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Sep 21, 2017




























Beautiful painting on the trees - by lachhman Dost and his team Fazilka 
कला का काफिला पहुंचा देश के आखिरी गांव
तीन तरफ से पाकिस्तान से घिरे गांव में गूंजा मोदी का स्वच्छता का नारा
दोस्त के नेतृत्व में टीम ने गांव मुहार जमशेर के सरकारी स्कूल की पेंटिंग से बदली नुहार 
LACHHMAN DOST- FAZILKA
फाजिल्का/ कला का जो सफर फाजिल्का के एक मोहल्ले से शुरू हुआ था, वो अब बढ़ते बढ़ते पड़ोसी मुल्क की सरहद को छूने लगा है। भारत पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सरहद पर स्थित तीन तरफ से पाकिस्तान और चौथी तरफ से सतलुज दरिया में घिरे गांव मुहार जमशेर के सरकारी प्राइमरी स्कूल में फाजिल्का की हरफनमौला शख्सियत लछमन दोस्त व उनकी टीम ने पीएम मोदी का स्वच्छता का संदेश अपनी मनमोहक पेंटिंग से पहुंचाया है। महज तीन दिन के अल्प समय में टीम ने स्कूल में लगे पेड़ों को मनमोहक चित्रों से सरोबार कर दिया है। इस बारे में जानकारी देते हुए स्कूल अध्यापक स्वीकार गांधी वह गौरव मदान ने बताया कि भारत पाकिस्तान सरहद पर स्थित तारबंदी के निकट इस स्कूल में फाजिल्का के इतिहासकार लछमण दोस्त के ग्रुप की ओर से 35 पेड़ों पर विभिन्न तरह की चित्रकारी और कलाकृतियां बनाई गई हैं। इससे जहां स्कूल की सुंदरता में इजाफा हुआ है, वहीं स्कूल के बच्चों को भी बहुत कुछ सीखने को मिलेगा व बच्चों के स्कूल आने की रूचि भी बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि भारत के अंतिम छौर पर बसे गांव मुहार जमशेर के सरकारी प्राइमरी स्कूल में सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों व जवानों के अलावा कई बार पर्यटकों का भी आना जाना रहता है। क्योंकि यह गांव पंजाब का एक अलग गांव हैं और सरहद की जीरों लाईन पर बसा हुआ है। उन्होंने बताया कि इससे स्कूल में आने वाले बच्चों के परिजनों को भी स्वच्छता का संदेश मिलेगा। पेड़ों पर चित्रकारी कर रहे विशु तनेजा और संतोष चौधरी ने बताया कि स्कूल में पेड़ों पर राष्ट्रीय पक्षी मोर सहित तरह तरह के पक्षी, मिक्की माउस, पुस्तकें, पंैसिल सहित बच्चों के सीखने के लिए विभिन्न तरह की चित्रकारी की गई है। उन्होंने बताया कि बच्चों के लिए पेड़ों पर खिलौने, खेल और पुस्तकें आदि बनाने का मकसद है कि बच्चे उन चित्रों से कुछ सीख सकें। इससे बच्चों को जहां सीख मिलेगी, वहीं बच्चों का ध्यान सफाई की तरफ भी बढ़ेगा और वह सीखकर अपने आसपास व घरों की सफाई का खास ध्यान रखेंगे। लछमण दोस्त ने बताया कि उनके ग्रुप की तरफ से फाजिल्का को कलरफुल बनाने का सपना संजोया गया है। इसके तहत ग्रुप पहले फाजिल्का के प्रताप बाग, भारत पाकिस्तान की सादकी चौकी, फाजिल्का के पशु अस्पताल और नईं आबादी इस्लामालाद, मौजम रेलवे क्रॉसिंग और रामलीला के मैदान में पेड़ों पर रेलवे पोल व बिजली के खम्बों पर चित्रकारी की जा चुकी है। 
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Art's convoy reached the last village of the country
Modi's cleanliness slogan gunga in three villages, surrounded by Pakistan
Under the leadership of the team, the team replaced the painting of the government school of village Muhar Jamsher
Fazilka / - The journey of art which started from a district of Fazilka, has now begun to touch the border of the ever increasing neighboring country. India on the Pakistan International border, on behalf of Pakistan and on the fourth side, the village of Sutlej Dariya, situated in the Government Primary School of Mashar Jamser, the all-round folklore of Fazilka, Lachman Dost and his team conveyed the message of cleanliness of PM Modi with his lovely paintings. In just a short span of three days, the team has parked trees in the school with picturesque pictures. Giving this information, Teacher Mr Savikar Gandhi and Mr GauraV Madan said that according to the group of historians Lachhman Dost, a group of paintings and art works have been made on 35 trees by Fazilka historian Lachhman Dast, near this school, near the Tarbandi on India-Pakistan border. With this, where the beauty of the school has increased, the children of the school will also learn a lot and children's interest in coming to school will also increase. He said that besides the officers and jawans of Border Security Force, there is also a visit to the government primary school of Muhar Jamsher village, situated at the last resort of India. Because this village is a separate village of Punjab and the border of the border is settled on the line. He said that this will also give the message of cleanliness to the families of children coming to school. Vishu Taneja and Santosh Chaudhary, who are painting on the trees, told that a variety of paintings have been done for the children, including national bird peacock, on trees, for learning different types of birds, mickey mouse, books, pacias. He said that it is intended for children to make toys, games and books etc. on trees that children can learn from those pictures. Where children can learn, children's attention will also increase towards cleanliness and they will learn special care of cleaning their surroundings and houses. Lachhman Dost said that the dream of making Fazilka colorful from the side of his group has been preserved. Under this, the group has already been painted on railway pole and electric poles on trees in Pratap Bagh of Fazilka, Sardaki Chowki of India Pakistan, Animal Hospital of Fazilka and new Abadi Islamamad, Mojam railway crossing and Ramlila grounds.
By- Lachhman Dost-
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Aug 14, 2017

