Lachhman Dost -सिर्फ 22 साल के थे बंगले के निर्माणकर्ता वंस एगन्यू


इतिहास
सिर्फ 22 साल के थे बंगले के निर्माणकर्ता वंस एगन्यू
बंगले में शुरू दूसरे सिख एंगलो युद्ध में खत्म हुई दास्तान
लछमण दोस्त
 हार्श शू लेक के मनमोहक नजारों के किनारे 1844 में एक बंगले का निर्माण करवाया गया था। जिसकी धूम दूर-दूर तक रही है। जिस कारण फाजिल्का का नाम पहले बंगला हुआ करता था। बुजुर्ग आज भी फाजिल्का को बंगला के नाम से जानते हैं। इस बंगले का निर्माण करवाया था ब्रिटिश अधिकारी पैट्रिक एलेगजेंडर वंस एगन्यू ने। तब उनकी आयु मात्र 22 साल की थी। उनकी दास्तान बंगले से शुरू होकर दूसरे सिख एंगलो युद्ध में खत्म हो गई।
तीन बातों में था इत्तेफाक
सियासी अफसरों के साथ शहरों को आबाद करना वंस एगन्यू का मनपसंद काम था। वह तीन बातों में इत्तेफाक रखते थे, पहली बात किसी चीज को आरंभ करने के लिए सही जगह क्या है? दूसरा किन लोगों को मिलना या सुनना चाहिए? उनके जहन में तीसरी बात यह थी कि सब से महत्वपूर्ण कार्य क्या है, जिसे प्राथमिकता के आधार पर किया जाए। इस सोच पर बंगला कस्बा बसाने में उन्होंने प्राथमिकता से काम किया।
वंस एगन्य की दास्तान
वन्स एगन्यू का जन्म 21 अप्रैल 1822 को नागपुर में पैट्रिक वन्स एगन्यू के घर कैथराइन फरेसर की कोख से हुआ। उनके पिता मद्रास आर्मी में लेफ्टीनेंट कर्नल थे। 1841 में बंगाल सिविल सर्विस में ज्वाइंन करने वाला युवा वंस एगन्यू 1844 में फाजिल्का में बंगले का निर्माणकर्ता बन गया। उन्होंने बहावलपुर के नवाब मोहम्मद बहावल खान (तीसरा) से जगह ली और हार्श शू लेक के किनारे बंगले का निर्माण करवाया। जहां हर सरकारी व गैर सरकारी काम होने लगे। दूरदराज से लोग यहां न्याय पाने के लिए आने लगे। सिरसा के अलावा मालवा, सतलुज राज्य की बैठकें तक यहां होने लगी। वंस एगन्यू को 13-12-1845 को फिरोजपुर का अतिरिक्त चार्ज दिया गया। जहां वह 23-02-1846 तक रहे।
मुलतान में खत्म हुआ जिंदगी का सफर
फिर उन्हें लाहौर भेज दिया गया। जब मुलतान के दीवान मूल राज ने पद से इस्तीफा दिया तो मजबूती के लिए ब्रिटिश साम्राज्य ने काहन सिंह को मुलतान का सूबेदार घोषित कर दिया। उनकी सहायता के लिए बंगला के निर्माणकर्ता वंस एगन्यू और विलियम एंडरसन को साथ भेजा गया। मगर नया सूबेदार बनाने से मुलतानी सैनिक खुश नहीं थे। उन्होंने विद्रोह शुरू कर दिया। जब वंस एगन्यू और विलियम एंडरसन के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना विद्रोह दबाने के लिए मुलतान की ओर बढ़ी तो सिखों ने वंस एगन्यू और विलियम एंडरसन को बृज पार करते समय घोड़े से नीचे उतार लिया। दोनों को बुरी तरह से मारपीट करके जख्मी कर दिया गया। जख्मी वंस एगन्यू व विलियम ऐंडरसन को ब्रिटिश सैनिक पनाह यानि ईदगाह में ले गए। 20 अप्रैल 1848 की शाम सिखों का एक झुंड वंस एगन्यू और विलियम एंडरसन की पनाहगाह में घुस गया और दोनों को मार दिया।



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