सारी रात तेरा तकदी आं राह . . . . की गायिका पुप्षा हंस
भारत विभाजन से पहले पुराना अबोहरी रोड पर मार्केट कमेटी थी। उसके साथ ही फौजदारी केसों के प्रसिद्ध वकील रतन लाल कपूर का घर था। जनक रानी की कोख से एक बेटी ने 30 नवंबर 1917 (कुछ लोग 17 नंवबर 1927 बताते हैं) को जन्म लिया। बच्ची का नाम पुष्पा रखा गया। परिजनों ने उसे फाजिल्का से प्राइमरी शिक्षा दिलाई। यह वही पुष्पा है, जो बड़ी होकर पुष्पा हंस के नाम से प्रसिद्ध हुई और अपनी सुरीली आवाज के जरिए फाजिल्का का नाम देश विदेश में रोशन किया। पुष्पा हंस की शादी 1948 में कर्नल हंस राज चौपड़ा से हुई। इस बीच वह फिल्मों में काम करती रही, लेकिन उनका तबादला दिल्ली हो जाने के कारण वह फिल्मों में काम करना छोड़ गई। मगर उन्होंने अपनी पहचान को कायम रखा और 1989 और 1982 में उन्हे वेस्ट सिंगर अवॉर्ड के अलावा 26 जनवरी 2007 को राष्ट्रपति ने उन्हें पद्मश्री अवॉर्ड से नवाजा। इसी वर्ष पंजाब अकेडमी दिल्ली की ओर से पंजाबी भूषण अवॉर्ड और 2007 में ही दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की ओर से लाइफ टाइम अचीवमेंट कल्पना चावला एक्सीलेंस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। दिल्ली में लंबी बीमारी के बाद फाजिल्का की पुष्पा हंस 8 दिसंबर 2011 को संसार को सदा के लिए अलविदा कह गई।
बचपन में ही उसे गुनगुनाने का शौंक था, लेकिन उसके पिता को अच्छा नहीं लगता था। मगर पुष्पा के नाना पंडित विष्णू दिगंबर पालूस्कर संगीत के शौकीन थे। वह पुष्पा से कुछ न कुछ सुनते रहते। उन्होंने रतन लाल कपूर को समझाया। एक दिन संगीत शास्त्री पंडित ओंकार नाथ उनके घर आए और पुष्पा को कुछ सुनाने के लिए कहा। पुष्पा ने उन्हें ऐसा गीत सुनाया कि पंडित ओंकार नाथ उनकी आवाज के कायल हो गए। उन्होंने भी वकील कपूर को समझाया और वकील कपूर ने हां कर दी। इसके बाद लाहौर यूनिवर्सिटी से उन्होंने संगीत की बेचूलर डिग्री हासिल की। वहीं उसने संगीत शास्त्री पंडित ओंकार नाथ शास्त्री, किरण घराने की सरस्वती बाई, उस्ताद चंद्रकांत और विनायक राए पटवर्धन से करीब 10 साल संगीत की शिक्षा हासिल की। उन्होंने अपनी गायकी का दौर 1942 में लाहौर रेडियो स्टेशन से शुरू किया। उस समय वहां गायक श्याम सुंदर, शमशाद, तसंचा जान बेगम और उमराव जिया खान भी मौजूद थे। इस दौरान ही उन्होंने शिव कुमार बटालवी के दर्द भरे नगमों को लेकर पन्ना लाल के संगीत के तहत फिलिप्स कंपनी द्वारा प्रथम एलबम शिव कुमार बटालवी के गीत टाइटल को अपनी सुरीली आवाज का लिबास दिया। जिसकी बटालवी ने भी सराहना की। भारत सरकार की ओर से इसकी लता मंगेश्कर और आशा भोंसले के साथ डाकूमेंटरी भी तैयार की गई।
पुष्पा हंस ने 1948 में विनोद के संगीत में पंजाबी फिल्म चमन में बतौर पार्शव गायिका अपनी पहचान बनाई। इसमें उसका कुलदीप कौर पर फिल्माया गया गाना सारी रात तेरा तकदी आ राह था जो पंजाबी फिल्म संगीत का क्लासिक है। इस गीत के जरिए पुष्पा हंस रातो रात बुलंदियों के शिखर पर पहुंच गई। एक दिन राज कमल स्टूडियों के मालिक शांता राम पुष्पा हंस के घर आए और पहले उसके गीत सुने। बाद में उसकी तस्वीरें ली और चले गए। दूसरे दिन वह फिर घर आए और उन्होंने पुष्पा हंस को फिल्म अपना देश के लिए बतौर हेरोइन बनने का न्यौता दिया। फिल्म प्रोड्यूसर व डायरेक्टर सोहराब मोदी की 1950 की फिल्म शीश महल और रोशन लाल मल्होत्रा की फिल्म काले बादल में भी पुष्पा हंस बतौर हेरोइन आई। पुष्पा हंस ने सुनील दत्त की अजंता आर्टस मंडली के साथ मिलकर सरहदी क्षेत्र में बंकरों पर डटे सैनिक जवानों के लिए कई प्रोग्राम पेश किए। पुष्पा हंस 17 साल दि ईवस वीकली की संपादक रही। बी.आर.चौपड़ा की फिल्म एक शोला और जी.पी.सिप्पी की फिल्म शहंशाह में भी पुष्पा हंस से बतौर हेरोइन एग्रीमेंट किया गया, लेकिन परिवार सहित रांची चले जाने के कारण यह फिल्म नहीं हो पाई। बाद में एक शोला (1956) में माला सिन्हा और शहंशाह में शमशाद बेगम को शामिल किया गया। पुष्पा हंस ने दो हजार से भी अधिक गीत गाए। 1979-80 में वह आशा सिंह मस्ताना के साथ कनेडा गई और वहां कुलदीप दीपक के साथ दोगाना हो गया कुवेला रिकॉर्ड करवाया। इसके अलावा उन्होंने निजामूद्दीन ओलिया और अमीर खुसरो पर आधारित डाकूमेंटरी मूवीज में भी अहम योगदान दिया। इसके अलावा पुष्पा हंस ने काबुल, बैंकार, लंदन कनेड़ा, अमरीका, फ्रांस, सिंघापुर, जर्मनी, आबूधाबी और दुबई आदि देशो में पंजाब भाषा और पंजाबी साहित्य को एक अलग पहचान दी।
-Lachhman Dost Fazilka-
Singer Pushpa Hans