फाजिल्का,
भारत पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सरहद पर स्थित सादकी बॉर्डर (महावीर चौकी) पर स्वतंत्रता दिवस और रोजाना होने वाली रीट्रीट सैरेमनी और वहां होने वाले अन्य समारोह में पहुंचने वाले हजारों दर्शकों को इस बार पेड़ देश भक्ति का गाथा सुनाएंगे। क्योंकि सादकी बॉर्डर पर रोपित बड़े पेड़ों पर देश भक्ति की भावना भरने वाले गाथाओं के अलावा हर पेड़ पर राष्ट्रीय भावना से सबंधित सुंदर चित्र बनाए गए हैं। जिन की शुरूआत सादकी बॉर्डर से कर दी गई है। फाजिल्का शहर में 200 से अधिक पेड़ों पर सुंदर चित्रकारी बना चुके फाजिल्का के इतिहासकार लछमण दोस्त की अगवाई में सादकी बॉर्डर पर स्थित पेड़ों पर देश भक्ति से सबंधित चित्रकारी का कार्य शुरू कर दिया गया है। इस कार्य में लछमण दोस्त की टीम ने सीमा सुरक्षा बल के सहयोग से शुरू किया है। उनकी टीम में श्रीमती संतोष चौधरी, विशु तनेजा, कृष्ण तनेजा, सोनिया कंबोज, जन्नत, खुशी, तमन्ना, आयुश आदि शामिल हैं। बॉर्डर पर शुरूआत के वक्त सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी, जवान और सी.सु.ब. के विशेष सहयोगी लीलाधर शर्मा के अलावा हैप्पी चुघ, पंकज धमीजा, हरमीत सिंह आदि मौजूद थे। जानकारी देते हुए लछमण दोस्त ने बताया कि सादकी बॉर्डर पर 15 अगस्त के दिन करीब 30 हजार दर्शक और रोजाना रीट्रीट के समय भी भारी तादाद में दर्शक पहुंचते हैं। इसके अलावा अनेक प्रदेशों से पर्यटक भी पहुंचते हैं। उन्होंने बताया कि पेड़ों पर पेंटिंग करने का उद्देश्य वहां आने वाले दर्शकों में और अधिक देश भक्ति की भावना भरना है। उन्होंने बताया कि अब दर्शकों के वहां पहुंचने पर पेड़ों लिखी देश भक्तों की गाथाओं, देश भक्ति से सबंधित चित्रों को देखकर ही उनके दिलों में देश भक्ति के प्रति अधिक जोश व उत्साह उभरेगा। उन्होंने बताया कि पेंट उपलब्ध करवाने में समाजसेवक महेश नागपाल ने सहयोग दिया है। लेखिका संतोष चौधरी व विशु तनेजा ने बताया कि पेड़ों पर भारत माता, राष्ट्रीय ध्वज, भारत का नक्शा, तीन रंगों में पक्षी आदि बनाए गए हैं। इसके अलावा देश भक्ति की भावना भरने वाले स्लोगन लिखे गए हैं। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान की तरफ से नजर आने वाले पेड़ों पर शेर के चित्र बनाए गए हैं ताकि पाकिस्तान को पता चल सके कि भारत का हर जवान शेर जैसी ताकत रखता है और भारत दुनियां का राजा बनने की भी हिम्मत रखता है। उन्होंने बताया कि पेड़ों पर फूल आदि भी बनाए गए हैं ताकि पाकिस्तान को भी पता चल सके कि भारत की खुश्बूदार मिट्टी के चलते भारत का हर व्यक्ति देश पर आने वाली हर समस्या का डटकर सामना करने की हिम्मत रखता है और वह इस खुश्बूदार मिट्टी के लिए अपनी जान तक कुर्बान करने को भी तैयार है। Lachhman Dost Fazilka









