1867 को आस्तित्व में आई नगर कौंसिल फाजिल्का
नगर कौंसिल फाजिल्का की स्थापना ब्रिटिश साम्राज्य की ओर से पंजाब सरकार के नोटिफिकेशन नंबर 1034 के तहत 7 अगस्त 1867 को की गई। जिसका एक्ट 1873 को लागू किया गया। 10 दिसम्बर 1885 को फाजिल्का तहसील को सिरसा जिला से काटकर जिला फिरोजपुर से जोडा़ गया तो पंजाब सरकार ने अधिसूचना संख्या 486 के तहत पिछली अधिसूचना में संशोधित करके कौंसिल की सीमा निर्धारित कर दी। शहरी अधिसूचना नंबर 541 के तहत एक नवंबर 1905 को कौंसिल के नियमानुसार इसमें पुन: बदलाव किया गया। 03 जुलाई 1916 को अधिसूचना संख्या 415 के तहत अधिसूचना में संशोधन करके कौंसिल की सीमा पुन: निर्धारित की गई। 31 फरवरी 1938 को अधिसूचना में एक बार फिर संशोधन हुआ और सरकार के अधिसूचना नंबर 421-सी-38-6308 के तहत कौंसिल की सीमा निर्धारित की गई।
नगर कौंसिल की 1879-80 में 16190 रूपये, 1880-81 में 16972 रूपये, 1881-82 में 16404 रूपये, 1882-83 में आय 19696 रूपये थी, जिसमें 484 रूपये व्यय किए गए थे। 1882-83 के अंत में 27129 रूपये नगर कौंसिल के पास थे। इस दौरान कौंसिल ने शहर में चौड़ी सडक़े (अधिक लंबी नहीं) बनवाई और मवेशियों के लिए चराई मैदान बनवाया गया। इसके अलावा शहर कुछ रास्ते पेड़ों के साथ बनाए गए। पंजाब नगर कौंसिल एक्ट 111-1911 अंडर सेक्शन 188 (एच) कानून के तहत फाजिल्का में घोड़े की लीद व अन्य हानिकारक भोजन पर मवेशियों पंजाब की धारा 148 नगर संहिता के तहत जुर्माना किया जाता था। तब पशुओं के लिए लाइसेंस बनाए जाते थे। जो हर साल 31 मार्च को समाप्त करके नया लाइसेंस बनाया जाता। अगर कोई व्यक्ति नियमों की अवहेलना करता तो उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाता। अगर कोई व्यक्ति पशु को गलियों में छोड़ देता तो उसे नगर कौंसिल में बंद (जिसे फाटक कहते थे) कर दिया जाता।
नगर कौंसिल के सदस्यों की घोषणा पहली बार 12 अगस्त 1893 को की गई। जिसमें देवी दित्ता मल को अध्यक्ष बनाया गया, जबकि हजूर सिंह को उपाध्यक्ष और हीरा लाल हैडमास्टर, लाला चौथ मल साहिब, लाला आईदान साहिब और लाला मलूक चंद साहिब को पार्षद बनाया गया। इसके बाद ब्रिटिश सरकार की ओर से नगर कौंसिल के चुनाव करवाने के लिए 3 दिसंबर 1895 को ब्रिटिश अधिकारी बेटसन हग एस.पी. राय को फाजिल्का के लिए चुनाव एसोसिएट का सदस्य मनोनित किया गया। नगर कौंसिल में 1903 में सेठ मदन गोपाल सीनीयर उपप्रधान बने और 1909 में राय साहेब तिलोक चंद नगर कौंसिल का प्रधान बनाया गया। नगर कौंसिल में 1919 में सरकार के नियमानुसार किशोर चंद पेड़ीवाल को उपाध्यक्ष बनाया गया। ब्रिटिश नियम मुताबिक एस.डी.एम. राय साहेब तिलोक चंद अध्यक्ष का कार्य भी संभालते थे। वर्ष 1925 अध्यक्ष एसडीएम एल.एस.बल्ल थे और वोटरों की ओर से चयनित राय साहिब बूल चंद आहूजा को कौंसिल का उपाध्यक्ष बनाया गया। सेठ श्योपत राय पेड़ीवाल 1928 से 1931 और 1931 से 1939 तक नगर कौंसिल के अध्यक्ष रहे। उस समय मुहम्मद अब्दुल करीम और लाला करम चंद उपप्रधान थे। जबकि सेठ जस राज, मुहम्मद करमदीन, लाला मुकंद लाल और लाला राम चंद पार्षद थे। 1939 में चयनित अध्यक्ष राय साहिब मुकंद लाल भारत विभाजन तक विराजमान रहे।