India was a market committee on Old Abohar Road before Partition. Along with that, the house of renowned lawyer Rattan Lal Kapoor was the home of the criminal case. A daughter from Janak Rani's koÕh was born on November 30, 1917 (some people say 17 November 1927). The baby girl was named Pushpa. The family received primary education from Fazilka. This is the same Pushpa, which has grown to become popular by the name of Pushpa Hans and illuminated Fazilka's name abroad in the country abroad through its melodious voice. Pushpa Hans was married to Col. Hans Raj Chaupada in 1948. Meanwhile, she continued to work in films, but due to her transfer to Delhi, she stopped working in films. But he maintained his identity and in 1989 and 1982, besides the West Singer Award, on 26 January 2007, the President received him the Padma Shri award. This year, Punjab Bhushan Award from Punjab Academy Delhi and in 2007 only Delhi Chief Minister Sheila Dikshit has been awarded the Kalpana Chawla Excellence Award for Life Time Achievement. After a long illness in Delhi, Pushpa Swan of Fazilka was saying goodbye to the world on December 8, 2011.
In his childhood, he used to joke, but his father did not like it. But Pushpa's grandson Pandit Vishnu Digambar Paluskar was fond of music. He kept listening to something from Pushpa. He explained to Rattan Lal Kapoor. One day the musicologist Pandit Omkar Nath came to his house and asked Pushpa to recite something. Pushpa narrated him a song that Pandit Omkar Nath was convinced of his voice. He also explained to the lawyer Kapoor and the lawyer Kapoor gave him yes. After this he got a good degree of music from Lahore University. At the same time, he got music education from music scholar Pandit Omkar Nath Shastri, Kiran Bharani's Saraswati Bai, Ustad Chandrakant and Vinayak Rai Patwardhan for almost 10 years. He started his singing career in 1942 from the Lahore Radio Station. At that time there were singers Shyam Sunder, Shamshad, Tascha Jan Begum and Umrao Jia Khan. During this time, under the music of Panna Lal, he gave the poem titled Shiv Kumar Batalvi's song titled his tuneful voice under the music of Shiv Kumar Batalvi's pain-filled towns. Whose battalivi also lauded. It has also been prepared by the Government of India with Lata Mangeshkar and Asha Bhosle.
In 1948, Pushpa Hans made her debut as a veteran singer in the Punjabi film Chaman in the music of Vinod. In it, the song filmed on Kuldeep Kaur was a nightmare that was a classic of Punjabi film music. Through this song, Pushpa Swan reached the summit of the night sky. One day, the owner of Raj Kamal Studios Shanta Rama Pushpa came to Hans's house and listened to her earlier. Later he took his photographs and went away. On the second day he came back home and invited Pushpa Hans to become the heroin for his country. Film producer and director Sohrab Modi's 1950 film Sheesh Mahal and Roshan Lal Malhotra's film, in the film Black Cloud, Pushpa Hans was heroin as well. Pushpa Hans, along with Sunil Dutt's Ajanta Arts Council, presented several programs for the soldiers who were camping bunkers in the border area. Pushpa Hans was 17 years editor of The Evil Weekly. There was a heroin agreement with Pushpa Hans in the film of Shilla and G.P. Sippy in Shahenshah, but the film did not get due to Ranchi with the family. Later in Shola (1956) Shamshad Begum was included in Mala Sinha and Shahanshah. Pushpa Hans sang more than two thousand songs In 1979-80, he went to Kanada with Asha Singh Mastana and recorded a queval record doubled with Kuldeep Deepak. Apart from this, he also made important contributions in the post-retirement films based on Nizamuddin Oliya and Amir Khusro. Apart from this, Pushpa Hans has given a distinct identity to Punjabi language and Punjabi literature in Kabul, Bankar, London, Kanada, USA, France, Singapur, Germany, Abu Dhabi and Dubai etc.