punjabfly

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Jul 15, 2018

सांडर्स की हत्या  के  बाद  फाजिल्का  पहुंचे   
 शहीद--आजम  .   भगत  सिंह 

                           
                                            3 अक्तूबर 1928 में साईमन कमिशन लाहौर पहुंचा तो वहां भारतीयों ने कमीशन की डटकर खिलाफत की। इस पर ब्रिटिश अधिकरियों ने अन्यों देश भक्तों सहित लाला लाजपत राय जैसे सरीखे नेता पर भी लाठियां बरसाई। 17 दिसंबर 1928 के दिन जब लाला जी की मौत हो गई तो भगत सिंह ने इसका बदला लेने की ठान ली। बदला लेने के लिए . भगत सिंह ने ब्रिटिश अधिकारी सार्जेंट स्कॉट समझकर मोटर साईकल पर रहे सार्जेंट सांडर्स को गोली से उड़ा दिया। जिससे ब्रिटिश सम्राज्य में खलबली मच गई और ब्रिटिश अधिकरियों ने . भगत सिंह को ढूंढने का अभियान तेज कर दिया। . भगत सिंह अनेक जगह से होते हुए फाजिल्का तहसील के गांव दानेवाला में पहुंचे। जहां उन्होंने अपने देश भक्त साथी . जसवंत सिंह दानेवालिया के घर में पनाह ली। . भगत सिंह दिन के समय भेष बदलकर अन्य देश भक्तों के साथ अपने सबंध कायम रखते और रात के समय दानेवालिया के घर लौट आते। जहां वह . जसवंत सिंह के बाहर वाले घर की हवेली में ठहरते। . भगत सिंह वहां कई महीनों तक रहे। वहां से जाते समय .भगत सिंह ने गांव के लुहार हाजी करीम से अपनी पिस्तौल की मुरम्मत करवाई। 1929 में गिरफ्तारी के बाद . भगत सिंह ने पुलिस को यह बता भी दिया कि इस दौरान उन्होंने कहां-कहां पनाह ली? इसके बाद ब्रिटिश पुलिस ने गांव में छापामारी करके घर-घर की तलाशी ली और ग्रामीणों से . भगत सिंह के बारे जानकारी हासिल करने का प्रयास किया, लेकिन किसी भी ग्रामीण ने . भगत सिंह के गांव में छुपे रहने की बात नही बताई।   
                            
 देश भक्तों को फांसी देने के बाद फिरोजपुर में हुसैनीवाला निकट सतलुज दरिया किनारे अंतिम संस्कार किया गया। उनकी राख दरिया के पानी में बही और दरिया का पानी राख को बहाकर फाजिल्का तक ले आया जिससे फाजिल्का की धरती ओर भी पवित्र हो गई।

                               Shaheed-e-Azam S. Bhagat Singh

                                                 

           When the Simon Commission arrived in Lahore on 3 October 1928, the Indians there protested against the commission and made the Khilafat. On this, the British superintendents of the country including Lala Lajpat Rai, along with other countrymen, also raided ladders. On 17th December, 1928, when Lala Ji died, Bhagat Singh decided to take revenge. To take revenge Bhagat Singh blamed Sgt Sanders, who came to the motor cycle, as British officer Sergeant Scott. This led to a stir in the British Empire and the British officers did. Speed ​​up the campaign to find Bhagat Singh S Bhagat Singh, through many places, reached Phajilka Tehsil's village, Danavala. Where he is a devotee of his country. Jaswant Singh took refuge in Danawalia's house. S Bhagat Singh kept changing his identity during the day while other countries kept their relationship with the devotees and returned to the home of Danawaliya at night. Where he is Stay in the mansion of a house outside Jaswant Singh. S Bhagat Singh stayed there for several months. While going from there, Mr. Bhagat Singh made a pledge of his pistol from Lohar Haji Karim of the village. After the arrest in 1929 Bhagat Singh also told the police that where did he take refuge during this period? After this, the British police conducted raids in the village and searched the house and demanded from the villagers. Attempted to get information about Bhagat Singh, but any villager Bhagat Singh did not talk about being hidden in the village
                             

 After hanging the country's devotees, the funeral was done at Sutlej Darya near Hussainiwala in Ferozepur. In the water of his ash river, water and water of the river brought ash to fazilka. By which the land of Fazilka became sacred too.(Lachhman Dost Fazilka)
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Jul 14, 2018

