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Jul 5, 2017
in the city.
Jul 4, 2017
स्वच्छ भारत अभियान, पर्यावरण और कला से जोडऩे के लिए खोजा नायब तरीका एक परिवार ने पेड़ों पर बिखेरे कला के रंग समाजिक बुराईयों से को खत्म करने के भी लिखे संदेश फाजिल्का, 04 जुलाई(प्रदीप कुमार/रितिश कुक्कड़): फाजिल्का के रेलवे स्टेशन की तरफ से अगर मौहल्ला नईं आबादी इस्लामाबाद की तरफ जाएं तो मौहल्ले के मुहाने पर ही पीपल का पेड़ आप का स्वागत करता नजर आता है। दूसरी तरफ देखें तो किसी पेड़ पर हिरण और किसी पर फूलों के गुलदस्ते नजर आते हैं। ऐसा करीब 1000 फीट की इस रघुवर भवन गली में हरेक पेड़ पर नजर आता है। दो दर्जन से अधिक इस गली के पेड़ों पर विभिन्न जानवारों, पक्षियों, चांद तारे और तरह-तरह के लिखे संदेश नजर आते हैं। जिन्हें देखकर एक बारगी तो ऐसा महसूस होता है, जैसे पक्षी या जानवर पेड़ों से उतर रहे हैं, फूलों के गुलदस्ते हमारा स्वागत कर रहे हों। जी हां, ऐसी हकीकत कर दिखाई है फाजिल्का के इतिहासकार और लेखक लक्षमण दोस्त व उसके परिवार ने। जिन्होंने चार दर्जन से अधिक पेड़ों और बिजली के खम्बों पर सुंदर पेंटिंग की है। उन्होंने लोगों को स्वच्छ भारत अभियान, पर्यावरण और कला से जोडऩे व समाजिक बुराईयों से को खत्म करने का संदेश देने के लिए यह नायब तरीका खोजा है। इससे जहां रघुवार भवन वाली यह गली अन्य गलियों की बजाए अधिक साफ सफाई नजर आती है, वहीं लोगों में पर्यावीरण संरक्षण और समाजिक बुराईयों को खत्म करने का संदेश भी गया है। फाजिल्का के इतिहासकार लछमण दोस्त ने अपनी धर्मपत्नी व लेखिका श्रीमती संतोष चौधरी और बच्चों जन्नत, तमन्ना व विहान के साथ मिलकर करीब डेढ़ माह का समय लगाया है। वह रोजना करीब दो घंटे तक की पेंटिंग करते हैं। रेलवे लाईनों से लेकर फाजिल्का की ऐतिहासिक इमारत रघुवर भवन तक करीब चार दर्जन पेड़ और बिजली के खम्बे हैं। जिन पर यह सुंदर पेंटिंग की गई है। इतिहासकार लक्षमण दोस्त बताते हैं कि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार की तरफ से देश भर में स्वच्छ भारत अभियान चलाया गया है, लेकिन इसके बावजूद अनेक लोग ऐसे हैं जो कूड़ा कर्कट या तो पेड़ के आसपास फैंक देते हैं या फिर बिजली के खम्बे के निकट और बाद में वह कूड़ा नालियों में चला जाता है। जिस कारण नालियां ओवरफ्लो हो जाती हैं और दूषित पानी सडक़ों पर पहुंच जाता है। इसके अलावा प्लास्टिक की थैलियां गलियों में बिखरी नजर आती हैं, जिन्हें पशु खा कर बीमार हो जाते हैं। इस गंदगी से अनेक बीमारियां फैलती हैं। पेड़ों और बिजली के खम्बों के निकट लोग कूड़ा न फैंकें, इसलिए पेड़ों के साथ साथ बिजली के खम्बों को भी पेंट कर दिया गया है। लेखिका संतोष चौधरी ने बताया कि पेड़ों पर जिराफ, बाज, मोर, तितली, हिरण, चिडिय़ा, सितारे, फूल और फल आदि के चित्र बनाए गए हैं। ताकि लोगों को पक्षियों और जानवारों के प्रति अधिक पे्रम बढ़े। इसके अलावा पेड़ों पर बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ, जल बचाओ, पेड़ न काटने और पक्षी बचाने के संदेश देते हुए चित्र बनाए गए हैं। जबकि बिजली के खम्बों पर बिजली, पानी बचाने, सफाई रखने, बेटी पढ़ाने, पेड़ और पक्षी बचाने के संदेश देते हुए चित्र बनाए गए हैं। फाजिल्का के इतिहास पर दो पुस्तकें लोगों को समर्पित करने वाले लक्षमण दोस्त और फाजिल्का के लिए दो गीत लिख चुकी श्रीमती संतोष चौधरी पहले फाजिल्का की ऐतिहासिक इमारतों रघुवार भवन, बंगला और गोली कोठी को ऐतिहासिक इमारतों का दर्जा दिलाने के लिए एक माह तक आंदोलन कर चुके हैं। जिसके चलते पंजाब सरकार के पर्यटन और सांस्कूतिक मामलों के विभाग द्वारा इन इमारतों को ऐतिहासिक इमारतों का दर्ज दिया गया। पांच साल पहले यहीं से गे्रजूएटस वैलफेयर एसोसिएशन की ओर से सांझा चुल्हा और आनंद उत्सव की शुरूआत हुई थी। 2009 में 29 जून को छह गलियों में छह तंदूर लगाकर सांझे चुल्हे की शुरूआत की गई। वह बताते हैं कि अब उनका इरादा है कि रघुवर भवन के निकट सभी पेड़ों पर सुंदर पेंटिंग की जाए ताकि फाजिल्का की सब से पुरानी इस इमारत को देखने के लिए अधिक लोग पहुंचे। इसके अलावा वह इस मौहल्ले को शहर का सबसे अधिक स्वच्छ व सुंदर मौहल्ला बनाने की चाह रखते हैं। मेरा शहर, मेरी गली, मेरी शान सब छोड़े जा रहे थे सफर की निशानियां मैने भी एक नक्शा बनाया दरख्त पर मोहब्बत हो तो ऐसे, मेरे मित्र और फाजिल्का के दोस्त लछमण दोस्त ने हर बार की तरह इस बार भी अपने परिवार के साथ मिलकर कुछ नया कर दिखाया है। उन्होंने अपनी गली और मौहल्ले की वह जगह, जहां अकसर ही लोग कूड़ा फैंक देते थे, उन सभी पेड़ों व बिजली के खम्बो को सुंदर प्राकृतिक रंगों से सजाकर न केवल स्वच्छ भारत का सबको संदेश दिया, बल्कि ऐतिहासिक धरोहर रघुवर भवन को जाने वाली गली को फाजिल्का की सबसे हरी भरी और सुंदर गली भी बना दिया। पांच साल पहले यहीं से गे्रजूएटस वैलफेयर एसोसिएशन की ओर से सांझा चुल्हा और आनंद उत्सव की शुरूआत हुई थी। 2009 में 29 जून को छह गलियों में छह तंदूर लगाकर सांझे चुल्हे की शुरूआत की गई और इस साल भी 29 जून को अपनी गली को इन चित्रों के जरिए दुनियां को वह कर दिखाया, जो आज तक कोई नहीं कर पाया। करीब डेढ़ माह की मेहनत और परिणाम आपके सामने है। शुक्रिया और शायद इससे अच्छा कोई और तोहफा कोई और हो भी नहीं सकता। मौहल्ला व गली अब मिसाल और प्रेरणा है। सफाई की, प्यार मौहब्बत की और दोस्ती की। आईए, अपनी अपनी गली को यूं ही सजाएं और संवारे। आपके नाम के पीछे लगा दोस्त सचमुच में फाजिल्का का दोस्त ही है। उर्दू के मशहूर शायर जौक का शेयर कुछ नए रूप में लछमण दोस्त के लिए। कौन जाए दोस्त, फाजिल्का की गलियां छोडक़र. . .. . । नवदीप असीजा, फाजिल्का
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Jun 21, 2017
Yoga Song Written by Santosh Choudhry Fazilka (Lachhman Dost Mob. No- 95309-98999)
योग
कंधों पर तू ले के, चल रहा है जिम्मेदारियां,आशाएं पूरी कर रहा है तू घर की सारीयां।
अपना फर्ज निभाने में कहीं खुद को भूल न जाना,
स्वस्थ तन ही, स्वस्थ मन ही जिंदगी का खजाना।
हर मनुष्य के जीवन से दूर हो जाए रोग है,
स्वस्थ देश का देता है संदेश ये योग है।
योग है, योग है, योग है, ये योग है-2
योग है, योग है, योग है, ये योग है, यही योग है।
भाग दौड़ है जिंदगी में आराम कहां मिल पाता है,
काम का बोझ बढ़े जब जब, मानव मशीन बन जाता है।
