punjabfly

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Jun 15, 2019

न कुश्ती, न अखाड़ा, मगर किन्नर मान्यता पर आज भी कायम

न कुश्ती, न अखाड़ा, मगर किन्नर मान्यता पर आज भी कायम चादर चढ़ाने के बाद 3-4 घंटे नाचते हैं किन्नर                                

फाजिल्का: एक सदी से भी अधिक समय हो गया। मेला हर साल होता है। मगर अब वहां न कुश्ती होती है और न कबड्डी, लेकिन मेले के प्रति किन्नरों की मान्यता आज भी कायम है। वह हर साल की तरह भारी तादाद में आते हैं। पीर की मजार पर चादर चढ़ाते हैं और फिर शुरू हो जाता है नृत्य व गीतों का दौर। यह क्रम करीब तीन घंटे तक चलता है। मजाल है कि वहां आया श्रद्धालु उनका नृत्य देखे बिना चला जाए, तब तक किन्नर नृत्य करते रहेंगे, तब तक दर्शक बैठे रहेंगे। जी हां, यह मंजर हर साल फाजिल्का के मौहल्ला पीर गोराया में पीर गोराया की मजार पर देखा जा सकता है। 

मेले का इतिहास

मेला भारत विभाजन से पहले का हो रहा है। बताया जाता है कि पहले फाजिल्का के मियां फज्जल खां वट्टू व अन्य मुसलमान समुदाय की ओर से करवाया जाता था। जो एक सप्ताह तक चलता था। मेले में दूर दराज से पहलवान व जवान कुश्ती और कब्ड्डी खेलने आते थे। मुहम्मद सदीक और सुरिन्द्र छिन्दा आदि पंजाबी कलाकारों सहित मशहूर कलाकारों का मंच पर मुकाबला होता था, लेकिन समय के साथ साथ वह सब कुछ खत्म हो गया। अब मेला सिर्फ एक दिन ही आयोजित किया जाता है। 

किन्नरों की मान्यता

किन्नर माई बताती हैं कि उनके पूर्वज पहले मेले जाते थे और उनके पहुंचने पर ही मेले की शुरूआत होती थी। अपने पूर्वजों के पदचिन्हों पर चलते हुए वह भी मेले में एक टोली के रूप में पहुंचते हैं। उनका कहना है कि ऐसा कोई साल खाली नहीं गया, जब किन्नर मेले में न पहुंचे हों। 

ऐसा करते हैं किन्नर

आसपास के जिलों से आए किन्नर एक डेरे में एकत्र होते हैं। वहां से लड्डूयों का एक बड़ा थाल लिया जाता है। वह डेरे से चलते हैं और बाजार में बाबा का नाम जपते हुए मेले में पहुंचते हैं। जहां पहले चादर चढ़ाते हैं और फिर नृत्य का सिलसिला शुरू करते हैं। यह सिलसिला पहले देर सांय तक चलता था। मगर अब तीन से चार घंटे तक चलता है।

Gaddinasheen before India partition
Pir Baderdeen guraya & other 
photo by- Fazal Abbas Peerzada


No wrestling, no Akhara, but it still persists on sheer recognitionAfter wrapping the sheets, they dance to 3-4 hours.

Fazilka:- It's been more than a century. The fair happens every year. But now there is neither wrestling nor kabaddi, but the recognition of the kinars for the fair is still in place. He comes in a lot like every year. Papers are offered at the pyar's mazar, and then begins the dance and songs round. This sequence runs for about three hours. It is interesting that the devotees who came there should leave without seeing their dance, till then they will continue to dance, till then the audience will be sitting. Yes, it can be seen every year on the mazar of Peer Goraya in Mohalla Pir Goraya, Fazilka.
Fair History
Fair is happening before the partition of India. It is said that the first was made by Mian Fajal Khan Wattoo and other Muslim community of Fazilka. Which lasted for a week. In the fair, wrestlers and young men used to play wrestling and cabbage from far away. Muhammad Sadeek and Surinder Chhinda were fists on the stage of famous artists, including Punjabi artists, but over time the whole thing was over. Now the fair is organized only for one day.
Accession of kiners
Kinnar Mai points out that his ancestors first used to be festooned, and the festivity started only when they reached. While walking on the footprints of their ancestors, they also arrive at the fair as a group. They say that no such year has gone empty, when Kinnar has not reached the fair.
Do so
Shemars from nearby districts gather in a tent. From there there is a big plate of laddoos taken. He walks from the dock and reaches the fair in the market chanting Baba's name in the market. Where the first sheets are offered and then started the process of dancing. This cycle lasted until late evening. But now it lasts for three to four hours.(LACHHMAN DOST FAZILKA)
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Jun 3, 2019

