बंदूकों के साए में भारत पाकिस्तान के हजारों बाशिंदों ने किया मजार पर सजदा
अंतर्राष्ट्रीय सरहद की जीरो लाईन पर है पीर बाबा शाह मुहम्मद अली की मजार
फाजिल्का 19 जून: भारत पाक के बीच सरहदों की दूरियां आज सिमटती हुई नजर आई। मौका था भारत-पाक सरहद की अंतिम छोर पर बसे फाजिल्का के गांव गुलाबा भैणी में, जहां पीर बाबा शाह मुहम्मद अली की मजार पर मेले का आयोजन किया जाता है। मजार पाकिस्तान की सरहद से महज 10 फीट की दूरी पर है। मेले में भारत-पाक के हजारों श्रद्धालुओं ने सजदा किया। खास बात यह भी है कि मजार तारबंदी के दूसरी ओर है। यहां गेट नंबर 244 है। जहां पहले हर श्रद्धालु को तलाशी देकर मजार पर जाना पड़ता था और यह गेट सिर्फ मेले के दिन ही खोला जाता था। मगर दो साल पहले सीमा सुरक्षा बल की ओर से यह गेट हमेशा के लिए खोल दिया गया था। आज भी मेले में बंदूकों के साए में श्रद्धालुओं ने मजार पर माथा टेका और मन्नतें मांगी। ग्रामीण बलराम सिंह, राज सिंह, मांगा सिंह, लछमण सिंह, दलीप सिंह, बूड़ सिंह, गुरजीत सिंह आदि ने बताया कि बॉर्डर के निकट गांव वल्ले शाह उत्ताड़ था। सतलुज दरिया के निकट होने के कारण बाढ़ से गांव हर बार डूब जाता था। मगर बाढ़ का पानी इस मजार को नहीं डूबो सका। वहां से उठकर ग्रामीणों ने मजार के निकट एक गांव बसाया, जिसे गुलाबा भैणी का नाम दिया गया। यहां पहले से मौजूद पीर बाबा शाह मुहम्मद अली की मजार पर हर साल मेला लगता है। मेले में पहले भारत-पाक के जवानों के बीच कुश्ती और कबड्डी और अन्य कई तरह के मुकाबले होते थे और दूर दराज के क्षेत्रों से जवान इनमें हिस्सा लेते थे। 90 के दशक में जब सरहद के निकट तारबंदी की गई तो मजार तारबंदी के बीच आ गई। सुरक्षा जरूरी है, लेकिन लोगों की आस्था को देखते हुए हर साल मेले के मौके पर बी.एस.एफ. की की तरफ से तारबंदी पर स्थापित गेट नंबर 244 को खोल दिया जाता था। इसी तरह पाकिस्तान की तरफ से भी जांच के बाद श्रद्धालु आते हैं। मगर इस बार भारतीय श्रद्धालुओं ने बेरोक-टोक माथा टेका। इसी वहज वजह से भारत पाक की सरहदें सिमट सी जाती हैं। इस बार पाक श्रद्धालु दूर से ही सजदा कर सके।
Photoes by Pardeep Kumar Fazilka
अंतर्राष्ट्रीय सरहद की जीरो लाईन पर है पीर बाबा शाह मुहम्मद अली की मजार
फाजिल्का 19 जून: भारत पाक के बीच सरहदों की दूरियां आज सिमटती हुई नजर आई। मौका था भारत-पाक सरहद की अंतिम छोर पर बसे फाजिल्का के गांव गुलाबा भैणी में, जहां पीर बाबा शाह मुहम्मद अली की मजार पर मेले का आयोजन किया जाता है। मजार पाकिस्तान की सरहद से महज 10 फीट की दूरी पर है। मेले में भारत-पाक के हजारों श्रद्धालुओं ने सजदा किया। खास बात यह भी है कि मजार तारबंदी के दूसरी ओर है। यहां गेट नंबर 244 है। जहां पहले हर श्रद्धालु को तलाशी देकर मजार पर जाना पड़ता था और यह गेट सिर्फ मेले के दिन ही खोला जाता था। मगर दो साल पहले सीमा सुरक्षा बल की ओर से यह गेट हमेशा के लिए खोल दिया गया था। आज भी मेले में बंदूकों के साए में श्रद्धालुओं ने मजार पर माथा टेका और मन्नतें मांगी। ग्रामीण बलराम सिंह, राज सिंह, मांगा सिंह, लछमण सिंह, दलीप सिंह, बूड़ सिंह, गुरजीत सिंह आदि ने बताया कि बॉर्डर के निकट गांव वल्ले शाह उत्ताड़ था। सतलुज दरिया के निकट होने के कारण बाढ़ से गांव हर बार डूब जाता था। मगर बाढ़ का पानी इस मजार को नहीं डूबो सका। वहां से उठकर ग्रामीणों ने मजार के निकट एक गांव बसाया, जिसे गुलाबा भैणी का नाम दिया गया। यहां पहले से मौजूद पीर बाबा शाह मुहम्मद अली की मजार पर हर साल मेला लगता है। मेले में पहले भारत-पाक के जवानों के बीच कुश्ती और कबड्डी और अन्य कई तरह के मुकाबले होते थे और दूर दराज के क्षेत्रों से जवान इनमें हिस्सा लेते थे। 90 के दशक में जब सरहद के निकट तारबंदी की गई तो मजार तारबंदी के बीच आ गई। सुरक्षा जरूरी है, लेकिन लोगों की आस्था को देखते हुए हर साल मेले के मौके पर बी.एस.एफ. की की तरफ से तारबंदी पर स्थापित गेट नंबर 244 को खोल दिया जाता था। इसी तरह पाकिस्तान की तरफ से भी जांच के बाद श्रद्धालु आते हैं। मगर इस बार भारतीय श्रद्धालुओं ने बेरोक-टोक माथा टेका। इसी वहज वजह से भारत पाक की सरहदें सिमट सी जाती हैं। इस बार पाक श्रद्धालु दूर से ही सजदा कर सके।
Photoes by Pardeep Kumar Fazilka
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