Sadeki will narrate the trees on the border
 Fajilka, India, on the Pakistan-Pakistan border, on the Sardaki Border (Mahavir Chauki), will celebrate Independence Day and Daily Retreat Sareemi and thousands of other people who are attending the festival there, this time the tree will recite the saga of nation devotion. Apart from the stories that fill the feeling of patriotism on the big trees planted on the Sardaki border, beautiful scenes related to the national sentiment have been made on every tree. Those who have been started with Sadaki Border Under the leadership of Fazilka historian Lachman Dost, who has made beautiful paintings on over 200 trees in the city of Fazilka, the work of painting related to patriotism has been started on the trees situated on the Sardki border. In this work, the team of Lachhman Dost started with the help of Border Security Force. His team included Mrs. Santosh Chaudhary, Vishu Taneja, Krishna Taneja, Sonia Kamboj, Jannat, Happiness, Tamanna, Ayush etc. At the beginning of the border, officers of Border Security Force, Jawan and C. Sub. Apart from the special colleague Liladhar Sharma, Happy Chugh, Pankaj Dhamija, Harmeet Singh etc. were present. Giving information, Lakhman said that on the 15th of August on the border of Saadki, the audience reaches a huge crowd at around 30 thousand viewers and daily retreat. Apart from this, tourists also come from many states. He said that the aim of painting on trees is to fill the feeling of more patriotism in the audience coming there. He told that after seeing the audience, the trees and the images of the country's devotees, the images related to patriotism, will be more enthusiastic and enthusiasm towards the country's devotion in their hearts. He told that social worker Mahesh Nagpal has contributed in providing paints. The author Santosh Chaudhary and Vishu Taneja said that on the trees, Bharat Mata, National Flag, India map, Birds in three colors have been made etc. Apart from this, slogans who have fostered a sense of patriotism have been written. They said that pictures of lions have been made on the trees seen by Pakistan, so that Pakistan can know that every young man in India has the strength of the lion and India also has the courage to become the king of the world. They said that flowers are also made on trees so that Pakistan can also know that every person of India has the courage to face every problem that comes to the country due to the fragile clay of India and it is for this fragile soil. It is also ready to sacrifice your life. He told that the painting on the trees of patriotism will be dedicated to the audience on the auspicious occasion of Independence Day.
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Jul 5, 2017