173-years-old Seth Shopat Rai Haveli Fazilka

ओल्ड लुक से पुन: संवरी 173 साल पुरानी सेठ शौपत राय हवेली

HAVELI - Rai Sahab Seth Sheopat Rai Periwal Fazilka 
फाजिल्का को ऐतिहासिक घंटा घर सहित अनेक अमूल्य धरोहरें देने वाले पेड़ीवाल परिवार की ओर से 173 साल पुरानी हवेली की शानो शौकत को भी बरकरार रखा गया है। यह वही हवेली है, जहां बीकानेर रियासत के राजा गंगा सिंह सहित फाजिल्का में आने वाले हर ब्रिटिश अधिकारी और नेताओं का आना जाना रहा है। इस हवेली में ही इलाके के विकास के लिए योजनाएं तैयार की जाती थी। अब किसी मूलभूत ढांचे में परिवर्तन किए बगैर इस हवेली को वही ओल्ड लुक से संवारा गया है जो 173 साल पहले था। नगर कौंसिल में 11 साल तक प्रधान रहे सेठ शौपत राय पेड़ीवाल और 34 साल तक पार्षद व कई साल उपप्रधान रहे सेठ मदन गोपाल पेड़ीवाल की ओर से निर्मित इस हवेली की हर कलाकृति को भी बरकरार रखकर सजाया गया है। सुशिल पेड़ीवाल ने इसे पुन: ओल्ड लुक दिया है
Main Gate
                                                           यह है हवेली का इतिहास
फाजिल्का में बंगले का निर्माण 1844 में ब्रिटिश अधिकारी वंस एगन्यू ने करवाया तो इसके एक साल बाद ही इस हवेली का निर्माण सेठ आईदान ने 1845 में शुरू करवाया था। उन्होंने पोली के अलावा दो कमरे, बाहर के चौंक और मुख्य द्वार का निर्माण करवाया। शेष भाग 1918-20 में सेठ शौपत राय ने करवाया। हवले के कमरों की दिवारों पर पोर्शलीन टाइल्स और छत्तों पर सिलवर पेंट व काल्स सिलिंग छत्तों का निर्माण 1935 में करवाया गया। भारत विभाजन से पूर्व कौंसिल अध्यक्ष रहे शौपत राय, उपाध्यक्ष रहे मदन गोपाल और विभाजन के बाद दो बार अध्यक्ष रहे सेठ लक्ष्मी नारायण पेड़ीवाल का जन्म इस हवेली में ही हुआ है। शौपत राय और उसके तीन बेटों का संयुक्त परिवार एक अप्रैल 1968 तक इस हवेली में रहा। मगर शौपत राय के निधन के बाद हुए बटवारे अनुसार यह हवेली राम प्रसाद के पास रही। जबकि गंगा प्रसाद को बंगले के निकट बगीचा दिया गया। सेठ लक्ष्मी नारायण को हवेली के सामने कोठी दी गई। राम प्रसाद की दो लड़कियां थी। माता पिता के स्वर्गवास हो जाने के बाद उन्होंने यह हवेली अपने चचेरे भाई सुशील पेड़ीवाल को बेच दी। अब सुशील पेड़ीवाल व उनके पुत्र शैलेष व सिदार्थ बगैर किसी मूलभूत ढांचे में परिवतन करते हुए हवेली को ओल्ड लुक दिया है
2nd Gate
                                                                      यह है हवेली में 
हवेली में विभाजन से पहले प्रयोग किए जाने वाले दीये, लालटेन, बैल आदि मौजूद हैं। हवेली के दरवाजे पुराने हैं और उन्हें ताला भी पुराना लगाया है। इसके अलावा ऐतिहासिक फोटो से हवेली लबरेज है। हवेली के अंदर खुला हॉल बनाया गया है। चार मंजिला इस हवेली की छत्त पर चढऩे से शहर के हर कोने को निहारा जा सकता है। 
                               

                                
                                                                        परोपकारी कार्य
1841 में सूरतगढ़ से फाजिल्का में आकर बसने वाले इस परिवार ने फाजिल्का को क्लॉक टावर, जनाना अस्पताल, पेेड़ीवाल धर्मशाला, बठिंडा, सूरतगढ़ और बनारस में धर्मशालाएं, श्री मुक्तसर साहिब के गुरूद्वारा में तालाब दिया है। इस परिवार को ब्रिटिश सरकार की ओर से राय साहिब के खिताब से नवाजा गया था। इसके अलावा भामा शाह अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है। 

