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खेल दिवस के सबंध में लगाया सैमीनार लगा युवाओं को बताए खेलों के फायदे-एथलैटिक्स कोच गुरमीत सिंह
फाजिल्का, 28 अगस्त: देश भर में आज 29 अगस्त को खेल दिवस मनाया जाएगा। इस सबंध में फाजिल्का के खेल स्टेडियम में एक सैमीनार का आयोजन किया गया। जिसमें क्षेत्र के विभिन्न गांवों व फाजिल्का शहर के खिलाडिय़ों ने हिस्सा लिया। मालवा स्पोर्टस एजूकेशन वैलफेयर सोसायटी की तरफ से आयोजित इस सैमीनार में एथलैटिक्स कोच गुरमीत सिंह फाजिल्का ने बताया कि यह दिन हाकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
Gurmeet Singh Fazilka
उन्होंने बताया कि इस दिन देश के राष्ट्रपति विभिन्न खेल खेत्रों में उपलब्धि हासिल करने वाले खिलाडिय़ों को राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार जैसे अवार्ड से सम्मानित करते हैं। उन्होंने खिलाडिय़ों को इस दिन की बधाई देते हुए कहा कि वह खेलों की तरफ ध्यान देते रहें। जो युवा खेलों की तरफ ध्यान देते हैं, वह शारीरिक रूप से तंदरूस्त रहते हैं और नशे से दूर रहते हैं। उन्होंने बताया कि एक तंदरूस्त व्यक्ति ही देश का भला कर सकता है। उन्होंने बताया कि खिलाडिय़ों को जहां सरकार पुरस्कारों से सम्मानित करती हैं, वहीं वह भारतीय सैना, सीमा सुरक्षा बल, पंजाब पुलिस, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस आदि में भर्ती होकर देश सेवा में अपना अहम योगदान देते हैं। (Click Link for more Stories)
MajorDhyan Chand was an Indianfield hockeyplayer widely regarded as one of the greatest in the history of the sport.[4]He was known for his extraordinary goal-scoring feats, in addition to earning threeOlympic gold medals, in 1928, 1932 and 1936, during an era where India dominated field hockey. His influence extended beyond these victories, as India won the field hockey event in seven out of eight Olympics from 1928 to 1964.
Known asThe WizardorThe Magicianof hockeyfor his superb ball control, Chand played internationally from 1926 to 1949; he scored 570 goals in 185 matches according to his autobiography,Goal.TheGovernment of Indiaawarded Chand India's third highest civilian honour ofPadma Bhushanin 1956.His birthday, 29 August, is celebrated asNational Sports Dayin India every year. India's highest sporting honourMajor Dhyan Chand Khel Ratna Awardis named after him
1965 और 1971 के युद्धों के बाद वीरान गांव देशभक्ति के रंग में रंग गया
कहानी बलराज सिंह सिद्धू, ग्राम पक्का चिश्ती, फाजिल्का
फाजिल्का जिले की सीमा पर स्थित पक्का चिश्ती गांव देश के हाईवे नंबर 10 और सुलेमानकी हेड पर बसे सीमा क्षेत्र का आखिरी गांव है. गांव का एक किनारा साडकी से लगा हुआ है। देश के राजनीतिक और व्यापार संघ लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि क्रॉसिंग को व्यापार के लिए खोला जाए। अब यह मांग एक बार फिर उठ खड़ी हुई है। फाजिल्का के पूर्व विधायक और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री चौधरी सुरजीत जयानी ने कॉरिडोर को फिर से खोलने की मांग की है.
पुक्का चिश्ती गांव पर एक नजर डालते हैं और बताते हैं कि इस गांव के दो बार तबाह हो जाने के बाद भी इसकी मिट्टी से देशभक्ति की खुशबू आती है. यह गांव 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों का शिकार रहा है। इस गांव के निवासी देश की सीमा पर स्थित हवेली शहर से जुड़े हुए हैं। इस गांव से इसकी दूरी महज 13 किलोमीटर है। इस गांव के लोग दो बार की तबाही के बाद इस गांव में लौट आए थे। यहां के लोग भी देशभक्ति के रंग में रंगे नजर आते हैं।
इस गांव के लोगों की खास बात यह थी कि इस गांव के लोगों का तार जमीन को पार कर गया था. कुछ लैंड वायर के साथ है. इस गांव के लोग देशभक्ति की भावना से इतने प्रभावित हो गए हैं कि गांव में देशभक्ति की खुशबू आने लगती है. आपको क्या लगता है कि वे कैसे हैं? आपको बता दूं सर। इस गांव के बच्चों के नाम जानकर आप सोच रहे होंगे कि क्या ये नाम इतने प्यारे और देशभक्त हैं।
आप जब भी इस गांव में आएंगे तो यहां के लोग स्वाभाविक रूप से अपने बच्चों को ऐसे नामों से बुलाएंगे कि वे देशभक्ति का नारा लगाने लगें।
इनमें से कुछ नाम जैसे वतनदीप सिंह, नवसोच, सुप्रीम, विश्वजासन, प्रीत, नवकिरण, नवरीत, तरशील सिंह, शुभृत और इंकलाब आदि देशभक्ति की भावना को व्यक्त करते हैं।
आपको यह भी बता दें कि इन नामों का नाम इसी गांव के तत्कालीन एमए अमरीक सिंह गिल ने रखा था। अपनी शिक्षा और साहित्यिक कुशाग्रता के कारण यह युवक अपने विचारों को आगे बढ़ाने में ऐसे नामों के प्रवर्तक थे।
नामों का महत्व ऐसा है कि आज भी युवा इन्हीं नामों से देशभक्ति, देश सेवा और समाज सेवा में अपना योगदान दे रहे हैं।
गांव की तीसरी पीढ़ी को दिए गए इन नामों के कारण इस पीढ़ी द्वारा उनके बेटे-बेटियों के नाम को एक अलग रूप दिया जा रहा है। उन्होंने अपने बच्चों का नाम सफलप्रीत, सहयोग और अनखप्रीत रखा है।