Discoverable way to connect with Swachh Bharat Abhiyan, Environment and Art
A family has painted art on the trees
Messages written to eliminate social evils
Fazilka, 04 July- If the mohalla population towards Islamabad from Fazilka's railway station, then the Peepal tree is welcomed at the mouth of the mohalla. On the other hand, on any tree there are deer and flower bouquets on any tree. This is about 1000 feet in the Raghuvar Bhawan street on every tree. More than two dozen trees on this street show different types of messages, birds, moon stars and various types of written messages. Those who see them at one time feel like they are descending from the trees, like birds or animals, flowers bouquets welcome us. Yes, such a reality is visible by Fazilka historian and writer Laxman Dost and his family. Those who have beautiful paintings on more than four dozen trees and electric pillars. He has discovered this non-existent way to give people a message of 'clean India' campaign, connecting with the environment and art and eliminating social evils. From this, where this street with Raghuvar Bhavan appears to be more clean than other lanes, there is also a message to eliminate environmental protection and social evils among the people. Fazilka historian Lachman Dost, together with his wife and writer Smt. Santosh Chaudhary and children Jannat, Tamanna and Vihan, spent nearly a month and a half. They spend about two hours of painting. From railway lines to the historic building of Fazilka to Raghuvar Bhavan, there are about four dozen trees and electric poles. On which this beautiful painting has been done. Historian Laxman Mitra points out that the Swachh Bharat campaign has been launched across the country on behalf of the Prime Minister of India, Shri Narendra Modi, but despite this, there are many people who, like the garbage skeleton, either hang the tree around or the pole of electricity Near and later he goes into the waste streams. Due to which the drains overflow and the contaminated water reaches the roads. Apart from this, plastic bags are scattered in the streets, who become ill by eating animals. Many disorders spread through this mess. People do not dump the garbage near trees and electric poles, so along with trees, the electric poles have been painted. Writer Santosh Chaudhary said that pictures of Giraffe, Eagle, Peacock, Butterfly, Deer, Pineapple, Stars, Flowers and Fruits etc. have been made on trees. So that people are more interested in birds and animals. Apart from this, teach daughters on trees, save daughter, save water, pictures are not created, giving birth to trees and saving birds. While painting has been made on the pillars of electric power, saving water, keeping cleaned, teaching daughter, giving messages of trees and birds. Shrimati Santosh Chaudhary, who wrote two songs for two books on the history of Fazilka dedicated to the people, dedicated the people to Laskan Dost and Fazilka, had organized a month-long movement to get the historic buildings of Fazilka to the Raghuvar Bhawan, Bangla and Bullet Kothi. Are there. Due to this, the buildings of these buildings were recorded by the department of tourism and cultural affairs of the Punjab Government. Five years ago, this was the start of the Sangjha Chalha and Anand festival by the Greyjuace Welfare Association. On June 29, 2009, six rooftops in the six lanes started the rooftops. He explains that now his intention is to paint beautifully on all the trees near Raghuvar Bhavan so that more people visit Fazilka to see the oldest building. Apart from this he wants to make this mohalla the most clean and beautiful mohala
स्वच्छ भारत अभियान, पर्यावरण और कला से जोडऩे के लिए खोजा नायब तरीका
एक परिवार ने पेड़ों पर बिखेरे कला के रंग
समाजिक बुराईयों से को खत्म करने के भी लिखे संदेश
फाजिल्का, 04 जुलाई- फाजिल्का के रेलवे स्टेशन की तरफ से अगर मौहल्ला नईं आबादी इस्लामाबाद की तरफ जाएं तो मौहल्ले के मुहाने पर ही पीपल का पेड़ आप का स्वागत करता नजर आता है। दूसरी तरफ देखें तो किसी पेड़ पर हिरण और किसी पर फूलों के गुलदस्ते नजर आते हैं। ऐसा करीब 1000 फीट की इस रघुवर भवन गली में हरेक पेड़ पर नजर आता है। दो दर्जन से अधिक इस गली के पेड़ों पर विभिन्न जानवारों, पक्षियों, चांद तारे और तरह-तरह के लिखे संदेश नजर आते हैं। जिन्हें देखकर एक बारगी तो ऐसा महसूस होता है, जैसे पक्षी या जानवर पेड़ों से उतर रहे हैं, फूलों के गुलदस्ते हमारा स्वागत कर रहे हों। जी हां, ऐसी हकीकत कर दिखाई है फाजिल्का के इतिहासकार और लेखक लक्षमण दोस्त व उसके परिवार ने। जिन्होंने चार दर्जन से अधिक पेड़ों और बिजली के खम्बों पर सुंदर पेंटिंग की है। उन्होंने लोगों को स्वच्छ भारत अभियान, पर्यावरण और कला से जोडऩे व समाजिक बुराईयों से को खत्म करने का संदेश देने के लिए यह नायब तरीका खोजा है। इससे जहां रघुवार भवन वाली यह गली अन्य गलियों की बजाए अधिक साफ सफाई नजर आती है, वहीं लोगों में पर्यावीरण संरक्षण और समाजिक बुराईयों को खत्म करने का संदेश भी गया है। फाजिल्का के इतिहासकार लछमण दोस्त ने अपनी धर्मपत्नी व लेखिका श्रीमती संतोष चौधरी और बच्चों जन्नत, तमन्ना व विहान के साथ मिलकर करीब डेढ़ माह का समय लगाया है। वह रोजना करीब दो घंटे तक की पेंटिंग करते हैं। रेलवे लाईनों से लेकर फाजिल्का की ऐतिहासिक इमारत रघुवर भवन तक करीब चार दर्जन पेड़ और बिजली के खम्बे हैं। जिन पर यह सुंदर पेंटिंग की गई है। इतिहासकार लक्षमण दोस्त बताते हैं कि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार की तरफ से देश भर में स्वच्छ भारत अभियान चलाया गया है, लेकिन इसके बावजूद अनेक लोग ऐसे हैं जो कूड़ा कर्कट या तो पेड़ के आसपास फैंक देते हैं या फिर बिजली के खम्बे के निकट और बाद में वह कूड़ा नालियों में चला जाता है। जिस कारण नालियां ओवरफ्लो हो जाती हैं और दूषित पानी सडक़ों पर पहुंच जाता है। इसके अलावा प्लास्टिक की थैलियां गलियों में बिखरी नजर आती हैं, जिन्हें पशु खा कर बीमार हो जाते हैं। इस गंदगी से अनेक बीमारियां फैलती हैं। पेड़ों और बिजली के खम्बों के निकट लोग कूड़ा न फैंकें, इसलिए पेड़ों के साथ साथ बिजली के खम्बों को भी पेंट कर दिया गया है। लेखिका संतोष चौधरी ने बताया कि पेड़ों पर जिराफ, बाज, मोर, तितली, हिरण, चिडिय़ा, सितारे, फूल और फल आदि के चित्र बनाए गए हैं। ताकि लोगों को पक्षियों और जानवारों के प्रति अधिक पे्रम बढ़े। इसके अलावा पेड़ों पर बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ, जल बचाओ, पेड़ न काटने और पक्षी बचाने के संदेश देते हुए चित्र बनाए गए हैं। जबकि बिजली के खम्बों पर बिजली, पानी बचाने, सफाई रखने, बेटी पढ़ाने, पेड़ और पक्षी बचाने के संदेश देते हुए चित्र बनाए गए हैं। फाजिल्का के इतिहास पर दो पुस्तकें लोगों को समर्पित करने वाले लक्षमण दोस्त और फाजिल्का के लिए दो गीत लिख चुकी श्रीमती संतोष चौधरी पहले फाजिल्का की ऐतिहासिक इमारतों रघुवार भवन, बंगला और गोली कोठी को ऐतिहासिक इमारतों का दर्जा दिलाने के लिए एक माह तक आंदोलन कर चुके हैं। जिसके चलते पंजाब सरकार के पर्यटन और सांस्कूतिक मामलों के विभाग द्वारा इन इमारतों को ऐतिहासिक इमारतों का दर्ज दिया गया। पांच साल पहले यहीं से गे्रजूएटस वैलफेयर एसोसिएशन की ओर से सांझा चुल्हा और आनंद उत्सव की शुरूआत हुई थी। 2009 में 29 जून को छह गलियों में छह तंदूर लगाकर सांझे चुल्हे की शुरूआत की गई। वह बताते हैं कि अब उनका इरादा है कि रघुवर भवन के निकट सभी पेड़ों पर सुंदर पेंटिंग की जाए ताकि फाजिल्का की सब से पुरानी इस इमारत को देखने के लिए अधिक लोग पहुंचे। इसके अलावा वह इस मौहल्ले को शहर का सबसे अधिक स्वच्छ व सुंदर मौहल्ला बनाने की चाह रखते हैं।