                               

                                                                 अन्य धरोहरें भी बचाएंगे
सुशील पेड़ीवाल का कहना है कि पेड़ीवाल परिवार की ओर से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में जो धरोहरें बनाई गई हैं, उनकी देखभाल लगातार क ी जा रह है। अगर कहीं कोई कमीं है तो उसे दूर करने का प्रयास करेंगे। वह बताते हैं कि फाजिल्का की धरोहरों को भी संवारा जाएगा।
                                            
                                                              कड़ी में परोया इतिहास
फाजिल्का के इतिहास के लेखक लछमण दोस्त का कहना है कि हवेली इतिहास अमूल्य खजाना है। इसके अलावा भी पेड़ीवाल परिवार ने पंजाब, हरियाणा और राजस्थान को अनेक धरोहरें दी हैं, जो एक मिसाल बन चुकी हैं। पेड़ीवाल परिवार ने अपने इतिहास को एक कड़ी में परोकर रखा हुआ है। जो आज और कल के लिए लाभदायक है।
                               
 173-year-old Seth Shopat Rai Haveli
Sethi 173-year-old Seth Shapat Roy Haveli from Old Look
The beautiful 173-year-old Haveli has been retained by the Pariwal family, which has given many invaluable heritage including historical gard house to Fazilka. This is the same mansion, where Raja Ganga Singh of Bikaner principality, including every British officer and leaders coming to Fazilka, is going to come. In this mansion only the plans were developed for the development of the area. Now, without making any changes in the basic structure, this mansion has been restored with the same old look which was 173 years ago.
                                 
Seth Shapat Roy Pediwal, who is in the city council for 11 years, has been decorated with every work of this mansion built by Seth Madan Gopal Pediwal, who is a councilor for many years and deputy prime minister for 34 years. Sushil Periwal has given it the old look again
                                 
This is the history of the mansion
The construction of the bungalow in Fazilka was done by British officer Van Agnu in 1844, a year after this, the construction of this mansion was started by Seth Ayadan in 1845. He created two rooms, outside shocks and main gate apart from the Poli. The remaining part was done by Seth Shapat Rai in 1918-20. Construction of silhouette paint and blacks ceiling on porcelain tiles and roofs was made in 1935 on the walls of the rooms of the canals. Madan Gopal, who was the Vice-President of the BJP before the partition and Madan Gopal, the vice president of the partition, and Seth Laxmi Narayan Petiwal, who was the president twice after the partition, was born in this mansion only. The joint family of Shapat Rai and his three sons remained in this mansion till 1 April 1968. But according to the distribution of the people after the demise of Shapat Rai, this haveli has been with Rama Prasad. While Ganga Prasad was given a garden near the bungalow. Seth Laxmi Narayan was given a cloth in front of the mansion. Ram Prasad had two girls. After the parents died, they sold this mansion to their cousin Sushil Patiala. Now, Sushil Pediwal and his son Shailesh and Siddartha have made the mansion look like an old structure without any basic structure.
It is in mansion. There ara
                                        
lamps, lanterns, bulls, etc. used before partition in the mansion. Haveli's doors are old and they have locked the lock too old. Apart from this, the Haveli is famous with historical photos. The open hall is built inside the mansion. Every corner of the city can be solved by climbing the roof of this four-storey mansion      
                                            
                                                                charitable work
In 1841, this family settling in Suratgarh from Fazilka gave fazilka a pond in the clock tower, Janana (Ladies) Hospital, Periwal Dharamsala, Bathinda, Suratgarh and Bikaner, in the Gurudwara of Sri Muksar Sahib. This family was awarded the title of Rai Sahib by the British Government. Apart from this Bhamma Shah Award 
has also been honored.   
                                         

Other heritage will also save
Mr. Sushil Periwal says that the heritage sites in Punjab, Haryana and Rajasthan have been taken care of by the Peediwal family. If there is any fault, then try to remove it. He explains that the heritage of Fazilka will also be saved.
                                       