Jannat Kamboj Zeenu Won Gold Medal

पंजाब जीता , अब नेशनल पर नज़र

बेटे को कोई बेटी नहीं बोलता, लेकिन बेटी को बेटा बोलते हैं, . . क्यों।  . .. . ? क्योंकि बेटीआं माँ - बाप का नाम रोशन की ताकत रखती हैं,  - मान है मुझे बेटी  जन्नत पर -. . . - जिस ने 16th Punjab State Cadet & Junior Kickboxing Champianship – 2019 में गोल्ड मेडल जीता है --- अब वह नेशनल खेलेगी -- तेलगाना में होगा मैच - 



- کوئی بیٹا بیٹا نہیں بولتا، لیکن بیٹی بیٹی سے بات کرتی ہے، . کیوں . ... ؟ کیونکہ بہو باپ کے نام کو روشن کرنے کی طاقت رکھتے ہیں، - مجھے آسمان پر ایک بیٹی ہے. . . جنہوں نے 16 ویں پنجاب اسٹیٹ کیڈیٹ اور جونیئر کک باکسنگ چیمپیئن شپ شپ جیت لیا ہے - 2019 میں سونے کا تمغہ - اب وہ تلنگانہ میں قومی میچ کھیلے گا

No son speaks to the son, but the daughter speaks to the daughter, . Why . ... ? Because the daughter-in-law has the power of illuminating the father's name, - I have a daughter, on the heaven. . . - who has won 16th Punjab State Cadet & Junior Kickboxing Champianship - Gold Medal in 2019 - Now he will play National - match in Telangana 

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Jun 2, 2019

Fazilka Heritage Raghuwer Bhawan

2014 में इतिहास को बनाने के लिए ऐतिहासिक आंदोलन हुआ - --- तो ---- - सरकार ने "रघुवर भवन" को हेरिटेज का दर्जा दिया - --- लेकिन आज तक "रघुवर भवन" की संभाल न तो प्रसाशन ने की और ना ही सरकार ने - ---- फिर कहते हैं कि लोग आंदोलन करते है -- क्या करें ---- 

                                Lachhman Dost- Fazilka

 In the year 2014, there was a historic movement to create history - --- - - - The government gave Raghuvar Bhawan the heritage status - --- But till now the administration did not handle the Raghuvar Bhavan nor did the government ------ Then people say that people do agitation - what to do ----







Raghuwar Bhawan, Gol Kothi & Bangla Fazilka (Punjab) get heritage status

Read more at: http://www.merinews.com/article/raghuwar-bhawan-gol-kothi--bangla-fazilka-punjab-get-heritage-status/15901725.shtml&cp


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May 31, 2019

I LOVE FAZILKA

I  LOVE  FAZILKA

1- पाकिस्तान के पाकपटन जिला में सरकारी फाजिल्का इस्लामिया हाई स्कूल है। जो 1953 में बनाया गया। स्कूल 19 केनाल में फैला हुआ है।
1- Government Fazilka Islamia High School in Pakistan's Pakpatan district. Which was built in 1953. The school is spread over 19 canal.



2- फाजिल्का में 1846 में पुलिस स्टेशन बनाया गया। जिसमें सहायक कमिश्नर तैनात किया गया। इस दौरान ही कोर्ट हाऊस स्थापित किया गया। 
2- Police station was built in Fazilka in 1846. In which assistant commissioner was deployed. During this time the court house was established.
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3-फाजिल्का से दो किलोमीटर दूर गांव आवा 1850 में ग्रेवाल परिवार की ओर से बसाया गया था। 
3-Village Aawa was built from the village of Gwewal in 1850, two kilometers away from Fazilka.
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4-साधू आश्रम के संचालक स्वामी कुशल दास जी महाराज थे। 
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4-Swami Kushal Das Ji Maharaj was the successor of the Sadhu Ashram.
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5-सुलेमानकी हैड का निर्माण सन् 1926 में किया गया।
5-Sulemaniki Head was constructed in 1926.