in the city.
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Jul 4, 2017

स्वच्छ भारत अभियान, पर्यावरण और कला से जोडऩे के लिए खोजा नायब तरीका एक परिवार ने पेड़ों पर बिखेरे कला के रंग समाजिक बुराईयों से को खत्म करने के भी लिखे संदेश फाजिल्का, 04 जुलाई(प्रदीप कुमार/रितिश कुक्कड़): फाजिल्का के रेलवे स्टेशन की तरफ से अगर मौहल्ला नईं आबादी इस्लामाबाद की तरफ जाएं तो मौहल्ले के मुहाने पर ही पीपल का पेड़ आप का स्वागत करता नजर आता है। दूसरी तरफ देखें तो किसी पेड़ पर हिरण और किसी पर फूलों के गुलदस्ते नजर आते हैं। ऐसा करीब 1000 फीट की इस रघुवर भवन गली में हरेक पेड़ पर नजर आता है। दो दर्जन से अधिक इस गली के पेड़ों पर विभिन्न जानवारों, पक्षियों, चांद तारे और तरह-तरह के लिखे संदेश नजर आते हैं। जिन्हें देखकर एक बारगी तो ऐसा महसूस होता है, जैसे पक्षी या जानवर पेड़ों से उतर रहे हैं, फूलों के गुलदस्ते हमारा स्वागत कर रहे हों। जी हां, ऐसी हकीकत कर दिखाई है फाजिल्का के इतिहासकार और लेखक लक्षमण दोस्त व उसके परिवार ने। जिन्होंने चार दर्जन से अधिक पेड़ों और बिजली के खम्बों पर सुंदर पेंटिंग की है। उन्होंने लोगों को स्वच्छ भारत अभियान, पर्यावरण और कला से जोडऩे व समाजिक बुराईयों से को खत्म करने का संदेश देने के लिए यह नायब तरीका खोजा है। इससे जहां रघुवार भवन वाली यह गली अन्य गलियों की बजाए अधिक साफ सफाई नजर आती है, वहीं लोगों में पर्यावीरण संरक्षण और समाजिक बुराईयों को खत्म करने का संदेश भी गया है। फाजिल्का के इतिहासकार लछमण दोस्त ने अपनी धर्मपत्नी व लेखिका श्रीमती संतोष चौधरी और बच्चों जन्नत, तमन्ना व विहान के साथ मिलकर करीब डेढ़ माह का समय लगाया है। वह रोजना करीब दो घंटे तक की पेंटिंग करते हैं। रेलवे लाईनों से लेकर फाजिल्का की ऐतिहासिक इमारत रघुवर भवन तक करीब चार दर्जन पेड़ और बिजली के खम्बे हैं। जिन पर यह सुंदर पेंटिंग की गई है। इतिहासकार लक्षमण दोस्त बताते हैं कि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार की तरफ से देश भर में स्वच्छ भारत अभियान चलाया गया है, लेकिन इसके बावजूद अनेक लोग ऐसे हैं जो कूड़ा कर्कट या तो पेड़ के आसपास फैंक देते हैं या फिर बिजली के खम्बे के निकट और बाद में वह कूड़ा नालियों में चला जाता है। जिस कारण नालियां ओवरफ्लो हो जाती हैं और दूषित पानी सडक़ों पर पहुंच जाता है। इसके अलावा प्लास्टिक की थैलियां गलियों में बिखरी नजर आती हैं, जिन्हें पशु खा कर बीमार हो जाते हैं। इस गंदगी से अनेक बीमारियां फैलती हैं। पेड़ों और बिजली के खम्बों के निकट लोग कूड़ा न फैंकें, इसलिए पेड़ों के साथ साथ बिजली के खम्बों को भी पेंट कर दिया गया है। लेखिका संतोष चौधरी ने बताया कि पेड़ों पर जिराफ, बाज, मोर, तितली, हिरण, चिडिय़ा, सितारे, फूल और फल आदि के चित्र बनाए गए हैं। ताकि लोगों को पक्षियों और जानवारों के प्रति अधिक पे्रम बढ़े। इसके अलावा पेड़ों पर बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ, जल बचाओ, पेड़ न काटने और पक्षी बचाने के संदेश देते हुए चित्र बनाए गए हैं। जबकि बिजली के खम्बों पर बिजली, पानी बचाने, सफाई रखने, बेटी पढ़ाने, पेड़ और पक्षी बचाने के संदेश देते हुए चित्र बनाए गए हैं। फाजिल्का के इतिहास पर दो पुस्तकें लोगों को समर्पित करने वाले लक्षमण दोस्त और फाजिल्का के लिए दो गीत लिख चुकी श्रीमती संतोष चौधरी पहले फाजिल्का की ऐतिहासिक इमारतों रघुवार भवन, बंगला और गोली कोठी को ऐतिहासिक इमारतों का दर्जा दिलाने के लिए एक माह तक आंदोलन कर चुके हैं। जिसके चलते पंजाब सरकार के पर्यटन और सांस्कूतिक मामलों के विभाग द्वारा इन इमारतों को ऐतिहासिक इमारतों का दर्ज दिया गया। पांच साल पहले यहीं से गे्रजूएटस वैलफेयर एसोसिएशन की ओर से सांझा चुल्हा और आनंद उत्सव की शुरूआत हुई थी। 2009 में 29 जून को छह गलियों में छह तंदूर लगाकर सांझे चुल्हे की शुरूआत की गई। वह बताते हैं कि अब उनका इरादा है कि रघुवर भवन के निकट सभी पेड़ों पर सुंदर पेंटिंग की जाए ताकि फाजिल्का की सब से पुरानी इस इमारत को देखने के लिए अधिक लोग पहुंचे। इसके अलावा वह इस मौहल्ले को शहर का सबसे अधिक स्वच्छ व सुंदर मौहल्ला बनाने की चाह रखते हैं। मेरा शहर, मेरी गली, मेरी शान सब छोड़े जा रहे थे सफर की निशानियां मैने भी एक नक्शा बनाया दरख्त पर मोहब्बत हो तो ऐसे, मेरे मित्र और फाजिल्का के दोस्त लछमण दोस्त ने हर बार की तरह इस बार भी अपने परिवार के साथ मिलकर कुछ नया कर दिखाया है। उन्होंने अपनी गली और मौहल्ले की वह जगह, जहां अकसर ही लोग कूड़ा फैंक देते थे, उन सभी पेड़ों व बिजली के खम्बो को सुंदर प्राकृतिक रंगों से सजाकर न केवल स्वच्छ भारत का सबको संदेश दिया, बल्कि ऐतिहासिक धरोहर रघुवर भवन को जाने वाली गली को फाजिल्का की सबसे हरी भरी और सुंदर गली भी बना दिया। पांच साल पहले यहीं से गे्रजूएटस वैलफेयर एसोसिएशन की ओर से सांझा चुल्हा और आनंद उत्सव की शुरूआत हुई थी। 2009 में 29 जून को छह गलियों में छह तंदूर लगाकर सांझे चुल्हे की शुरूआत की गई और इस साल भी 29 जून को अपनी गली को इन चित्रों के जरिए दुनियां को वह कर दिखाया, जो आज तक कोई नहीं कर पाया। करीब डेढ़ माह की मेहनत और परिणाम आपके सामने है। शुक्रिया और शायद इससे अच्छा कोई और तोहफा कोई और हो भी नहीं सकता। मौहल्ला व गली अब मिसाल और प्रेरणा है। सफाई की, प्यार मौहब्बत की और दोस्ती की। आईए, अपनी अपनी गली को यूं ही सजाएं और संवारे। आपके नाम के पीछे लगा दोस्त सचमुच में फाजिल्का का दोस्त ही है। उर्दू के मशहूर शायर जौक का शेयर कुछ नए रूप में लछमण दोस्त के लिए। कौन जाए दोस्त, फाजिल्का की गलियां छोडक़र. . .. . । नवदीप असीजा, फाजिल्का