भारत विभाजन के बाद फाजिल्का में 12 वार्ड बनाए गए। नगर कौंसिल चुनाव हुये तो अध्यक्ष पद के लिये सेठ मुंंशी राम गिल्होत्रा और सेठ लक्ष्मी नारायण पेडीवाल उम्मीदवार थे। पार्षदों की वोटिंग हुई तो दोनों उम्मीदवारो को 6-6 वोट मिले। फिर टॉस करके सेठ मुंशी राम गिल्होत्रा को अध्यक्ष बनाया गया। वर्ष 1952 अध्यक्ष लाजपत राय मल्होत्रा को अध्यक्ष चुना गया और 1955 में अमर सिंह कल्याण कौंसिल अध्यक्ष बने तो शहर में स्ट्रीट लाईट आई। जिसकी आपूर्ति पंजाब राज्य बिजली बोर्ड की निजी फर्म हरभगवान नंदा एंड कंपनी द्वारा की गई। शहर में प्रकाश व्यवस्था के लिए सडक़ क्षेत्र के भीतर नगर कौंसिल ने 340 ट्यूब और 455 बल्ब स्थापित किए गए। इसके अलावा प्रताप बाग में लाइब्रेरी स्थापित की गई। 1960 में अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण पेड़ीवाल को बनाया गया। फिर शहर में जल आपूर्ति की गई और जल सप्लाई 1965 में अध्यक्ष डॉ. हरबख्श लाल वधवा के नेतृत्व में शुरू हुई। दो ट्यूबवेलों के लिए कुओं के साथ एक जलाशय स्थापित किया गया और शहरवासियों को पीने का पानी उपल्ब्ध हुआ। उस समय ही सीवरेज व्यवस्था का भी प्रबंध किया गया। शहर की सफाई को सुचारू रूप से रखने के लिए 135 सफाई सेवक नियुक्त किये गए। इसके बाद वर्ष 1970 में अध्यक्ष अमरनाथ बांसल बने। वर्ष 1972 में कश्मीरी लाल कटारिया को अध्यक्ष बनाया गया। तब यहां दमकल विभाग को गाड़ी दी गई। वर्ष 1978 में अध्यक्ष किशोर चंद भठेजा, वर्ष 1985 में अध्यक्ष सेठ लक्ष्मी नारायण पेड़ीवाल, वर्ष 1992 में अध्यक्ष केवल कृष्ण कामरा को अध्यक्ष बनाया गया। जिन्होंने कब्जे वाली 450 एकड़ भूमि छुड़वाई। इसके बाद वर्ष 1998 में अध्यक्ष बजरंग लाल गुप्ता, वर्ष 2001 में अध्यक्ष महिन्द्र प्रताप धींगड़ा, वर्ष 2003 में अध्यक्ष हरी चंद कम्बोज और वर्ष 2008 में शहर के युवा पार्षद अनिल सेठी को अध्यक्ष बनाया गया। अब शहर विकास की बुलंदियों को छू रहा है। (Lachhman Dost Fazilka)
In 1867, the Municipal Council of Fazilka
Municipal Council Fazilka was set up on 7 August 1867 by the British Empire under the Notification No. 1034 of the Punjab Government. Whose act was enacted in 1873. On December 10, 1885, Fazilka tahsil was cut from Sirsa district and connected to the district Firozpur, the Punjab Government fixed the limits of the council by amending the previous notification under Notification Number 486. According to the Council rules on November 1, 1905, under Urban Notification No. 541, it was changed again. The council's limit was revised by amending the notification under notification no. 415 on 03 July 1916. On February 31, 1938, the notification was amended once again and the council's limit was fixed under the notification No. 421-C-38-6308 of the Government.
