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Dec 29, 2019
Fazilka Clock Tower - बिर्मिघम से मंगवाया गया था घडिय़ाल ।
Dec 28, 2019
सियासत के महारथियों की एक कहानी … तस्वीरों की जुबानी
Pandit Jawahar Lal Nehru Visited Abohar Before Independence, On The back Side Of ‘State Bank Of India’ Abohar. Late Sh. Chandi Ram Verma Freedom Fighter from Abohar Sitting On The Stage.
with Thx- https://www.facebook.com/AboharCity/
Dec 27, 2019
SIRSA OR MULTAN के बीच खड़ा एक बुलंद इमारत वाला शहर BANGLA
Dec 26, 2019
इब्बन बत्तूता ने कहा था, यहां जो शहर बसेगा, रमणीक होगा…इमारत के नाम पर बसा दिया शहर-BANGLA
किसी ने देवी देवताओं के नाम पर अपने शहर का नाम रखा तो किसी ने पीर पैगंबर के नाम पर…किसी ने राजा के नाम पर तो किसी ने खुद अपने नाम पर…मगर यहां एक ऐसा शहर भी है जो इमारत के नाम पर बसाया गया है…वह भी दरिया के निकट …एक सुंदर शहर, प्यारा और रमणीक शहर…बंगला…जिस का नाम आज भी बुजुर्ग बंगला ही पुकारते हैं…हैरानी इस बात की भी है कि यह शहर पहले कोई गांव नहीं था…न ही किसी राजा महाराजा और देवी देवता या पीर फकीर के नाम पर बसा है…सीधे ही शहर आस्तित्व में आया है।आज से करीब 645 साल पहले इब्बन बत्तूता यह बात बता चुके हैं कि अगर सतलुज दरिया के किनारे कोई शहर बसाया जाता है तो वह शहर बड़ा रमणीक होगा…आज यह शहर रमणीक है…जिसकी महिमा दूर दराज तक है…समय की सरकारें व सियासत अगर इस शहर पर कुल्हाड़ी न चलाती तो आज इस शहर को देखने के लिए दूरदराज से लोग आते…
Bangla |
यह एक ऐसा शहर है, जहां से भारत शुरू होता है…एक समय था, जब यह मौजूदा राज्य हरियाणा के जिला सिरसा की तसहील थी और इसकी एक सीमा राजस्थान के शहर बीकानेर व एक सीमा पाकिस्तान के शहर हवेली तक लगती थी, फिर यह जिला फिरोजपुर की तहसील बनी…अब यह खुद जिला है।इमारत के नाम पर बसा यह शहर बंगला (फाजिल्का)ब्रिटिश अधिकारियों ने बड़ी सूझबूझ से बनाया था। पहली बात, यह बंगला सुंदर और मनमोहक बाधा झील के किनारे बनाया गया, ब्रिटिश अधिकारी जानते थे कि बंगला शहर के बीचोबीच नहीं है और शहर बंगले के दूसरी तरफ नहीं बढ़ेगा…इसलिए यहां शहर के बीचोबीच क्लॉक टावर बनवाया गया…जिस तरफ भी जाना हो…जिस शहर में भी जाना हो तो वहां से हर तरफ सडक़ निकलती हैं…(शेष अगले ब्लॉग में)
Bangla - (Fazilka ) |
Dec 25, 2019
आज बरसी पर विशेष -- आई.सी.एस. की नौकरी नहीं चाहिए, देश भक्त हूं और देश के लिए ही काम करूंगा: लाला सुनाम राए
बापू गांधी जी के ‘सादा जीवन, उच्च विचार’ के सिद्धांत को अपनाए खादी को धारण करने वाले लाला सुनाम राए की बरसी है। ब्रिटिश साम्राज्य में आई.सी.एस. की नौकरी ठुकरा कर स्वतंत्रता संग्राम में कूदने वाले स्वतंत्रता सेनानी लाला सुनाम राय एम.ए. का जन्म 23 नवंबर 1896 को फाजिल्का में हुआ था। 1918 में मिशन कालेज लाहौर से अंग्रेजी में एम.ए.पास करने वाले लाला जी जिला फिरोजपुर के प्रथम एम.ए. थे। लाला जी ने अपने जीवन काल में स्वतंत्रता संग्राम में योगदान के एवज में कभी किसी प्रकार का लाभ लेने का कोई प्रयास अपने जीवन पर्यन्त नहीं किया। लाला जी इस नशवर संसार को छोड़ कर 25 दिसंबर 1959 को ब्रह्मïलीन हो गए।
फाजिल्का में पहली बार जलाई विदेशी वस्त्रों की होली
उन्होंने 1919 के असहयोग आंदोलन में सक्रियता से भाग लिया तथा प्रथम बार जेल यात्रा की। उसके पश्चात उन्होंने कांग्रेस द्वारा चलाए गए सभी आंदोलनों में बढ़ चढ़ कर भाग लिया। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेेने के कारण उन्हें निरंतर अढ़ाई वर्ष तक सेंट्रल जेल मुलतान (पाकिस्तान) में बंदी बन कर रहना पड़ा। जहां कठिन यातनाओं व निम्न स्तर के भोजन के कारण उन्हें दमे का रोग लग गया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ही लाला जी पंजाब केसरी लाला लाजपत राय, जलियावाला बाग कांडके नायक डॉ. सतपाल के निकट सहयोगी रहे। स्वतंत्रता संग्राम में लाला जी के नेतृत्व में फाजिल्का में प्रथम बार विदेशी वस्त्रों की एक बड़ी होली जलाई गई। इसके अलावा उन्होंने पत्रकारिता व शिक्षक के तौर पर काफी नाम कमाया।याद में स्थापितउनकी स्मृति में वर्ष 1960 में एक परिवार नियोजन केंद्र सिविल अस्पताल के सामने खोला गया था। कालांतर में इस केंद्र को लाला सुनाम राय एम.ए. मैमोरियल वैल्फेयर सेंटर के रूप में बदल कर सोशल वैल्फेयर सोसायटी फाजिल्का द्वारा संचालित किया जा रहा है। इस केंद्र में जरूरतमंदों के कल्याण हेतु व अन्य अनेकों गतिविधियां चलाई जा रही है। इसी के प्रांगण में इस वर्ष 14 अक्तूबर को लाला जी की प्रतिमा का अनावरण किया गया। (Lachhman Dost 99140-63937)Lala Sunam Rai M.A. |