punjabfly

Jan 6, 2020

कस्बे से शुरूआत, मंडी से खुशहाली, विभाजन से बर्बादी -अब बुलंदियों पर है - रंगला, बंगला, फाजिल्का


Fazilka Clock Tower
फाजिल्का की भूमि गुरुओं, पीरों पैगम्बरों, अवतारों और शहीदों के आशीर्वाद से ओत-प्रोत है तथा उनकी रहमत से यहां नेकदिल इन्सान बसते हैं, जो हर क्षण दूसरों की सेवा करने को तत्पर रहते हैं। यहां श्री गुरू नानक देव जी और शहीद-ए-आजम स. भगत सिंह ने कदम रखकर इस धरती को पवित्र बनाया। भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा से मात्र 11 किलोमीटर की दूरी पर बसा फाजिल्का, पंजाब की सबसे पुरानी तहसील है, जो अब जिला बन चुका है। यह शहर 1844 में बसाया गया। दरिया के एक किनारे मुस्लिम समुदाय के 12 गाँव थे, जिनमें वट्टू, चिश्ती और बोदला जाति के मुस्लिम परिवारों की संख्या अधिक थी। इन गांवों पर बहावलपुर और ममदोट के नवाबों का नियंत्रण था।

Guruduara Haripura
 ईस्ट इंडिया कम्पनी ने कम्पनी ने सबसे पहले यहां एक अंग्रेज अफसर पैट्रिक एलेग्जेंडर वन्स एगन्यू को आर्गेनाइजेशन एजेंसी की देखरेख के लिए नियुक्त किया। वन्स एगेन्यू ने हार्श शू लेक यानि बाधा झील किनारे एक बंगले का निर्माण करवाया। जिस कारण शहर का नाम बंगला पड़ गया। क्षेत्र की सीमा ममदोट, सिरसा, बीकानेर और बहावलपुर तक थी। फिर जिला सिरसा के कैप्टन जे. एच. ऑलिवर को नियुक्त किया गया। यहां नगर को बसाने के लिए ईस्ट इंडिया कम्पनी ने 32 एकड़ भूमि केवल 144 रुपए 8 आने में भूमि खरीदी थी। यह भूमि वट्टू जाति के मुखिया फज़ल खां वट्टू से खरीद की गई थी, लेकिन वट्टू की एक शर्त थी कि इस स्थान पर जो नगर बसाएगा, उसका नाम फज़ल खां के नाम से रखा जाए। उसके बाद शहर को फाजिल्का के पुकारा जाने लगा। सन् 1862 में अंग्रजों ने सुल्तानपुरा, पैंचांवाली, खियोवाली, केरूवाला और बनवाला रकबे की 2165 बिघा भूमि ओर खरीद ली। यह भूमि 1301 रुपए में खरीद की गई। 

बाद में, 7 अगस्त 1867 में पंजाब सरकार के नोटिफिकेशन 1034 के तहत फाजिल्का की सीमा तय की गई। फाजिल्का को कभी बाढ़ ने उजाड़ा, तो कभी प्लेग, भूख व गरीबी ने, लेकिन ऊन के व्यापार ने इस नगर को बहुत संभाला। व्यापार की दृष्टि से अंग्रजों के न्योते पर यहां पेड़ीवाल, अरोड़वंश, अग्रवाल और मारवाड़ी समुदाय के लोगों ने यहां व्यापार कार्य आरंभ कर दिया। फाजिल्का एशिया की प्रसिद्ध ऊन मंडी बन गया। ऊन की गांठें यहां तैयार होती और रेलगाड़ी के जरिये, दिल्ली, लाहौर और सिन्ध व कराची तक पहुंचाई जाती। वहां कराची की बन्दरगाहों से यह ऊन यूरोप की मंडियों तक पहुंचाई जाती थी। ऐतिहासिक धरोहर घंटाघर जहां पंजाब विधानसभा की आर्ट गैलरी की शान है, वहीं हिन्दोस्तान का गौरव है। घंटाघर 6 जून 1939 में बनाया गया। गाँव आसफवाला में 80 फुट लंबी और 18 फुट चौड़ी शहीदी स्मारक बनाई गई है। सबसे पुरानी ऐतिहासिक इमारत रघुवर भवन है।

Asafwala Saheed Smark
 इसके अतिरिक्त यहां डेन अस्पताल, ऑलिवर गार्डन, सतलुज दरिया, एशिया के द्वितीय नंबर का टी.वी. टावर, हॉर्स शू लेक, गोल कोठी, प्रताप बाग, सेठ चानण लाल आहूजा पुस्तकालय, बेरीवाला पुल, सरकारी एम. आर. कॉलेज, संस्कृत कॉलेज व अनेक धार्मिक स्थान दर्शनीय हैं। यहां की बनने वाली जूती, मिठाई तोशा, वंगा सुप्रसिद्ध हैं।  27 जुलाई 2011 को फाजिल्का जिला घोषित किया गया।  आज फाजिल्का जिला कहलाता है और लगातार तरक्की की राह पर चल रहा है। (Lachhman Dost -Whats App No. 99140-63937)
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