16190 in Town Council of 1879-80, Rs 16972 in 1880-81, Rs 16404 in 1881-82, Rs 18,868 in 1882-83, in which Rs 484 was spent. At the end of 1882-83, the town council had Rs 27129. During this time, the council constructed a wide road (not long enough) in the city and grazing ground for cattle. Apart from this, the city was made some way along the trees. Under the Punjab Town Council Act 111-1911 under section 188 (h) of law, fines were imposed under section 148 Municipal Code of cattle on horseback and other harmful food. Then the licenses were made for animals. Which will be completed every year on March 31, the new license was made. If a person disregards the rules, then his license can be canceled. If a person leaves the animal in the streets, he would be locked in the city council (which was called the gate).
The announcement of members of the town council was first made on 12 August 1893. In which Goddess Ditta Mal was made president, while Hazoor Singh was made vice-president and Hira Lal Headmaster, Lala Chauth Mal Sahib, Lala eyedan Sahib and Lala Maluk Chand Sahib as councilor. After this, on December 3, 1895, the British official, Bethen Hug, S.P., to conduct the election of the city council on behalf of the British Government. Rai was nominated a member of the election associate for Fazilka. In 1903, Seth Madan Gopal became the Senior Deputy Prime Minister and in 1909 Rai Saheb became head of Tilok Chand Nagar Council. According to the rules of government in the city council in 1919, Kishor Chand Pediwal was made vice-president. According to British rules, SDM Rai Saheb Tilok Chand also used to handle the President's work. The year 1925 President SDM LS Ball was elected and elected by the voters, Rai Sahib Baul Chand Ahuja was made the Vice-President of the Council. Seth Shayopat Rai Pediwal was the president of the city council from 1928 to 1931 and from 1931 to 1939. At that time, Muhammad Abdul Karim and Lala Karam Chand were Vice Presidents. While Seth Jas Raj, Muhammad Karamdin, Lala Mukand Lal and Lala Ram Chand Parshad were. In 1939, elected president Rai Sahib remained in the Mukand Lal Bharat division.
After partition of India, 12 wards were made in Phazilka. When the municipal council elections were held, Seth Munshi Ram Gilhotra and Seth Laxmi Narayan Pediwal were the candidates for the post of the President. When the councilors voted, the two candidates got 6-6 votes. Then tossed Seth Munshi Ram Gilhotra as president. In the year 1952 president Lajpat Rai Malhotra was elected president and in 1955 Amar Singh became the president of the Kalyan council and in the city street light came. Which was supplied by Harbhavwan Nanda & Company, a private firm of Punjab State Electricity Board. Within the road area for city lighting, 340 tubes and 455 bulbs were set up by the city council. In addition, the library was established in Pratap Bagh. In 1960, Chairman Laxmi Narayan Petiwal was created. Water was supplied in the city and water supply started in 1965 under the leadership of Dr. Harbakhsh Lal Wadhwa. A reservoir was established with two wells for wells and drinking water was available to the residents. At that time the sewerage system was also arranged. To maintain the cleanliness of the city, 135 sanitary workers were appointed. After this, in the year 1970, Chairman Amarnath Bansal became. Kashmiri Lal Kataria was made the President in the year 1972. Then the fire department was parked there. In year 1978, Chairman Kishore Chand Bhateja, in 1985, Chairman Seth Laxmi Narayan Padiwal, Chairman, in year 1992, Krishna Kamra was appointed as President. Who rescued the occupied 450 acres of land. After this, Bajrang Lal Gupta, Chairman, in year 1998, Chairman, Mahindra Pratap Dhingra, in 2001, Chairman Hari Chand Kambos in 2003 and the year's young councilor Anil Sethi was appointed as the Chairman. Now the city is touching the developmental forces.
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