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एक परिवार ने पेड़ों पर बिखेरे कला के रंग
समाजिक बुराईयों से को खत्म करने के भी लिखे संदेश
फाजिल्का, 04 जुलाई(प्रदीप कुमार/रितिश कुक्कड़): फाजिल्का के रेलवे स्टेशन की तरफ से अगर मौहल्ला नईं आबादी इस्लामाबाद की तरफ जाएं तो मौहल्ले के मुहाने पर ही पीपल का पेड़ आप का स्वागत करता नजर आता है। दूसरी तरफ देखें तो किसी पेड़ पर हिरण और किसी पर फूलों के गुलदस्ते नजर आते हैं। ऐसा करीब 1000 फीट की इस रघुवर भवन गली में हरेक पेड़ पर नजर आता है। दो दर्जन से अधिक इस गली के पेड़ों पर विभिन्न जानवारों, पक्षियों, चांद तारे और तरह-तरह के लिखे संदेश नजर आते हैं। जिन्हें देखकर एक बारगी तो ऐसा महसूस होता है, जैसे पक्षी या जानवर पेड़ों से उतर रहे हैं, फूलों के गुलदस्ते हमारा स्वागत कर रहे हों। जी हां, ऐसी हकीकत कर दिखाई है फाजिल्का के इतिहासकार और लेखक लक्षमण दोस्त उसके परिवार ने। जिन्होंने चार दर्जन से अधिक पेड़ों और बिजली के खम्बों पर सुंदर पेंटिंग की है। उन्होंने लोगों को स्वच्छ भारत अभियान, पर्यावरण और कला से जोडऩे समाजिक बुराईयों से को खत्म करने का संदेश देने के लिए यह नायब तरीका खोजा है। इससे जहां रघुवार भवन वाली यह गली अन्य गलियों की बजाए अधिक साफ सफाई नजर आती है, वहीं लोगों में पर्यावीरण संरक्षण और समाजिक बुराईयों को खत्म करने का संदेश भी गया है। फाजिल्का के इतिहासकार लछमण दोस्त ने अपनी धर्मपत्नी लेखिका श्रीमती संतोष चौधरी और बच्चों जन्नत, तमन्ना विहान के साथ मिलकर करीब डेढ़ माह का समय लगाया है। वह रोजना करीब दो घंटे तक की पेंटिंग करते हैं। रेलवे लाईनों से लेकर फाजिल्का की ऐतिहासिक इमारत रघुवर भवन तक करीब चार दर्जन पेड़ और बिजली के खम्बे हैं। जिन पर यह सुंदर पेंटिंग की गई है। इतिहासकार लक्षमण दोस्त बताते हैं कि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार की तरफ से देश भर में स्वच्छ भारत अभियान चलाया गया है, लेकिन इसके बावजूद अनेक लोग ऐसे हैं जो कूड़ा कर्कट या तो पेड़ के आसपास फैंक देते हैं या फिर बिजली के खम्बे के निकट और बाद में वह कूड़ा नालियों में चला जाता है। जिस कारण नालियां ओवरफ्लो हो जाती हैं और दूषित पानी सडक़ों पर पहुंच जाता है। इसके अलावा प्लास्टिक की थैलियां गलियों में बिखरी नजर आती हैं, जिन्हें पशु खा कर बीमार हो जाते हैं। इस गंदगी से अनेक बीमारियां फैलती हैं। पेड़ों और बिजली के खम्बों के निकट लोग कूड़ा फैंकें, इसलिए पेड़ों के साथ साथ बिजली के खम्बों को भी पेंट कर दिया गया है। लेखिका संतोष चौधरी ने बताया कि पेड़ों पर जिराफ, बाज, मोर, तितली, हिरण, चिडिय़ा, सितारे, फूल और फल आदि के चित्र बनाए गए हैं। ताकि लोगों को पक्षियों और जानवारों के प्रति अधिक पे्रम बढ़े। इसके अलावा पेड़ों पर बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ, जल बचाओ, पेड़ काटने और पक्षी बचाने के संदेश देते हुए चित्र बनाए गए हैं। जबकि बिजली के खम्बों पर बिजली, पानी बचाने, सफाई रखने, बेटी पढ़ाने, पेड़ और पक्षी बचाने के संदेश देते हुए चित्र बनाए गए हैं। फाजिल्का के इतिहास पर दो पुस्तकें लोगों को समर्पित करने वाले लक्षमण दोस्त और फाजिल्का के लिए दो गीत लिख चुकी श्रीमती संतोष चौधरी पहले फाजिल्का की ऐतिहासिक इमारतों रघुवार भवन, बंगला और गोली कोठी को ऐतिहासिक इमारतों का दर्जा दिलाने के लिए एक माह तक आंदोलन कर चुके हैं। जिसके चलते पंजाब सरकार के पर्यटन और सांस्कूतिक मामलों के विभाग द्वारा इन इमारतों को ऐतिहासिक इमारतों का दर्ज दिया गया। पांच साल पहले यहीं से गे्रजूएटस वैलफेयर एसोसिएशन की ओर से सांझा चुल्हा और आनंद उत्सव की शुरूआत हुई थी। 2009 में 29 जून को छह गलियों में छह तंदूर लगाकर सांझे चुल्हे की शुरूआत की गई। वह बताते हैं कि अब उनका इरादा है कि रघुवर भवन के निकट सभी पेड़ों पर सुंदर पेंटिंग की जाए ताकि फाजिल्का की सब से पुरानी इस इमारत को देखने के लिए अधिक लोग पहुंचे। इसके अलावा वह इस मौहल्ले को शहर का सबसे अधिक स्वच्छ सुंदर मौहल्ला बनाने की चाह रखते हैं।