दो पल बैठो, सुस्ता लो भई,
खाना वाना, तुम खा लो भई।
चेहरा ऐसे उतरा जैसे मन में सोग है।
हर मनुष्य के जीवन से दूर हो जाए रोग है,
स्वस्थ देश का देता है संदेश ये योग है।
योग है, योग है, योग है, ये योग है-2
योग है, योग है, योग है, ये योग है, यही योग है।
गर रहना है रिष्ट-पुष्ट तो योगासन कर प्यारे,
घर में खुशियां देखना कैसे महकेगी तुम्हारे।
योगासन के कितने फायदे,
पालन करने हैं कुछ कायदे।
कर के देखो, योग के क्या क्या उपयोग हैं।
हर मनुष्य के जीवन से दूर हो जाए रोग है,
स्वस्थ देश का देता है संदेश ये योग है।
योग है, योग है, योग है, ये योग है-2
योग है, योग है, योग है, ये योग है, यही योग है।
written by - Santosh Choudhry Fazilka
Thousands of people of India in Pakistan shouted with guns On the Zero Line of International Border on the Peer Baba Shah Muhammad Ali's Mazar- Lachhman Dost Fazilka
अंतर्राष्ट्रीय सरहद की जीरो लाईन पर है पीर बाबा शाह मुहम्मद अली की मजार
फाजिल्का 19 जून: भारत पाक के बीच सरहदों की दूरियां आज सिमटती हुई नजर आई। मौका था भारत-पाक सरहद की अंतिम छोर पर बसे फाजिल्का के गांव गुलाबा भैणी में, जहां पीर बाबा शाह मुहम्मद अली की मजार पर मेले का आयोजन किया जाता है। मजार पाकिस्तान की सरहद से महज 10 फीट की दूरी पर है। मेले में भारत-पाक के हजारों श्रद्धालुओं ने सजदा किया। खास बात यह भी है कि मजार तारबंदी के दूसरी ओर है। यहां गेट नंबर 244 है। जहां पहले हर श्रद्धालु को तलाशी देकर मजार पर जाना पड़ता था और यह गेट सिर्फ मेले के दिन ही खोला जाता था। मगर दो साल पहले सीमा सुरक्षा बल की ओर से यह गेट हमेशा के लिए खोल दिया गया था। आज भी मेले में बंदूकों के साए में श्रद्धालुओं ने मजार पर माथा टेका और मन्नतें मांगी। ग्रामीण बलराम सिंह, राज सिंह, मांगा सिंह, लछमण सिंह, दलीप सिंह, बूड़ सिंह, गुरजीत सिंह आदि ने बताया कि बॉर्डर के निकट गांव वल्ले शाह उत्ताड़ था। सतलुज दरिया के निकट होने के कारण बाढ़ से गांव हर बार डूब जाता था। मगर बाढ़ का पानी इस मजार को नहीं डूबो सका। वहां से उठकर ग्रामीणों ने मजार के निकट एक गांव बसाया, जिसे गुलाबा भैणी का नाम दिया गया। यहां पहले से मौजूद पीर बाबा शाह मुहम्मद अली की मजार पर हर साल मेला लगता है। मेले में पहले भारत-पाक के जवानों के बीच कुश्ती और कबड्डी और अन्य कई तरह के मुकाबले होते थे और दूर दराज के क्षेत्रों से जवान इनमें हिस्सा लेते थे। 90 के दशक में जब सरहद के निकट तारबंदी की गई तो मजार तारबंदी के बीच आ गई। सुरक्षा जरूरी है, लेकिन लोगों की आस्था को देखते हुए हर साल मेले के मौके पर बी.एस.एफ. की की तरफ से तारबंदी पर स्थापित गेट नंबर 244 को खोल दिया जाता था। इसी तरह पाकिस्तान की तरफ से भी जांच के बाद श्रद्धालु आते हैं। मगर इस बार भारतीय श्रद्धालुओं ने बेरोक-टोक माथा टेका। इसी वहज वजह से भारत पाक की सरहदें सिमट सी जाती हैं। इस बार पाक श्रद्धालु दूर से ही सजदा कर सके।
Photoes by Pardeep Kumar Fazilka
Feb 19, 2017