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6-ब्रिटिश साम्रज्य ने बंगला के निकट 1928 में मेथोडिस्ट चर्च का निर्माण करवाया। जो बाद में शास्त्री चौंक के निकट स्थापित की गई। 
6-British Empire constructed the Methodist Church in 1928 near Bangla. Which was later established near Shastri Chowk.


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7-फाजिल्का में विधवा विवाह कांफ्रेंस 24 अप्रैल 1934 को हुई थी।
7-Widow Marriage Conference in Fazilka was held on 24th April 1934.
--------------LACHHMAN DOST FAZILKA-------------------



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May 29, 2019

174-years-old Seth Shopat Rai Haveli Fazilka (Lachhman Dost)

174-years-old Seth Shopat Rai Haveli Fazilka

ओल्ड लुक से पुन: संवरी 174 साल पुरानी सेठ शौपत राय हवेली

HAVELI - Rai Sahab Seth Sheopat Rai Periwal Fazilka 

फाजिल्का को ऐतिहासिक घंटा घर सहित अनेक अमूल्य धरोहरें देने वाले पेड़ीवाल परिवार की ओर से 173 साल पुरानी हवेली की शानो शौकत को भी बरकरार रखा गया है। यह वही हवेली है, जहां बीकानेर रियासत के राजा गंगा सिंह सहित फाजिल्का में आने वाले हर ब्रिटिश अधिकारी और नेताओं का आना जाना रहा है। इस हवेली में ही इलाके के विकास के लिए योजनाएं तैयार की जाती थी। अब किसी मूलभूत ढांचे में परिवर्तन किए बगैर इस हवेली को वही ओल्ड लुक से संवारा गया है जो 174 साल पहले था। नगर कौंसिल में 11 साल तक प्रधान रहे सेठ शौपत राय पेड़ीवाल और 34 साल तक पार्षद व कई साल उपप्रधान रहे सेठ मदन गोपाल पेड़ीवाल की ओर से निर्मित इस हवेली की हर कलाकृति को भी बरकरार रखकर सजाया गया है। Sushil Pediwal ने इसे पुन: ओल्ड लुक दिया है

Main Gate

                                    यह है हवेली का इतिहास

फाजिल्का में बंगले का निर्माण 1844 में ब्रिटिश अधिकारी वंस एगन्यू ने करवाया तो इसके एक साल बाद ही इस हवेली का निर्माण सेठ आईदान ने 1845 में शुरू करवाया था। उन्होंने पोली के अलावा दो कमरे, बाहर के चौंक और मुख्य द्वार का निर्माण करवाया। शेष भाग 1918-20 में सेठ शौपत राय ने करवाया। Haveli के कमरों की दिवारों पर पोर्शलीन टाइल्स और छत्तों पर सिलवर पेंट व काल्स सिलिंग छत्तों का निर्माण 1935 में करवाया गया। भारत विभाजन से पूर्व कौंसिल अध्यक्ष रहे शौपत राय, उपाध्यक्ष रहे मदन गोपाल और विभाजन के बाद दो बार अध्यक्ष रहे सेठ लक्ष्मी नारायण पेड़ीवाल का जन्म इस हवेली में ही हुआ है। शौपत राय और उसके तीन बेटों का संयुक्त परिवार एक अप्रैल 1968 तक इस हवेली में रहा। मगर शौपत राय के निधन के बाद हुए बटवारे अनुसार यह हवेली राम प्रसाद के पास रही। जबकि गंगा प्रसाद को बंगले के निकट बगीचा दिया गया। सेठ लक्ष्मी नारायण को हवेली के सामने कोठी दी गई। राम प्रसाद की दो लड़कियां थी। माता पिता के स्वर्गवास हो जाने के बाद उन्होंने यह हवेली अपने चचेरे भाई सुशील पेड़ीवाल को बेच दी। अब सुशील पेड़ीवाल व उनके पुत्र शैलेष व सिदार्थ बगैर किसी मूलभूत ढांचे में परिवतन करते हुए हवेली को ओल्ड लुक दिया है