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मेरा शहर, मेरी गली, मेरी शान
सब छोड़े जा रहे थे सफर की निशानियां
मैने भी एक नक्शा बनाया दरख्त पर
मोहब्बत हो तो ऐसे, मेरे मित्र और फाजिल्का के दोस्त लछमण दोस्त ने हर बार की तरह इस बार भी अपने परिवार के साथ मिलकर कुछ नया कर दिखाया है। उन्होंने अपनी गली और मौहल्ले की वह जगह, जहां अकसर ही लोग कूड़ा फैंक देते थे, उन सभी पेड़ों बिजली के खम्बो को सुंदर प्राकृतिक रंगों से सजाकर केवल स्वच्छ भारत का सबको संदेश दिया, बल्कि ऐतिहासिक धरोहर रघुवर भवन को जाने वाली गली को फाजिल्का की सबसे हरी भरी और सुंदर गली भी बना दिया। पांच साल पहले यहीं से गे्रजूएटस वैलफेयर एसोसिएशन की ओर से सांझा चुल्हा और आनंद उत्सव की शुरूआत हुई थी। 2009 में 29 जून को छह गलियों में छह तंदूर लगाकर सांझे चुल्हे की शुरूआत की गई और इस साल भी 29 जून को अपनी गली को इन चित्रों के जरिए दुनियां को वह कर दिखाया, जो आज तक कोई नहीं कर पाया। करीब डेढ़ माह की मेहनत और परिणाम आपके सामने है।
शुक्रिया और शायद इससे अच्छा कोई और तोहफा कोई और हो भी नहीं सकता। मौहल्ला गली अब मिसाल और प्रेरणा है। सफाई की, प्यार मौहब्बत की और दोस्ती की।
आईए, अपनी अपनी गली को यूं ही सजाएं और संवारे। आपके नाम के पीछे लगा दोस्त सचमुच में फाजिल्का का दोस्त ही है। उर्दू के मशहूर शायर जौक का शेयर कुछ नए रूप में लछमण दोस्त के लिए।
कौन जाए दोस्त, फाजिल्का की गलियां छोडक़र. . .. .
नवदीप असीजा, फाजिल्का 
By-Lachhman Dost Fazilka

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Jun 21, 2017

Yoga Song Written by Santosh Choudhry Fazilka (Lachhman Dost Mob. No- 95309-98999)