The special guests present on this occasion were Sushil Pediwal and Anil Jyani social activists, Paramjit Singh Verarh, President Truck Union, Raj Kumar Pediwal and Ranjam Kamra industrialists, Capt. M.S,Bedi, Jagjt Singh Brar, Director Godwin Public School, Pankaj Dhamija, Commissioner, IPCL India, Dr.Yashpal Jassi.The special guest on this occasion was R.P.Singh Commandant 90Bn BSF.
After releasing the book, Sharma, DIG said, the communities which forget its history are never successful in future.
It is stated in the book that this history will help the young generation and the generation who is to support in future. He said, the incidents and good works, before and after partition of India-Pakistan have been mentioned in the book besides giving details about the wars between the two countries during 1965 and 1971. The book will inculcate the feeling of patriotism among the children.
Sarvan said, there is detailed mention about legacy, heritage and the freedom-fighters is appreciable apart from happenings from time to time in the area.
Lachhman Dost, the writer of book, has made all-out efforts to compile this book Fazilka Ek Mahagatha before dedicating to the people of Fazilka and it itself will become history in future. When the seven centuries old information about the history Fazilka was given by Lachhman Dost, the people standing on the Indo-Pak border were stunned.
Dost said, the works undertaken by the patriots, knowledge given by the gurus is only known from the history. Had we not read the history, we could have been ruined by the enemies and only history has taught us to move on the right path.
He further said, the book also include the visit of Guru Nanak Dev Ji,Shaheed Bhagat Singh to Fazilka, freedom fighters of Fazilka, contribution of different communities in the development of Fazilka, importance of villages of the area apart from British rule and Indo-Pak wars.
Apr 18, 2016
Fazilka admn awaits funds for heritage buildings
Praful Chander Nagpal
Fazilka, April 17- After Fazilka residents held several agitations to save the ancient monuments of the town, the state government had granted the “heritage” status to three buildings by issuing separate notifications in October 2014.
The Culture Affairs, Archaeology and Museum Department (CAAMD), Punjab, had granted heritage status to Raghuvar Bhawan, the Goal Kothi and the Bangla.
It seems that the heritage status was accorded only on paper. “The CAAMD has failed to restore the structures and the government did not provide any amount for the maintenance of these buildings. The condition of the already dilapidated Raghuvar Bhawan is deteriorating day after day as most of its part has already collapsed,” said a local historian Lachhman Dost, who had spearheaded the agitation to get the heritage status for the buildings.