History used in link
Lachman Dost, author of the history of Fazilka, says that Haveli History is a priceless treasure. Apart from this, the Peddal family has given many heritage to Punjab, Haryana and Rajasthan, which has become an example. The Peddal family has kept its history in a stanza. Which is beneficial for today and tomorrow
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Jul 12, 2018

राज गायक का खिताब लेने बंगले (फाजिल्का) आये थे मशहूर ग़ज़ल गायक मेहंदी हसन 


फाजिल्का: पाकिस्तान में मशहूर रहे गज़ल गायक और प्ले बैक सिंगर मेहंदी हसन का जन्म राजस्थान में हुआ और भारत विभाजन के बाद वह परिवार सहित पाकिस्तान चले गए। तब वह 20 वर्ष के थे।  फाजिल्का के साथ उनकी एक अहम याद जुड़ी है। जिस कारण यहां के गायक आज भी उन्हें याद करते हैं। मेहंदी हसन खान का जन्म 18 जुलाई 1927 को हुआ और भारत-पाक में किंग ऑफ गज़ल के नाम से प्रसिद्ध रहे। उनका निधन 13 june 2012 को कराची के एक अस्पताल में हुआ था। 
यह जुड़ी है याद
मेहंदी हसन को बचपन में ही गाने का शौंक था। उनके पिता उस्ताद अजीम खान प्रसिद्ध गायक थे। बात 1935 की है, जब वह फाजिल्का के बंगले (मौजूदा डीसी हाऊस) में अपने पिता के साथ एक प्रोग्राम करने के लिए आए थे। यह उनकी पहली प्रोफॉमेंस थी। इस दौरान मेहंदी हसन ने ध्रूप्द एवं ख्याल ताल में गज़ल गाई थी। 
इसलिए आए थे फाजिल्का
मेहंदी हसन के पिता राज गायक बनना चाहते थे। उन्होंने इस बारे में जिला सिरसा के डीसी जे.एच. ओलिवर से इस बारे में निवेदन किया था। ओलिवर उनकी प्रोफॉर्मेंस सुनना चाहते थे ताकि इस बारे फैसला लिया जा सके। इस कारण मेहंदी हसन व उनके पिता फाजिल्का आए थे। जहां उन्होंने अपना प्रोफॉर्मेंस दिया। मगर ओलिवर ने उन्हें राज गायक का खिताब नहीं दिया। 
25 हजार गाई गजलें
डॉ. विजय प्रवीण ने बताया कि मेहंदी हसन ने 25 हजार से अधिक गज़लें गाई हैं। उन्होंने दो दो राग मिलाकर गज़लों को नया रूप देकर गाया था। इनमें चिराग तूर जलाओ बड़ा अंधेरा है भी एक है। 
-----------------Lachhman Dost Fazilka--------------
Mehdi Hassan came to Bungaloo (Fazilka) for the title of singer.

Fazilka: Ghazal singer and playback singer Mehdi Hassan, who was famous in Pakistan, was born in Rajasthan and after partition, he went to Pakistan along with family. Then he was 20 years old. He has an important memo associated with Fazilka. Because of which the singers here still remember them Mehandi Hasan Khan was born on July 18, 1927 and is famous in the name of King of Ghazals in India and Pakistan. He passed away on 13 June 2012 in a Karachi hospital.
Remember it is attached
Mehandi Hassan used to sing songs in childhood. His father, Ustad Azeem Khan, was a famous singer. The matter was in 1935, when he came to a program with his father in Fazilka's bungalow (the current DC house). This was his first profomenus. During this time Mehdi Hasan sang the ghazal in Dhruupad and Khayal tal.
So came Fazilka
Mehdi Hassan's father wanted to become a Raj singer. He said this about DC Sir J. Olivier had requested about this. Oliver wanted to hear his proformation so that the decision could be taken. For this reason Mehdi Hasan and his father came to Fazilka. Where he gave his proforma. But Oliver did not give him the title of a Raj singer. Mehdi Hasan has sung more than 25 thousand ghazals. He sang two new rosas and gave a new look to Ghazals. There is also one dark light in which chirag tur is a dark one.


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Do you Know ? 
One of the biggest Hindi film hits in its decade "Anarkali", a 1953 Hindi historical drama based on the historical legend of the Mughal emperor Jahangir was the first movie released in "Raja Cinema, Fazilka" on 24th July 1953.   