योग

कंधों पर तू ले के, चल रहा है जिम्मेदारियां,
आशाएं पूरी कर रहा है तू घर की सारीयां।
अपना फर्ज निभाने में कहीं खुद को भूल न जाना,
स्वस्थ तन ही, स्वस्थ मन ही जिंदगी का खजाना।
हर मनुष्य के जीवन से दूर हो जाए रोग है,
स्वस्थ देश का देता है संदेश ये योग है।
योग है, योग है, योग है, ये योग है-2
योग है, योग है, योग है, ये योग है, यही योग है।

भाग दौड़ है जिंदगी में आराम कहां मिल पाता है,
काम का बोझ बढ़े जब जब, मानव मशीन बन जाता है।
दो पल बैठो, सुस्ता लो भई,
खाना वाना, तुम खा लो भई।
चेहरा ऐसे उतरा जैसे मन में सोग है।
हर मनुष्य के जीवन से दूर हो जाए रोग है,
स्वस्थ देश का देता है संदेश ये योग है।
योग है, योग है, योग है, ये योग है-2
योग है, योग है, योग है, ये योग है, यही योग है।

गर रहना है रिष्ट-पुष्ट तो योगासन कर प्यारे,
घर में खुशियां देखना कैसे महकेगी तुम्हारे।
योगासन के कितने फायदे,
पालन करने हैं कुछ कायदे।
कर के देखो, योग के क्या क्या उपयोग हैं।
हर मनुष्य के जीवन से दूर हो जाए रोग है,
स्वस्थ देश का देता है संदेश ये योग है।
योग है, योग है, योग है, ये योग है-2
योग है, योग है, योग है, ये योग है, यही योग है।
written by - Santosh Choudhry Fazilka

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Thousands of people of India in Pakistan shouted with guns On the Zero Line of International Border on the Peer Baba Shah Muhammad Ali's Mazar- Lachhman Dost Fazilka

बंदूकों के साए में भारत पाकिस्तान के हजारों बाशिंदों ने किया मजार पर सजदा
अंतर्राष्ट्रीय सरहद की जीरो लाईन पर है पीर बाबा शाह मुहम्मद अली की मजार
फाजिल्का 19 जून: भारत पाक के बीच सरहदों की दूरियां आज सिमटती हुई नजर आई। मौका था भारत-पाक सरहद की अंतिम छोर पर बसे फाजिल्का के गांव गुलाबा भैणी में, जहां पीर बाबा शाह मुहम्मद अली की मजार पर मेले का आयोजन किया जाता है। मजार पाकिस्तान की सरहद से महज 10 फीट की दूरी पर है। मेले में भारत-पाक के हजारों श्रद्धालुओं ने सजदा किया। खास बात यह भी है कि मजार तारबंदी के दूसरी ओर है। यहां गेट नंबर 244 है। जहां पहले हर श्रद्धालु को तलाशी देकर मजार पर जाना पड़ता था और यह गेट सिर्फ मेले के दिन ही खोला जाता था। मगर दो साल पहले सीमा सुरक्षा बल की ओर से यह गेट हमेशा के लिए खोल दिया गया था। आज भी मेले में बंदूकों के साए में श्रद्धालुओं ने मजार पर माथा टेका और मन्नतें मांगी। ग्रामीण बलराम सिंह, राज सिंह, मांगा सिंह, लछमण सिंह, दलीप सिंह, बूड़ सिंह, गुरजीत सिंह आदि ने बताया कि बॉर्डर के निकट गांव वल्ले शाह उत्ताड़ था। सतलुज दरिया के निकट होने के कारण बाढ़ से गांव हर बार डूब जाता था। मगर बाढ़ का पानी इस मजार को नहीं डूबो सका। वहां से उठकर ग्रामीणों ने मजार के निकट एक गांव बसाया, जिसे गुलाबा भैणी का नाम दिया गया। यहां पहले से मौजूद पीर बाबा शाह मुहम्मद अली की मजार पर हर साल मेला लगता है। मेले में पहले भारत-पाक के जवानों के बीच कुश्ती और कबड्डी और अन्य कई तरह के मुकाबले होते थे और दूर दराज के क्षेत्रों से जवान इनमें हिस्सा लेते थे। 90 के दशक में जब सरहद के निकट तारबंदी की गई तो मजार तारबंदी के बीच आ गई। सुरक्षा जरूरी है, लेकिन लोगों की आस्था को देखते हुए हर साल मेले के मौके पर बी.एस.एफ. की की तरफ से तारबंदी पर स्थापित गेट नंबर 244 को खोल दिया जाता था। इसी तरह पाकिस्तान की तरफ से भी जांच के बाद श्रद्धालु आते हैं। मगर इस बार भारतीय श्रद्धालुओं ने बेरोक-टोक माथा टेका। इसी वहज वजह से भारत पाक की सरहदें सिमट सी जाती हैं। इस बार पाक श्रद्धालु दूर से ही सजदा कर सके।


Photoes by Pardeep Kumar Fazilka


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Yoga Song - Written by Santosh Choudhry - Fazilka - 95309-98999 (Lachhman Dost Fazilka)

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Written by Santosh Choudhry - Fazilka - 95309-98999 (Lachhman Dost Fazilka)

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