बाबा भूमण शाह की लक्खा वट्टू पर रहमत
पाकिस्तान में एक गांव है कुतुबकोट। जो मुसलमान लक्खा वट्टू की जागीर थी। एक दिन लक्खा वट्टू ने कोई अपराध कर दिया। जिस कारण लाहौर के सूबेदार ने उसे लाहौर जेल में बंद कर दिया। बाबा भूमण शाह जी की ख्याति सुनकर लक्खा वट्टू की माता बख्तावर बेगम अपने कुछ रिश्तेदारों को साथ लेकर बाबा भूमण शाह जी के धूणें पर गई और रो कर विलाप करने लगी। बख्तावर ने बाबा जी से प्रार्थना की कि आप मेरे बेटे लक्खा वट्टू को लाहौर की जेल से छुड़ा दें तो आपकी आजीवन ऋणी रहूंगी। बाबा जी मुस्कारा कर बोले, जहां पर कुतुबकोट गांव बसा है, वह मेरे पिछले जन्म की तपोभूमि है। तुम्हारे बेटे को तो मैं छुड़वा दूंगा, लेकिन आपको कुतुबकोट गांव छोडक़र कहीं दूसरी जगह जाकर बसना होगा। कुतुबकोट में पहले की तरह लंगर आदि चलेगा और वह वहां पर तप किया करेंगे। बख्तावर बेगम ने शर्त मान ली। चौथे दिन ही लक्खा वट्टू जेल से छूट गया और वापस आ गया। लक्खा वट्टू ने अपनी मां और रिश्तेदारों को बताया कि एक साधु फकीर रात के वक्त जेल के कमरे में प्रकट हुआ और प्रेम व करूणा से बोला, मैं तुम्हें लेने आया हूं, तुम्हारी माता बहुत परेशान है। बाबा जी की कृपा से मेरे पैरों की बेडिय़ां खुल गई। मैं बाबा जी के पीछे-पीछे चलने लगा और घर पहुंच गया, लेकिन साधु गायब हो गया। अगले दिन बख्तावर बेगम लक्खा वट्टू को लेकर बाबा भूमण शाह के धूने पर गई। जहां लक्खा वट्टू ने बाबा जी को पहचान लिया। इसके बाद बख्तावर बेगम ने अपने कबीले को इकट्ठा किया और गांव खाली करने के लिए उनको राजी कर लिया। उस समय सबसे पहले कार सेवा के रूप में पांच एकड़ भूमि दान कर दी। बातचीत दौरान उनके एक रिश्तेदार कुतुबदीन व ताजदीन के कहने पर गांव कुतुबदीन मे एक विशेष स्थान खोदा गया, जहां बाबा भूमण शाह के पूर्व जन्म के धूने के स्थान पर चिमटा व कमंडल मिले। इसके अलावा देगचे, कड़ाहे और तवे भी मिले। तब ताजदीन के मन में लालच आ गया और उसने बाबा जी को ललकारा तो बाबा जी के चमत्कार से ताजदीन के सिपाही आपस में ही लडऩे लग गए। आखिर ताजदीन ने हार मानी और बाबा जी के पैरों में गिर गया। इसके बाद कबीला बख्तावर बेगम के नेतृत्व में वहां से सात किलोमीटर दूर जाकर नयां गांव बसाया। जिसका नाम हवेली लक्खा वट्टू पड़ा और गांव कुतुबकोट धीरे-धीरे बदलकर बाबा भूमण शाह गांव के नाम से पुकारा जाने लगा। जो पाकिस्तान के पंजाब प्रदेश में स्थित है। (Lachhman Dost Fazilka)
Baba Bhuman Shah's Lakkha wattu on Rahmat
A village in Pakistan is Qutubkot. The Muslim who was the manor of Lakkha Vatu. One day Lakkha Wattu committed no crime. Because of which the Lahore subedar locked him in Lahore jail. After hearing the fame of Baba Bhuman Shah ji, the mother of Lakkha Vatu, Bakhtawar Begum, along with some of his relatives went to the dust of Baba Bhuman Shah ji and started crying and crying. Bakhtwar prayed to Baba that if you rescue my son Lakkha Vatu from Lahore's jail, you will be indebted for your lifetime. Baba ji murmured, where Kutubkot village is situated, it is the pastureland of my previous birth. I will get rid of your son, but you have to move to Kutubkot village and go somewhere else. Like an anchor in the first place, Kutubkot will run there and he will do penance there. Bakhtav Begum accepted the condition. On the fourth day Lakkha Vatu got out of jail and came back. Lakkha Vatu told his mother and relatives that a sadhu fakir appeared in the prison room at night and talked to love and compassion, I have come to take you, your mother is very upset. With the grace of Baba ji opened my legs I started following Baba ji and reached home, but the monk disappeared. On the next day, Bakhtwar went to Begum Lakha Vatu on the smoke of Baba Bhuman Shah about Begum Lakkha Vatu. Where Lakkha Vatu recognizes Baba ji. After this Bakhtawar Begum assembled his tribe and persuaded him to evacuate the village. At that time, first donated five acres of land as a car service. During the conversation, on the request of one of his relatives Qutbuddin and Tajdin, a special place was erected in the village Qutbuddin, where there was a tweezers and kamandal in place of Baba Bhuman Shah's birth place. Apart from this, there is also Durga, Kadah and Taane. Then, in the mind of Tajdin, Greed came and he challenged Baba ji, then the soldiers of Tajdin started fighting with each other. After all, Tajdin defeated and fell on Baba ji's feet. Subsequently, under the leadership of Kabit Bakhtavar Begum, a new village settled seven kilometers away from there. The name of which was Haveli Lakkha Vatu, and the village Kutubkot gradually started to be called by the name of Baba Bhuman Shah Village. Which is located in the Punjab state of Pakistan