Raja Cinema Fazilka
Do You Know "Amar Akbar Anthony" was the first hindi movie screened in Sanjeev Cinema, Fazilka on 23rd December 1977  

Sanjeev Cinema Fazilka
Sanjeev Cinema
Date of Inauguration : 23rd December 1977
First Movie : Amar Akbar Anthony
---Lachhman Dost Fazilka ---
 

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जाने - किस यूनियन को कब मिली मान्यता 
संस्था का नाम                                                                              कब मान्यता मिली
दी फाजिल्का सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक                                         स्थापित वर्ष 1915 
बार एसोसिएशन का गठन                                                            1930
मुंशी राम चैरीटेबल ट्रस्ट                                                                20 फरवरी 1937
दी आजाद हिन्द रामलीला सोसायटी                                            स्थापित वर्ष 1943
दी फजिल्का को ऑपरेटिव मार्किटिंग सोसायटी फाजिल्का        दो नवंबर 1954 
कॉटन मिल मजदूर यूनियन                                                          25 अगस्त 1967
फाजिल्का सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक इम्प्लाइज यूनियन              01 मार्च 1973
बिस्कुट बेकरी वर्कस यूनियन                                                        07 नवंबर 1973 
सफाई कर्मचारी यूनियन                                                                09 सिंतंबर 1974 
जिला फिरोजपुर कॉटन एंड जिनिंग मिल मजदूर यूनियन         14 अप्रैल 1975
                                       -LACHHMAN DOST- FAZILKA-


The Fazilka Central Co-operative Bank 
established the year 1915
Bar Association formed in 1930
Munshi Ram Charitable Trust                      20 February 1937
The Azad Hind Ramlila Society        established in the year 1943
The Fazilka, operative marketing society- November 2, 1954
Cotton Mill Workers Union - 25 August 1967
Fazilka Central Co-operative Bank Employees Union 
-01 March 1973
Biscuits Bakery Workers Union    07 November 1973
Cleanliness workers union    09 September 1974

District Firozpur Cotton and Jining Mill Workers Union 
14 April 1975
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Jul 11, 2018

तनेजा संगीत कला केन्द्र पर करवाया संगीतमयी कार्यक्रम
                                  फाजिल्का, 11 जुलाई: 
तनेजा संगीत कला केन्द्र फाजिल्का में एक संगीतमयी कार्यक्रम का आयोजन कि या गया। जिसमें गजल सम्राट डॉ. विजय प्रवीण व डॉ. अजय धवन ने विशेष तौर पर शिरकत की। कार्यक्रम की शुरूआत वंश सचदेवा ने गीत सुनाकर की। डॉ. विजय प्रवीण द्वारा गजल व गीत जी वे सोहणेआं जी प्रस्तुत किया गया। गायक वेद हंस ने पंजाब गीत बापू गल्लां दस्स लाहौर दियां सुनाकर गायकी का लौहा मनवाया।

    कोटकपूरा से विशेष रूप से पहुंचे कलाकार प्रीत इन्द्र ने पाकिस्तानी गीत मैनूं यादां तेरीयां आऊंदीयांने, नैन, जुग जुग जीवे व लग गए नैन सुनाकर वाहवाही लूटी। इसके अतिरिक्त संगीत अध्यापक अमित शर्मा, हैप्पी डिलाईट, गौरव, अनिरूद्ध शर्मा, गुरमीत सिंह जस्सल, हरविन्द्र सिंह, प्रभसीरत सिंह, सोनू ने भी गीतों के जरिए अपनी हाजरी दर्ज करवाई। इस मौके गोपाल कुमार ने तबला व रामा पंछी ने ढोलक बजाई। तनेजा संगीत कला केन्द्र द्वारा गायक प्रीत इन्द्र को सम्मान चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। तनेजा संगीत कला केन्द्र के संचालक मनजिन्द्र तनेजा ने बताया कि भविष्य में भी ऐसे संगीतमयी कार्यक्रम का आयोजन किया जाता रहेगा। (LACHHMAN DOST)


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इतिहास के झरोखे से 
बंगला के निर्माण से 41 साल पहले फाजिल्का आए थे दौलत राव सिंधिया 
दि पंजाब, नार्थं-वेस्ट फरांटियर प्रॉविन्स एंड कश्मीर से हुआ खुलासा