2nd Gate

                                           यह है हवेली में 

हवेली में विभाजन से पहले प्रयोग किए जाने वाले दीये, लालटेन, बैल आदि मौजूद हैं। हवेली के दरवाजे पुराने हैं और उन्हें ताला भी पुराना लगाया है। इसके अलावा ऐतिहासिक फोटो से हवेली लबरेज है। हवेली के अंदर खुला हॉल बनाया गया है। चार मंजिला इस हवेली की छत्त पर चढऩे से शहर के हर कोने को निहारा जा सकता है। 

                                

                                

                                             परोपकारी कार्य

1841 में सूरतगढ़ से फाजिल्का में आकर बसने वाले इस परिवार ने फाजिल्का को क्लॉक टावर, जनाना अस्पताल, पेेड़ीवाल धर्मशाला, बठिंडा, सूरतगढ़ और बनारस में धर्मशालाएं, श्री मुक्तसर साहिब के गुरूद्वारा में तालाब दिया है। इस परिवार को ब्रिटिश सरकार की ओर से राय साहिब के खिताब से नवाजा गया था। इसके अलावा भामा शाह अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है। 


                                

                                  अन्य धरोहरें भी बचाएंगे

सुशील पेड़ीवाल का कहना है कि पेड़ीवाल परिवार की ओर से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में जो धरोहरें बनाई गई हैं, उनकी देखभाल लगातार क ी जा रह है। अगर कहीं कोई कमीं है तो उसे दूर करने का प्रयास करेंगे। वह बताते हैं कि फाजिल्का की धरोहरों को भी संवारा जाएगा।

                                            

                                      कड़ी में परोया इतिहास

फाजिल्का के इतिहास के लेखक लछमण दोस्त का कहना है कि हवेली इतिहास अमूल्य खजाना है। इसके अलावा भी पेड़ीवाल परिवार ने पंजाब, हरियाणा और राजस्थान को अनेक धरोहरें दी हैं, जो एक मिसाल बन चुकी हैं। पेड़ीवाल परिवार ने अपने इतिहास को एक कड़ी में परोकर रखा हुआ है। जो आज और कल के लिए लाभदायक है।

                               

 174-year-old Seth Shopat Rai Haveli
Sethi 174-year-old Seth Shapat Roy Haveli from Old Look

The beautiful 173-year-old Haveli has been retained by the Pariwal family, which has given many invaluable heritage including historical gard house to Fazilka. This is the same mansion, where Raja Ganga Singh of Bikaner principality, including every British officer and leaders coming to Fazilka, is going to come. In this mansion only the plans were developed for the development of the area. Now, without making any changes in the basic structure, this mansion has been restored with the same old look which was 174 years ago.

                                 

Seth Shapat Roy Pediwal, who is in the city council for 11 years, has been decorated with every work of this mansion built by Seth Madan Gopal Pediwal, who is a councilor for many years and deputy prime minister for 34 years. Sushil Periwal has given it the old look again

                                 

This is the history of the mansion

The construction of the bungalow in Fazilka was done by British officer Van Agnu in 1844, a year after this, the construction of this mansion was started by Seth Ayadan in 1845. He created two rooms, outside shocks and main gate apart from the Poli. The remaining part was done by Seth Shapat Rai in 1918-20. Construction of silhouette paint and blacks ceiling on porcelain tiles and roofs was made in 1935 on the walls of the rooms of the canals. Madan Gopal, who was the Vice-President of the BJP before the partition and Madan Gopal, the vice president of the partition, and Seth Laxmi Narayan Petiwal, who was the president twice after the partition, was born in this mansion only. The joint family of Shapat Rai and his three sons remained in this mansion till 1 April 1968. But according to the distribution of the people after the demise of Shapat Rai, this haveli has been with Rama Prasad. While Ganga Prasad was given a garden near the bungalow. Seth Laxmi Narayan was given a cloth in front of the mansion. Ram Prasad had two girls. After the parents died, they sold this mansion to their cousin Sushil Patiala. Now, Sushil Pediwal and his son Shailesh and Siddartha have made the mansion look like an old structure without any basic structure.
It is in mansion. There ara

