विशाल भारत की सबसे लंबी व चौड़ी सडक़ों में शुमार रही एक सडक़ फाजिल्का तक पहुंचती थी। यह सडक़ नरेला से शुरू होकर वाया सिरसा से होते हुए फाजिल्का के निकट सतलुज दरिया तक पहुंचती थी।
बरसों पुरानी इस सडक़ का एक मील पत्थर गांव मौजम के एक घर में मिला है। इसका पता फाजिल्का के इतिहासकार लछमण दोस्त ने लगाया है। उन्होंने बताया कि फाजिल्का और सिरसा के निकट पक्की सडक़ें एक या दो मील तक ही लंबी थी। जो कच्ची सडक़ हजारों मील लंबी थी वो फाजिल्का से गुजरती थी। इसके बाद कच्ची सडक़ जिला औकाड़ा (अब पाकिस्तान में) तक जाती थी।
अंग्रेजी व फारसी पर लिखा है सिरसा
लछमण दोस्त ने बताया कि यह मील पत्थर गांव मौजम के रहने वाले राम सिंह पुत्र करतार सिंह के घर में मिला है. घर की बुजुर्ग महिला गहलो बाई ने बताया कि सतलुज दरिया में बाढ़ के कारण उनके खेत के निकट मिट्टी का टिब्बा सा बन गया, वहां से धीरे धीरे मिट्टी हटाई जाती रही तो नीचे से मील पत्थर निकला। जो उन्होंने एक यादगार के तौर पर अपने घर में रख लिया। इस मील पत्थर पर अंग्रेजी व फारसी में सिरसा 90 लिखा हुआ है।
Gehlo Bai
औकाड़ा तक जाती थी सडक़
जो सिंध–पंजाब–दिल्ली रेल लाइन पर मिंटगुमरी जिले में मौजूद है।यह कच्ची सडक़ नरेला (अब उत्तर दिल्ली का जिला) से शुरू होकर जिला हिसार पहुंचती। सडक़ हिसार के बीचो–बीच से गुजरकर जिला सिरसा और डबवाली तहसील से होती हुई फाजिल्का पहुंचती थी।
फाजिल्का से यह सडक़ मौजम गांव तक जाती थी। जहां से सतलुज दरिया पार करने के लिए किश्ती में जाना पड़ता था। दरिया पार करने के बाद सडक़ औकाड़ा शहर तक जाती थी,
Lachhman Dost Historian 99140-63937
पाविन्दा व्यापारी करते थे प्रयोग
उन्होंने बताया कि इस सडक़ का प्रयोग अधिकांश पाविन्दा नामक व्यापारी करते थे तो काबूल कंधार से चलकर दिल्ली में व्यापार के बाद उत्तर पच्छित इलाकों में पहुंचते थे। पाविन्दा व्यापारी सर्दी के दिनों में जिला सिरसा से होकर फाजिल्का पहुंचते थे और यहां से आगे अपना कारोबार के लिए चले जाते थे। व्यापारी अपने ऊटों पर व्यापारिक वस्तुओं को भरकर लाते थे। ऊटों की संख्यां दो-चार नहीं, सैंकड़ों होती। जब वह चलते तो ऊंटों की एक बड़ी कतार होती थी।
New Discovery - Another link in history by 150 year old landmark !!! One of the longest and widest roads in vast India used to reach Fazilka. This road started from Narela, passed through Sirsa and reached Sutlej river near Fazilka. A milestone of this years old road has been found in a house in village Maujam. This has been discovered by the historian Lachhman Dost of Fazilka. He said that the paved roads near Fazilka and Sirsa were only one or two miles long. The dirt road that was thousands of miles long passed through Fazilka.After this the unpaved road used to go to Okada district (now in Pakistan)
Sirsa is written in English and Persian
Lachhman Dost said that this milestone was found in the house of Ram Singh's son Kartar Singh, a resident of village Maujam. Gehlo Bai, an elderly woman of the house, said that due to the flood in the Sutlej river, it became like a mound of mud near her farm. From there, the soil was gradually removed and a milestone came out from below.Which he kept in his house as a memento. Sirsa 90 is written in English and Persian on this milestone.
The road used to go to Okada
This unpaved road would start from Narela (now North Delhi district) and reach Hisar district. The road passed through the middle of Hisar and reached Fazilka through Sirsa and Dabwali tehsils. This road used to go from Fazilka to Maujam village. From where one had to go by boat to cross the river Sutlej. After crossing the river, the road led to the city of Okada,
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