Raghuvar Bhawan, which was constructed in 1901 by a local philanthropist Seth Sunder Mal Bansal, is now on the verge of collapse. At present, the Raghuvar Bhawan is located on the Freedom Fighter Road and is a part of the Improvement Trust colony. Goal Kothi, also known as Bosworth Smith Recreation Club, at the local Government Senior Secondary School for Boys, was constructed during the British regime in 1913. The British officers including women used to carry out recreation activities in Goal Kothi. At present, the office of the District Education Officer (DEO) is being run in this building.
Historical building Bangla (bungalow) was constructed at he behest of British officer Vans Agnew in 1844 on the banks of the Sutlej river and the Badha Lake in lush green area of the town to keep vigil on various kingdoms under the British regime.
The bungalow was later on converted into the Deputy Commissioner’s residence. It is a well-maintained building as the then Deputy Commissioner Basant Garg had spent a hefty amount for the renovation of the building in 2012.Deputy Commissioner, Fazilka, Isha Kalia said no funds had been received for the upkeep of the buildings.
https://www.google.co.in/url?sa=t&rct=j&q=&esrc=s&source=web&cd=6&cad=rja&uact=8&ved=0ahUKEwjEkK7f0pfMAhXIk5QKHX5sC3oQFghCMAU&url=http%3A%2F%2Fwww.tribuneindia.com%2Fnews%2Fpunjab%2Fcommunity%2Ffazilka-admn-awaits-funds-for-heritage-buildings%2F223895.html&usg=AFQjCNEVhsdbmDIIny5IOYczvBAPhVLlNA&sig2=ZxjnDu8GMu62huBQnwwcKA
Feb 7, 2016
DR. BAL RAM JAKHAR जिला फाजिल्का की सियासत के स्तम्ब डाक्टर बलराम जाखड़ का निधन Biographical Sketch Member of Parliament 12th Lok Sabha Father's Name Shri Raja Ram Date of Birth 23 August 1923 Place of Birth Panjkosi, Distt. Ferozepur (Punjab) Marital Status Married in February 1937 Spouse's Name Smt. Rameshwari Devi Children Three sons and two daughters Educational Qualifications B.A.(Hons.) (Sanskrit) Educated at Forman Christian College, Lahore (now in Pakistan) Profession Agriculturist and Farmer, Political and Social Worker, Teacher and Educationist Positions Held 1972-79 Member, Punjab Legislative Assembly (two terms) 1973-77 Deputy Minister, Co-operation, Irrigation and Power, Punjab 1977-79 Leader of the Opposition, Punjab Legislative Assembly Leader, Congress (Indira) Legislature Party 1980 Elected to 7th Lok Sabha 1984 Re-elected to 8th Lok Sabha (2nd term) 1980-89 Speaker, Lok Sabha (two terms) Chairman, (i) Business Advisory