                                        

lamps, lanterns, bulls, etc. used before partition in the mansion. Haveli's doors are old and they have locked the lock too old. Apart from this, the Haveli is famous with historical photos. The open hall is built inside the mansion. Every corner of the city can be solved by climbing the roof of this four-storey mansion      

                                            

                                           charitable work

In 1841, this family settling in Suratgarh from Fazilka gave fazilka a pond in the clock tower, Janana (Ladies) Hospital, Periwal Dharamsala, Bathinda, Suratgarh and Bikaner, in the Gurudwara of Sri Muksar Sahib. This family was awarded the title of Rai Sahib by the British Government. Apart from this Bhamma Shah Award
has also been honored.   

                                         

Other heritage will also save

Mr. Sushil Periwal says that the heritage sites in Punjab, Haryana and Rajasthan have been taken care of by the Peediwal family. If there is any fault, then try to remove it. He explains that the heritage of Fazilka will also be saved.

                                       

History used in link

Lachman Dost, author of the history of Fazilka, says that Haveli History is a priceless treasure. Apart from this, the Peddal family has given many heritage to Punjab, Haryana and Rajasthan, which has become an example. The Peddal family has kept its history in a stanza. Which is beneficial for today and tomorrow (Lachhman Dost Fazilka)

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May 28, 2019

Retreat Ceremony - Sadqi Border Fazilka

Retreat Ceremony - Sadqi Border Fazilka 

भारत पाकिस्तान के बीच एक रेखा -

                        इस के इंडिया की तरफ सादकी पोस्ट तो पाकिस्तान की तरफ                                          सुलेमान की पोस्ट -

दोनों देशों के बीच रोज़ाना शाम के समय रिट्रीट सेरेमनी होती है - जिसे देखने के लिए भारी संख्या में दर्शक पहुँचते हैं - 14 और 15 अगस्त को तो एक अलग ही नज़ारा होता है


A line between India-Pakistan - Sadqi Post on India's side - Suleimankee post on Pakistan -


Retreat Ceremonies are held between the two countries in the evening - a large number of visitors reach - 14 and 15 August So have a different view.
(LACHHMAN DOST  FAZILKA)

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May 27, 2019

दलेर गांव मोजम की दास्तान

                    दलेर गांव मोजम की दास्तान 


मोजम खान वट्टू सतलुज दरिया की तरफ जा रहा था - रस्ते में बघियाड और भेड की लड़ाई हो रही थी - भेड ने अपने बच्चे नहीं खाने दिए - डटकर  मुकाबला किया - तब मोजम खान वट्टू ने कहा - यहाँ गावं बसना घाटे का सौदा नहीं है - तब बसा गांव मोजम (Near Fazilka) - जहाँ उन का परपोता मियां मंज़ूर अहमद खान वट्टू (पूर्व मुख्य मंत्री पंजाब  पाकिस्तान  ) आया था - Lachhman Dost Fazilka -
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Mozam Khan Wattu Satluj Darya kee tarf jaa raha tha- raste me baghiyar or Bhed (Sheep) ke beech ladai (Fight) ho rahi thi - Bhed ne apne bachche nahi khane diye - datkar mukabla kiya - tab Mozam khan wattu ne kaha - yahan village basan achha hai - bahadur village bne gaa - tab bsa village Mozam - jahan un kaa perpota Mian Ehmad khan wattu (former Chief Minister Punjab, Pakistan) mozam aayatha - 
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Mozam Khan Wattu was going towards Sutlej River - there was a fight between Bagiyar and sheep in the road - Sheep did not eat her children - met with stubbornness - Then Mozam Khan wattu said - There is no settlement of loss of buses here - Then settle down the village - where his grandfather Mian Manzoor Ahmed Khan Wattu (former Chief Minister Punjab, Pakistan) came.
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May 26, 2019

Some such names - who have a lot of identity - are still on the same letter even today. like .........

