झील का मनमोहक नजारा…कोयल की मीठी आवाज…झूमते मोर…फलों व फूलों की खुश्बू…मदमस्त हवा…यह सब बंगले के आसपास हो तो हर कोई चाहेगा कि इस बंगले में ही रहा जाए…ब्रिटिश कलाकृति से सजा-संवरा बंगला खुद ही इंसान को आकषित कर रहा था…उस बंगले का निर्माणकर्ता भी युवा था…पैट्रिक एलैगजैंडर वन्स एगन्यू…सिर्फ 22 साल का था…ब्रिटिश सरकार ने उसे बंगले (फाजिल्का) का चार्ज दिया हुआ था।
उसकी सोच ही ऐसी थी…कहां बसना है…किन लोगों से मिलना है…सियासी अफसर भी था वो…पंजाबी भी जानता था…भटियाना (अब सिरसा) में बतौर सहायक सुपरीटेडैंट था…डयूटी बंगले में थी…शहर बसाना…शहरों को आबाद करना उनका मनपसंद काम था…उसने बहावलपुर के नवाब मुहम्मद बहावल खान तृतीय से जगह ली और बाधा झील किनारे बंगले का निर्माण करवाया…न्याय पसंद अधिकारी था…बंगले में ही न्याय करता…बिलकुल सही न्याय…आजकल क तरह देर से नही…तुरंत फैसला…दूर दराज तक का क्षेत्र था…इसलिए दूर दूर तक बंगले की धूम थी…बंगला नाम प्रसिद्ध हो गया…कस्बा बन गया…हरेक व्यक्ति की जुबान पर बंगला…तकरीबन एक साल में ही युवा वंस एगन्यू का बंगला हरेक का प्यारा बन गया।
सिरसा से लेकर मुलतान के बीच बंगला सैंटर प्लेस था…जो भी ब्रिटिश अधिकारी इस रास्ते से गुजरता…वो इस बंगले में जरूर पहुंचता… सिरसा के अलावा मालवा, सतलुज राज्य की बैठकें यहां होने लगी…इस बंगले में तैनात वंस एगन्यू को 13 दिसम्बर 1845 को फिरोजपुर का चार्ज भी दे दिया गया…इसके बाद 23 फरवरी 1846 को उनका तबादला लाहौर कर दिया गया…उनके स्थान पर बंगले में J.H.Oliver की तैनाती की गई…उन्होंने बंगले को और निखारा…बंगले के साथ गार्डन बनाया…जिसका नाम ओलिवर गार्डन रखा गया।
यह वही बंगला है…जहां पाकिस्तान में सुप्रसिद्ध रहे गजल गायक मेहंदी हसन जब सिर्फ आठ साल के थे…उस समय वह अपने परिवार के साथ राजस्थान में रहते थे…वह यहां अपने पिता अजीम खान के साथ आए थे…बात 1935 की है…उसके पंजाब के राज गायक के लिए मुकाबला था…उस मुकाबले में हिस्सा लेने के लिए अजीम खान भी आए थे…मेहंदी हसन साथा थे…ध्रुप्द एवं ख्याल ताल में जब मेहंदी हसन ने पहली प्रोफार्मेंस दी तो तालियों की गंूज ने बता दिया था कि मेहंदी हसन किसी समय में दुनिया का प्रसिद्ध गजल गायक बनेगा…वही हुआ। Lachhman Dost (Whatsup no) 99140-63937
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