Committee; (ii) Rules Committee; (iii)General Purposes Committee; and (iv) Standing Committee of the Conference of Presiding Officers of Legislative Bodies in India President, (i) Indian Parliamentary Group; (ii) National Group of Inter-Parliamentary Union; and (iii) India Branch of the Commonwealth Parliamentary Association 1990-92 General-Secretary, All India Congress Committee (Indira) [A.I.C.C.(I)] 1991-96 Re-elected to 10th Lok Sabha (3rd term) Union Cabinet Minister, Agriculture 1992 onwards Member, Congress Working Committee 1998 Re-elected to 12th Lok Sabha (4th term) Chairman, Committee on Petroleum and Chemicals 1998-99 Member, Committee of Privileges* Member, General Purposes Committee Member, Consultative Committee, Ministry of Agriculture Books Published (i)"People, Parliament and Administration"; and (ii)"New Horizons in Agriculture in India" Literary, Artistic and Scientific Accomplishments Contributed several articles on agriculture, irrigation, power and cooperation, etc.; conferred (i) D. Sc. (Honorary) by Haryana Agriculture University, Hissar; (ii) Vidya Martand (Honorary) by Gurukul Kangri Vishwavidyalaya; (iii) Krishi Ratna Award of W.A.F.M. Trust, New Delhi; and (iv) India Udyan Pandit Award, 1975 Social and Cultural Activities Associated with a number of social, cultural and literary organisations engaged in constructive activities such as upliftment of the downtrodden and the weaker sections of the society, eradication of literacy and rural development, etc. Special Interests Development of agriculture, horticulture and rural areas Favourite Pastime and Recreation Reading, brisk walking and playing chess Sports and Clubs Cricket and volleyball Countries Visited Widely travelled; as Speaker of Lok Sabha, led the Indian Parliamentary Delegations to about 50 countries, 1980-89; as Union Minister of Agriculture, also led several Indian Delegations to various countries, 1991-95 Other Information He has the rare honour of having been elected unanimously twice to the august office of Speaker i.e. firstly of the Seventh Lok Sabha on 22 January, 1980 and secondly of the Eighth Lok Sabha on 16 January 1985 and also earned the rare distinction of being the only Speaker of Lok Sabha in Independent India to have presided over two successive Lok Sabhas for their full terms from 22 January 1980 to 18 December, 1989; Chairman, (i) Third World Hindi Conference, Delhi; (ii) Bharat Krishak Samaj; (iii) Managing Committee, Jallianwala Bagh National Memorial Trust; and (iv) Inter- national Fruit and Vegetable Marketing Association, 1995; Elected Member, (i) Executive Committee, Inter-Parliamentary Union (IPU), 1983; (ii) Commonwealth Parliamentary Association since 1980; and Member, Planning Commission, 1991-96