                                                                        Know about FAZILKA 
                                     
                                 कुछ ऐसे नाम - जिन की है खूब पहचान - चिठ्ठी पत्र पर आज भी वही नाम जैसे .........
नाम होटल बाजार - होटल कितने है ? सिर्फ दो - चार ? 
नाम मेहरीआं बाजार - क्या कभी देखा है वहां मेहरीआं को ?

नाम - डेड हाउस रोड - इस का मतलब तो समझते होंगे आप ?
नाम- वान बाजार - कहाँ है वान की दूकान ?

नाम - वूल मार्किट - कहाँ है वूल ?   
 नाम - मुलतानी चुंगी - जहाँ चुंगी नहीं काटी जाती ?

नाम- बीकानेरी रोड , बठिंडा रोड, और भी कई अनूठे नाम हैं बॉस !

क्यों ? हैं ना अनूठे नाम - फिर भी है इन की पहचान - बॉस - यही तो है मेरे फाजिल्का की पहचान !(LACHHMAN DOST)

Know about FAZILKA

Some such names - who have a lot of identity - are still on the same letter even today.

like .........

Name Hotel Market - How much is the hotel? Only two - four?

Name Mehari Bazar - What have you ever seen there?

Name - Dead House Road - What do you mean by this?

Name-Van Bazar - Where is the Van Shop?

Name - Wool Market - Where is Wool?

Name - Multani Chungi - Where Do Taxes Not Cut?

Name: Bikaneri Road, Bathinda Road, and many other unique names are Boss!

Why? There is no unique name - yet the identity of these - boss - that is the identity of my Fazilka!
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May 24, 2019

Village Jandwala mira Sangla (Fazilka)

Village Jandwala mira Sangla (Fazilka)
photo 1930- right side Hagi bahawal khan Kuria zaildar-thx mahmood alam kuria
                                                    Village Jandwala mira Sangla (Fazilka)
                                               ਬੜੀ ਮਜੇਦਾਰ ਕਹਾਣੀ ਹੈ ਪਿੰਡ ਜੰਡ ਵਾਲਾ ਮੀਰਾ ਸਾਂਗਲਾ ਦੀ 
ਹਾਜੀ ਵਾਗੂ ਖਾਨ ਕੁਰੀਆ ਨੇ ਤਹਿਸੀਲਦਾਰ ਤੋਂ ਅਲਾਟ ਕਰਵਾਇਆ ਸੀ ਪਿੰਡ 
ਉਸ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਮੀਆਂ ਬਹਾਵਲ ਖਾਨ ਕੁਰੀਆ ਜੈਲਦਾਰ ਸੀ ਤੇ ਦੂਜਾ ਮੀਆਂ ਮੁਹਮੰਦ ਖਾਨ ਕੁਰੀਆ ਸੀ - ਮੀਆਂ ਬਹਾਵਲ ਖਾਨ ਕੁਰੀਆ ਜੈਲਦਾਰ ਦੇ ਤਿਨ ਪੁੱਤਰ ਤੇ ਮੀਆਂ ਮੁਹਮੰਦ ਖਾਨ ਕੁਰੀਆ ਦੇ ਵੀ ਤਿਨ ਪੁੱਤਰ ਸਨ - ਇਹਨਾਂ ਵਿੱਚੋ ਇਕ ਮੀਆਂ ਅਲਾਹ ਬਕਸ਼ ਜੈਲਦਾਰ ਸੀ ਤੇ ਸਰਕਾਰ ਦਰਬਾਰੇ ਬਹੁਤ ਕੱਮ ਕਰਾਉਂਦਾ ਸੀ ਉਹਨਾਂ ਨੇ ਹੀ ਓਥੇ ਅਕਬਰ ਪੁੱਲ ਬਣਵਾਇਆ ਸੀ
Ik mazedaar kahani - Hagi Waggu khan kuria ne tehsildaar to alaot karwaya see pind - us de putter mian Bahawal khan kuria Jaildar see te dusra putter mian mohammad khan kuria - mian Bahawal khan kuria de three bete - te mian mohammad khan kuria de tin (Three) bete sn- ehna vichon ik mian Alah Baksh jaildaar seee te sarkare darbare bahut kamm karanunde sn- ohna ne hee othe Akbar pul banwaya see --Lachhman Dost-
-
Story with Thx Ex sarpanch Mr. Ravinder kumar
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Mar 12, 2019

