punjabfly

Jul 13, 2015

फाजिल्का में मेहंदी हसन ने गाई थी पहली गज़ल
-लछमण दोस्त-
 पाकिस्तान में मशहूर रहे गज़ल गायक और प्ले बैक सिंगर मेहंदी हसन का जन्म राजस्थान में हुआ और भारत विभाजन के बाद वह परिवार सहित पाकिस्तान चले गए। तब वह 20 वर्ष के थे।  फाजिल्का के साथ उनकी एक अहम याद जुड़ी है। जिस कारण यहां के गायक आज भी उन्हें याद करते हैं। मेहंदी हसन खान का जन्म 18 जुलाई 1927 को हुआ और भारत-पाक में किंग ऑफ गज़ल के नाम से प्रसिद्ध रहे। उनका निधन 13 जुलाई 2012 को कराची के एक अस्पताल में हुआ था।
यह जुड़ी है याद
मेहंदी हसन को बचपन में ही गाने का शौंक था। उनके पिता उस्ताद अजीम खान प्रसिद्ध गायक थे। बात 1935 की है, जब वह फाजिल्का के बंगले (मौजूदा डीसी हाऊस) में अपने पिता के साथ एक प्रोग्राम करने के लिए आए थे। यह उनकी पहली प्रोफॉमेंस थी। इस दौरान मेहंदी हसन ने ध्रूप्द एवं ख्याल ताल में गज़ल गाई थी। इसका खुलासा संगीत पर पुस्तकें लिख चुके व फाजिल्का के गज़ल गायक डॉ. विजय प्रवीण ने किया है।
इसलिए आए थे फाजिल्का
मेहंदी हसन के पिता राज गायक बनना चाहते थे। उन्होंने इस बारे में जिला सिरसा के डीसी जे.एच. ओलिवर से इस बारे में निवेदन किया था। ओलिवर उनकी प्रोफॉर्मेंस सुनना चाहते थे ताकि इस बारे फैसला लिया जा सके। इस कारण मेहंदी हसन व उनके पिता फाजिल्का आए थे। जहां उन्होंने अपना प्रोफॉर्मेंस दिया। मगर ओलिवर ने उन्हें राज गायक का खिताब नहीं दिया।
25 हजार गाई गजलें
डॉ. विजय प्रवीण ने बताया कि मेहंदी हसन ने 25 हजार से अधिक गज़लें गाई हैं। उन्होंने दो दो राग मिलाकर गज़लों को नया रूप देकर गाया था। इनमें चिराग तूर जलाओ बड़ा अंधेरा है भी एक है।
Lachhman Dost- Fazilka

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