ਬਾਬੂ ਰਜਬ ਅਲੀ ਦੀ ਕੋਠੀ(Babu Rajjab Ali dee kothi) ਪਿੰਡ Dhippan wali ਦੇ ਕੋਲ ਅਰਨੀਵਾਲਾ ਮਾਈਨਰ ਤੇ ਬਾਬੂ ਰਜਬ ਅਲੀ ਦੀ ਕੋਠੀ ਹੈ, 1939 ਵਿਚ ਜਦੋ ਮਾਈਨਰ ਬਣੀ ਸੀ- ਓਦੋਂ ਬੈਂਤ ਛੰਦ ਦੇ ਰਚਨਹਾਰਾ ਬਾਬੂ ਰਜਬ ਅਲੀ ਨਹਿਰੀ ਵਿਭਾਗ ਵਿਚ ਮੁਲਾਜਮ ਸੀ- ਬੁਗੁਰਗ ਦਸਦੇ ਹਨ ਕਿ ਓਦੋ ਫਾਜ਼ਿਲਕਾ ਇਲਾਕਾ ਖੁਸ਼ਕ ਸੀ-ਬਾਬੂ ਰਜਬ ਅਲੀ ਨੇ ਕਿਸਾਨਾ ਨੂੰ ਨੇਹਰੀ ਪਾਣੀ ਦੇਣ ਲੈ ਮਾਈਨਰ ਵਿਚੋਂ ਕਈ ਮੋਘੇ ਰਖੇ ਸੀ-ਆਖਦੇ ਹਨ ਕਿ ਬਾਬੂ ਰਜਬ ਅਲੀ ਦੀ 2nd mariage ਪਿੰਡ ਗੰਧੜ ਪਿੰਡ ਦੀ ਬੀਬੀ ਫਾਤਿਮਾ ਨਾਲ ਹੋਈ ਸੀ- ਪਰ ਉਸ ਦੀ ਮੋਤ ਹੋ ਗਈ- ਤੀਸਰੀ ਸ਼ਾਦੀ ਅਬੋਹਰ ਨੇੜੇ ਪਿੰਡ ਕਲਾ ਟਿੱਬਾ ਦੀ ਬੀਬੀ ਰਹਮਤ ਨਾਲ ਹੋਈ ਸੀ-
Jan 25, 2016
ਗੰਗ ਕਨਾਲ -ਮਹਾਰਾਜਾ ਗੰਗਾ ਸਿੰਘ ਨੇ ਬਨਵਾਈ ਸੀ ਗੰਗ ਕਨਾਲ -ਗੰਗ ਕਨਾਲ ਦਾ ਨੀਹ ਪਥਰ 5 DEC.1925 ਨੂੰ ਰਖਿਆ ਗਿਆ ਸੀ ਤੇ 26 ਅਕਤੂਬਰ 1927 ਨੂੰ ਇਸ ਦਾ ਉਦਘਾਟਨ ਹੋਇਆ ਸੀ Gang Canal near Bodiwala peetha Fazilka-Abohar road 5 DEC. 1925 ko neev rakhi gai Or 26 Oct. 1927 ko udghatan huya Built by Maharaja Ganga Singh -LACHHMAN DOST-FAZILKA
Jul 13, 2015
Fazilka-Lachhman Dost -सिर्फ 22 साल के थे बंगले के निर्माणकर्ता वंस एगन्यू
इतिहास
सिर्फ 22 साल के थे बंगले के निर्माणकर्ता वंस एगन्यू
बंगले में शुरू दूसरे सिख एंगलो युद्ध में खत्म हुई दास्तान
लछमण दोस्त
हार्श शू लेक के मनमोहक नजारों के किनारे 1844 में एक बंगले का निर्माण करवाया गया था। जिसकी धूम दूर-दूर तक रही है। जिस कारण फाजिल्का का नाम पहले बंगला हुआ करता था। बुजुर्ग आज भी फाजिल्का को बंगला के नाम से जानते हैं। इस बंगले का निर्माण करवाया था ब्रिटिश अधिकारी पैट्रिक एलेगजेंडर वंस एगन्यू ने। तब उनकी आयु मात्र 22 साल की थी। उनकी दास्तान बंगले से शुरू होकर दूसरे सिख एंगलो युद्ध में खत्म हो गई।
तीन बातों में था इत्तेफाक
सियासी अफसरों के साथ शहरों को आबाद करना वंस एगन्यू का मनपसंद काम था। वह तीन बातों में इत्तेफाक रखते थे, पहली बात किसी चीज को आरंभ करने के लिए सही जगह क्या है? दूसरा किन लोगों को मिलना या सुनना चाहिए? उनके जहन में तीसरी बात यह थी कि सब से महत्वपूर्ण कार्य क्या है, जिसे प्राथमिकता के आधार पर किया जाए। इस सोच पर बंगला कस्बा बसाने में उन्होंने प्राथमिकता से काम किया।
वंस एगन्य की दास्तान
वन्स एगन्यू का जन्म 21 अप्रैल 1822 को नागपुर में पैट्रिक वन्स एगन्यू के घर कैथराइन फरेसर की कोख से हुआ। उनके पिता मद्रास आर्मी में लेफ्टीनेंट कर्नल थे। 1841 में बंगाल सिविल सर्विस में ज्वाइंन करने वाला युवा वंस एगन्यू 1844 में फाजिल्का में बंगले का निर्माणकर्ता बन गया। उन्होंने बहावलपुर के नवाब मोहम्मद बहावल खान (तीसरा) से जगह ली और हार्श शू लेक के किनारे बंगले का निर्माण करवाया। जहां हर सरकारी व गैर सरकारी काम होने लगे। दूरदराज से लोग यहां न्याय पाने के लिए आने लगे। सिरसा के अलावा मालवा, सतलुज राज्य की बैठकें तक यहां होने लगी। वंस एगन्यू को 13-12-1845 को फिरोजपुर का अतिरिक्त चार्ज दिया गया। जहां वह 23-02-1846 तक रहे।
