फाजिल्का में आठवें स्थान पर था अरोड़ा कबीला
जिला सिरसा में अरोड़ा कबीला का आठवां स्थान था और उनकी संख्या 5554 थी जो कि दो फीसदी थी। 407 सिक्ख और बाकी हिन्दू थे। हिंदू अरोड़ों को मोना कहा जाता था। अरोड़ा सिक्ख को सेव करने वाले सिक्ख थे, जो श्री गुरू नानक देव जी को मानते थे। शेव सिक्ख पंजाबी कबीला था। जो साधारण पंजाबी लहजे में पंजाबी बोलते थे। ऐसे लगता था कि यह देश के उत्तर और सतलुज के पश्चिम क्षेत्र की तरफ से आए थे। यह पंजाब के पश्चिम वाले भाग में ज्यादा थे। कई इलाको में कुल जनसंख्या का दस फीसदी थे। जन्म से बानियों की तरह व्यापारी थे। उनके जैसा ही अहम स्थान सोसायटी मे रखते थे। फाजिल्का तहसील में इन्होंने बानीयों की जगह ली और व्यापार का अच्छा हिस्सा अपने हाथ में ले लिया। 2/3 अरोड़ा गांवों में रहते थे। वह खुद को रोड़ा या अरोड़ा कहलाना ज्यादा पसंद करते थे। वह खुद को असली तौर पर राजपूत कहते थे। यह कौम से अलग होने का कारण बताते हैं कि जब परशुराम राजपूतों को मार रहा था तो परसुराम के पूछने पर कि तुम राजपूत हो तो बताया कि नहीं, वह अरोड़ा हैं। उस के बाद वह अरोड़ा कहलाने लगे। कौम दो भागों में बंटी हुई थी। उत्तरी अरोड़ा, जिन की महिलाएं हाथी दांत की लाल चूडिय़ां पहनती थी। दूसरे दक्षिण अरोड़ा, जिनकी महिलाएं हाथी दांत वाला सफेद चूड़ा पहनती हैं। जो उत्तरी अरोड़ा थे, वह आगे दो भागों में बंटे हुए थे। 12 गोत्र और 52 गोत्र और दक्षिण अरोड़ा दाहड़ा और दक्खना धैण। 12 गोत्र वाले अरोड़ा लडकियों की शादी 52 गोत्र वालो मे नहीं करते थे, लेकिन उनकी लड़कियां अपने घर ले आते थे। दक्खना धैण दाहडिय़ा के घर से लडक़ी ले लेते थे। मगर देते नहीं थे। सिंध और बहावलपुर के लोग यहां बसे थे। अरोड़ा पश्चिम पंजाब से आए थे जो अमीर वर्ग था। कुछ शिकारपुर से आए। सिंध मुलतान से कई फर्में आई और उन्होंने ब्रांचें खोली। इनकी यह खासियत भी थी कि शहर की हर गतिविधियों में भाग लेते थे। यहां के सभी लोग प्यार और एकता के साथ रहते थे। (LACHHMAN DOST- FAZILKA)
The eighth place in Fazilka was the Arora tribe
Arora tribe was the eighth place in district Sirsa and its number was 5554, which was two percent. 407 Sikhs and the rest were Hindus. Hindu Aurora was called Mona. Arora was a Sikh who saved, who believed in Shri Guru Nanak Dev ji. Shev Sikh was a Punjabi tribe. Who spoke Punjabi in simple Punjabi accent. It seemed that it came from the north side of the country and from the west region of Sutlej. It was more in the western part of Punjab. In many areas there were ten percent of the total population. There were traders like Banei from birth. Keeping the same importance as his in the society. In Fazilka tahsil, he took the place of the banian and took a good share of business. 2/3 Arora lived in the villages. He liked to call himself a baroda or aurora. He actually called himself Rajput. It explains the reason of separation from the community when Parshuram was killing Rajputs, then asked Parasuram if you are a Rajput, he did not say that he is Aurora. After that he started calling Arora. The party was divided into two parts. Northern Arora, whose women wear red elephants of elephant teeth. Second South Aroras, whose women wear white elephants with ivory. The northern Aroras were divided into two parts. 12 tribes and 52 tribes and South Arora Dahra and Dakhaan dain Arora girls of 12 tribes did not marry in 52 tribes, but their girls used to bring her home. The south used to take the girls from the house of Dahdya. But they were not giving up. The people of Sindh and Bahawalpur were settled here. Arora came from West Punjab, which was a rich class. Some come from Shikarpur Many firms came from Sindh Multan and they opened the branches Their specialty was that they used to participate in every activity of the city. All the people here lived with love and unity.
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