Fazilka Nager Council Awarded Best Performance Award

फाजिल्का नगर कौंसिल बैस्ट पर्फोर्मंस अवार्ड से सम्मानित
पंजाब में दूसरा और फिरोजपुर रीजन में पहला व नार्थ जोन में पांचवां स्थान हासिल करने पर डिप्टी डायरैक्टर ने दिया सम्मान
फाजिल्का, 12 मार्च: स्वच्छ सर्वेक्षण-2019 दौरान पंजाब में दूसरा स्थान हासिल करने पर फाजिल्का नगर कौंसिल की टीम को फिरोजपुर में बैस्ट पर्फोर्मंस अवार्ड और प्रशंसा पत्र से सम्मानित किया गया। यह सम्मान नगर कौंसिल के ई.ओ. सुखदेव सिंह, सैनेटरी इंस्पैक्टर नरेश खेड़ा, सैनेटरी इंस्पैक्टर जगदीप अरोड़ा ने फिरोजपुर पहुंचकर डिप्टी डायरैक्टर कार्यालय में डिप्टी डायरैक्टर से हासिल किया।

जानकारी देते हुए सैनेटरी इंस्पैक्टर नरेश खेड़ा व जगदीप अरोड़ा ने बताया कि फाजिल्का नगर कौंसिल के ई.ओ. सुखदेव सिंह की अगवाई में कौंसिल ने स्वच्छ भारत टीम व समाजसेवी संस्थाओं से मिलकर शहर में लोगों को जागरूक किया और शहर को स्वच्छ रखने में कामयाब हुए हैं। उन्होंने बताया कि फिरोजपुर रीजन में नगर कौंसिल फाजिल्का का पहला स्थान हासिल किया है।

जबकि पंजाब की 151 यू.एल.बी. में दूसरा स्थान और नार्थ जोन (पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्म और कशमीर) 1013 यू.एल.बी. में पांचवां हासिल किया। इसके चलते फाजिल्का नगर कौंसिल को स्थानीय सरकार के डिप्टी डायरैक्टर की तरफ से सम्मानित किया गया। उन्होंने बताया कि फाजिल्का को स्वच्छ रखने में नगर कौंसिल के कर्मचारियों के अलावा शहर की समाजसेवी संस्थाओं और शहरवासियों को पूरा सहयोग रहा है। -LACHHMAN DOST- FAZILKA

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Mar 11, 2019

तनेजा संगीत कला केन्द्र फाजिल्का में गायक सोनू संजीव का नया गीत चिट्टे दिन रिलीजSinger Sonu Sanjeev's new song in Taneja Music Arts Center Fazilka releases Chitte dinn

तनेजा संगीत कला केन्द्र फाजिल्का में गायक सोनू संजीव का नया गीत चिट्टे दिन रिलीज
फाजिल्का, 11 मार्च: पंजाबी गायक सोनू संजीव का नया गीत चिट्टे दिन स्थानीय तनेजा संगीत कला केन्द्र फाजिल्का में उस्ताद गायक बलदेव शर्मा, मनजिन्द्र तनेजा, हरभजन लाल ढोट, सुखविन्द्र थिन्द और राजिन्द्र कुमार द्वारा संयुक्त रूप से रिलीज किया गया। इस गीत सबंधी जानकारी देते हुए कृष्ण तनेजा ने बताया कि इस गीत का संगीत गैरी म्यूजिक व गीत के बोल राज फाजिल्का ने लिखे हैं। उन्होंने बताया कि गीत का वीडियो सनम बजाज ने तैयार किया है। जिसमें गोल्डी गावड़ी, संजीव पनियारी, लवजोत सिंह, कर्मजीत सिंह ने मॉडलिंग करके अपनी कला का बेहतरीन प्रदर्शन किया है। 

