अजीब है चाननवाला रेलवे स्टेशन बनाने की दास्तान
फाजिल्का से कराची तक रेल लाइन बिछा दी गई। 1898 में फाजिल्का का रेलवे स्टेशन बन गया। फाजिल्का से कराची तक जाने वाली रेलवे लाइन पर फाजिल्का के बाद चाननवाला रेलवे स्टेशन बनाया गया। जिसको बनाने की दास्तान बड़ी रोचक है। बस यूं समझ लें कि दो सम्पन्न परिवारों में अपने-अपने गांव में रेलवे स्टेशन बनवाने की होड़ थी।। वह परिवार थे चाननमल सावनसुक्खा और चौ. हजूर सिंह। दोनोंं को ही ऑनरेरी मजिस्ट्रेट की पावर प्राप्त थी। बात 1935 की है। जब गांव में अलग-अलग दो आनाज मंडिया बनवाई गई। जहां बहावलपुर तक का आनाज बिक्री के लिए मंडियों में आता था। बात थी रेलवे स्टेशन बनवाने की। दोनों परिवारों का कहना था कि उनकी मंडी के नजदीक और उनके नाम पर रेलवे स्टेशन बनाया जाए ताकि अन्य गांवों से आने वाले आनाज व अन्य सामग्री उनकी मंडी में पहुंचे। बात जिला फिरोजपुर के डीसी एम. आर. सचदेव तक पहुंची। उन्होंने मामले को सुना, समझा और फैसला सुनाया कि जो व्यक्ति अपनी मंडी सही व बढिय़ा ढंग से बनवाएगा। उसके गांव में रेलवे स्टेशन बनाने की मंजूरी दी जाएगी। देखो, देखी मंडी सुंदर बनाने का कार्य युद्ध स्तर पर शुरू हो गया। दिन-रात कार्य चला। मंडियों के चारों ओर सुंदर गेट बनाये गए। 13 फुट तक ऊंची चारदीवारी बना दी गई। रातो-रात गांव बस गए। दोनों मंडियों के आसपास रौंनके बढ़ गई। डी.सी. एम. आर. सचदेव ने मंडियों का दौरा रखा। मंडियों की एक-एक कलाकृति को चैक किया गया। आखिर डी.सी. ने फैैसला सुनाया कि जिला बोर्ड के सदस्य व सफेदपोश उपाधि से नवाजे जा चुके श्री चाननमल द्वारा बनाई गई मंडी बढिय़ा है और उनकी मंडी के निकट ही रेलवे स्टेशन बनाने की आज्ञा दे दी। देखते ही देखते चानणवाला मंडी प्रसिद्ध मंडी बन गई। जहां दूर-दूर से यहां अनाज पहुंचता। यहां से कच्चा माल अन्य शहरों में जाने लगा। यहां रेलवे का जंकशन बनाया गया। यहां से एक ट्रेन कराची तक चलती थी और दूसरी ट्रेन सुलेमानकी हैड तक चलती थी, जिसे के जरिए सामान भेजा जाता था। मंडी चाननवाला के मुख्य गेट व दीवार तो उखाड़ ली गई। उसके सबूत बाकी नहीं बचे, लेकिन मंडी हजूर सिंह की मंडी में बनाया गया गेट आज भी मौजूद है। उस गेट का नाम है सचदेव गेट। जो ऑनरेरी मजिस्ट्रेट व नगर कौंसिल फाजिल्का के उपाध्यक्ष स्व. हजूर सिंह की याद में श्री मोहरी राम चुघ व चौ. राज कुमार चुघ द्वारा बनवाया गया। इस गेट का उद्घाटन जिला फिरोजपुर के डिप्टी कमिश्नर श्री एम. आर. सचदेव ने 5 जून 1939 में किया गया। यहां उल्लेखनीय है कि डीसी एम. आर. सचदेव ने फाजिल्का के विकास में अहम योगदान दिया। इन्होंने ही एम. आर. कॉलेज का नींव पत्थर 4-7-1940 को रखा था।
The strange story of making Chananwala railway station
A rail line was stretched from Fazilka to Karachi. In 1898, Fazilka became the railway station. Chananwala railway station was built after Fazilka on the railway line from Phazilka to Karachi. The story of making which is interesting is very interesting. Just understand that there was a competition for building two railway stations in their respective villages in two prosperous families. The family was Channamal Savansukha and Chau. Hazoor Singh Both of them received the power of the Honorary Magistrate. The point is 1935. When two Anaj Mandis were built in the village. Where to buy grains up to Bahawalpur, Mandi was in the market. It was a matter of constructing a railway station. Both families said that a railway station should be built near their mandis and in their names so that grains and other items coming from other villages reached their mandis. Talk of DC M.R. Ferozepur Reached Sachdev. They heard the case, understood and ruled that the person who made his own mandi right and better. The railway station will be approved in its village. Look, the beautification of the Mandi Mandi started at the war level. Working day and night. Beautiful gates were made around the mandis. Made up to 13 feet high walled. Roto-night village settled. Rumors have increased around the two markets. DC. M.R. Sachdev visited Mandi's tour. Each artwork of mandis was checked. After all, D.C. The decision was made that the Mandi made by Mr. Channamal, who was elected from the district board and the white collar degree, is better and ordered to build a railway station near his mandi. On seeing the Chananwala mandi became a famous mandi. Where the grain reaches farther away. From here the raw materials started going to other cities. Railway junction was built here. A train ran from here to Karachi and another train ran to the helmanki head, which was sent through the goods. The main gate and wall of Mandi Chanwala were overthrown. There is no evidence remaining, but the Gate built in Mandi Hajoor Singh Mandi is still present today. The name of that gate is Sachdev Gate. The Honorary Magistrate and Vice-President of Municipal Council Fazilka In the memory of Hazoor Singh, Mr. Mohi Ram Chugh and Chau Made by Raj Kumar Chugh This gate was inaugurated by Mr. M.R., Deputy Commissioner, Firozpur District. Sachdev performed on June 5, 1939. It is noteworthy that DC M. R. Sachdev made significant contribution in the development of Fazilka. He did the M.R. The foundation stone of the college was placed on 4-7-1940.-LACHHMAN DOST FAZILKA-
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