मुलतान में खत्म हुआ जिंदगी का सफर
फिर उन्हें लाहौर भेज दिया गया। जब मुलतान के दीवान मूल राज ने पद से इस्तीफा दिया तो मजबूती के लिए ब्रिटिश साम्राज्य ने काहन सिंह को मुलतान का सूबेदार घोषित कर दिया। उनकी सहायता के लिए बंगला के निर्माणकर्ता वंस एगन्यू और विलियम एंडरसन को साथ भेजा गया। मगर नया सूबेदार बनाने से मुलतानी सैनिक खुश नहीं थे। उन्होंने विद्रोह शुरू कर दिया। जब वंस एगन्यू और विलियम एंडरसन के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना विद्रोह दबाने के लिए मुलतान की ओर बढ़ी तो सिखों ने वंस एगन्यू और विलियम एंडरसन को बृज पार करते समय घोड़े से नीचे उतार लिया। दोनों को बुरी तरह से मारपीट करके जख्मी कर दिया गया। जख्मी वंस एगन्यू व विलियम ऐंडरसन को ब्रिटिश सैनिक पनाह यानि ईदगाह में ले गए। 20 अप्रैल 1848 की शाम सिखों का एक झुंड वंस एगन्यू और विलियम एंडरसन की पनाहगाह में घुस गया और दोनों को मार दिया।
-लछमण दोस्त-
पाकिस्तान में मशहूर रहे गज़ल गायक और प्ले बैक सिंगर मेहंदी हसन का जन्म राजस्थान में हुआ और भारत विभाजन के बाद वह परिवार सहित पाकिस्तान चले गए। तब वह 20 वर्ष के थे। फाजिल्का के साथ उनकी एक अहम याद जुड़ी है। जिस कारण यहां के गायक आज भी उन्हें याद करते हैं। मेहंदी हसन खान का जन्म 18 जुलाई 1927 को हुआ और भारत-पाक में किंग ऑफ गज़ल के नाम से प्रसिद्ध रहे। उनका निधन 13 जुलाई 2012 को कराची के एक अस्पताल में हुआ था।
यह जुड़ी है याद
मेहंदी हसन को बचपन में ही गाने का शौंक था। उनके पिता उस्ताद अजीम खान प्रसिद्ध गायक थे। बात 1935 की है, जब वह फाजिल्का के बंगले (मौजूदा डीसी हाऊस) में अपने पिता के साथ एक प्रोग्राम करने के लिए आए थे। यह उनकी पहली प्रोफॉमेंस थी। इस दौरान मेहंदी हसन ने ध्रूप्द एवं ख्याल ताल में गज़ल गाई थी। इसका खुलासा संगीत पर पुस्तकें लिख चुके व फाजिल्का के गज़ल गायक डॉ. विजय प्रवीण ने किया है।
इसलिए आए थे फाजिल्का
मेहंदी हसन के पिता राज गायक बनना चाहते थे। उन्होंने इस बारे में जिला सिरसा के डीसी जे.एच. ओलिवर से इस बारे में निवेदन किया था। ओलिवर उनकी प्रोफॉर्मेंस सुनना चाहते थे ताकि इस बारे फैसला लिया जा सके। इस कारण मेहंदी हसन व उनके पिता फाजिल्का आए थे। जहां उन्होंने अपना प्रोफॉर्मेंस दिया। मगर ओलिवर ने उन्हें राज गायक का खिताब नहीं दिया।
25 हजार गाई गजलें
डॉ. विजय प्रवीण ने बताया कि मेहंदी हसन ने 25 हजार से अधिक गज़लें गाई हैं। उन्होंने दो दो राग मिलाकर गज़लों को नया रूप देकर गाया था। इनमें चिराग तूर जलाओ बड़ा अंधेरा है भी एक है।
Lachhman Dost- Fazilka