इस गीत के रिलीज के अवसर पर गायक एम. राज ढिल्लों, युवराज युवी, हैप्पी डिलाइट, अनिरूद्ध शर्मा, हंस वेद ने संगीतमय कार्यक्रम भी पेश किया। इस अवसर पर सूरज ठकराल, गैरी कटारिया, सूरज, सुभम, कुलविन्द्र ङ्क्षसह, गौरव चौधरी, नीरज बब्बर, हंस साब, गोपी अटवाल, कुनाल सेठी, रोमन कंबोज व भावुक आदि मौजूद थे। LACHHMAN DOST-FAZILKA


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Jan 15, 2019

सवेरा फाउंडेशन ने बच्चों में गर्म वस्त्र बांटकर मनाया लोहड़ी पर्व
भाईचारे व पवित्रता का प्रतीक है लोहड़ी पर्व: अतुल नागपाल

फाजिल्का, 14 जनवरी: स्थानीय इन्दिरा नगरी में लोहड़ी पर्व उत्साह व धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर सवेरा फाउंडेशन के संस्थापक अतुल नागपाल ने बतौर मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की। इस मौके पर उन्होंने बच्चों में गर्म वस्त्र बांटे। उन्होंने कहा कि सवेरा फाउंडेशन का उद्देश्य है कि हर जरूरतमंद व्यक्ति की मदद की जाए। उन्होंने कहा कि लोहड़ी एक पवित्र व भाईचारे का प्रतीक पर्व है। इस लिए वह बच्चों में गर्म वस्त्र बांटकर उनके साथ अपने प्यार व भाईचारे को कायम रख रहे हैं। 
 अपने संबोधन में अतुल नागपाल ने आगे कहा कि परंपरिक तौर पर लोहड़ी फसल की बुआई और उसकी कटाई से जुड़ा एक विशेष पर्व है। लोहड़ी की अग्रि में रबि की फसल तिल, रेवड़ी, मूंगफली, गुड़ व गजक को अर्पित किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस तरह सूर्य देव व अग्रि देव के प्रति आभार प्रकट किया जाता है, क्योंकि उनकी कृपा से फसल अच्छी होती है। उन्होंने बताया कि पौराणिक कथा अनुसार लोहड़ी का सबंध माता सती से भी है। इसके अलावा उन्होंने लोहड़ी पर्व मनाने के पीछे लोहड़ी और होलिका दोनों बहनों की कथा के बारे में भी बताया। उन्होंने बताया कि इस पर्व से संबंधित दुल्ला भट्टी के बारे में भी जानकारी दी। इस मौके पर अशोक चुचरा, प्रदीप शर्मा मिन्टा, संजय मदान, अजय नागपाल, प्रवीण भारद्वाज, सतीश चुघ और दया नंद आदि मौजूद थे।
Savera Foundation celebrated Lohri festival by distributing hot clothes in children
Lohri festival symbolizes brotherhood and sanctity: Atul Nagpal
Fazilka, 14 January: Lohri festival was celebrated with enthusiasm and pomp in local Indira Nagar. On this occasion, Atru Nagpal, founder of Savera Foundation, joined as the chief guest. On this occasion, he distributed warm clothes in children. He said that the purpose of the Savera Foundation is to help all the needy persons. He said that Lohri is a sacred festival and a symbol of brother-in-law. Therefore, he is maintaining his love and brotherhood with them by distributing hot clothes in children.
 In his address, Atul Nagpal further said that there is a special festival associated with sowing and harvesting of Lohri crop. In the Lohri fire, Rabi crop is offered to sesame, riwadi, peanuts, jaggery and gajak. According to the beliefs, such gratitude is expressed to Sun God and Agreed Dev, because the crop is good because of His grace. He said that according to legend, Lohri's mother also belongs to Sati. Apart from this, he also told about the story of both Lohri and Holika sisters behind Lohri festival. He also informed that about the festival of Dula Bhatti related to this festival. Ashok Chuchra, Pradeep Sharma Minta, Sanjay Madan, Ajay Nagpal, Pravin Bhardwaj, Satish Chugh and Daya Nand were present on this occasion

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Dec 1, 2018

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