लछमण दोस्त
हलांकि बंगला (फाजिल्का) का इतिहास 1844 से शुरू हुआ माना जा रहा है। जबकि इसका इतिहास इससे भी काफी पुराना है। इसका खुलासा 1916 में ब्रिटिश अधिकारी डॉवी की ओर से लिखी गई पुस्तक दि पंजाब, नाथ-वेस्ट फरांटियर प्रॉविन्स एंड कश्मीर से हुआ है। जिसमें बताया गया है कि दौलत राव सिंधिया बंगले के निर्माण से 41 वर्ष पहले फाजिल्का पहुंचा था। उस समय यहां सतलुज दरिया था और आसपास जंगल ही जंगल थे। मगर इस बीच कुछ गांव भी बस चुके थे।
1803 में आया था सिंधिया
जेम्स डॉवी ने पुस्तक में लिखा है कि ब्रिटिश अधिकारी वेलेस्ले के मार्की ने भारत में सुप्रीत पॉवर बनने की सोची। उधर नेपोलियन ने भी भारत पर हमला करने की सोची हुई थी। इधर पंजाब में दौलत राव सिंधिया ने हमला कर दिया, लेकिन वह नाकाम रहा। इसके बाद वह 1803 में फाजिल्का (यह नाम बाद में रखा गया है) पहुंचा और यहां से दिल्ली के लिए कूच किया। पुस्तक में लिखा गया है कि उस समय फाजिल्का पर किसी का कंट्रोल नहीं था।

ओलिवर भी आया था
नंबरदार मिया फ’जल खां वट्टू से 144 रूपये 8 आन्ने में भूमि खरीदकर फाजिल्का शहर बसाने वाला ब्रिटिश अधिकारी फाजिल्का के लिए विकास दूत व प्रभावशाली अधिकारी माना जाता था। शहर के बीचो बीच ओलिवर गंज मार्केट (मेहरियां बाजार) का निर्माण करवाना वाला ओलिवर जिला सिरसा में कस्टम अधिकारी था। हिस्टरी ऑफ सिरसा टाऊन में लेखक जुगल किशोर गुप्ता ने ओलिवर के हवाले से लिखा है कि उस वक्त फाजिल्का में क्षेत्र सुरक्षित नहीं था। यहां से गुजरना खतरे से खाली नहीं था। चोर, डाकू, शेर और सांप जैसे जंगली जानवारों का खौफ था। मलोट रोड और फिरोजपुर रोड पर लोग टोलियां बनाकर गुजरते थे। उस समय बंगले का निर्माण नहीं हुआ था।
बहावलपुर के नवाबों ने किया कंट्रोल
बंगले के निर्माण से पहले यहां बहावलपुर के राजाओं अपना कंट्रोल जमा लिया। ब्रिटिश अधिकारी वंस एगन्यू जब फाजिल्का पहुंचा तो उससे बहावलपुर के नवाब मुहम्मद बहावल खान से जगह ली और हॉर्स शू लेक किनारे बंगले का निर्माण किया। जहां लोग न्याय पाते थे। इस बंगले के कारण फाजिल्का का नाम बंगला पड़ गया।
फाजिल्का में नहीं थी पुलिस पोस्ट
ओलिवर जिला भटियाणा (सिरसा) के सहायक अधिक्षक बने और उनकी फाजिल्का में 1846 में तैनाती की गई। तब फाजिल्का, अरनीवाला और अबोहर तहसील में पुलिस पोस्ट खाली थी। अरनीवाला-जोधका में एक कस्टम पोस्ट थी। ओलिवर ने भूमि खरीदकर फाजिल्का शहर बसाया। 1857 में भारत की आजादी के लिए चले आंदोलन को फाजिल्का में ओलिवर ने ही दबाया था।
बीकानेर के महाराजा से संबंध
ओलिवर के बीकानेर के महाराजा से अ‘छे संबंध हैं। इस बात का पता बीकानेर के राजा की ओर से ओलिवर को लिखे गए पत्रों से इसका खुलासा हुआ है।
From the window of history
Daulat Rao Scindia came to Fazilka 41 years ago by building Bangla
Revealed from The Punjab, North-West Frontier Province and Kashmir
-  Lachhman Dost -
However, history of Bangla (Fazilka) is believed to have started from 1844. While its history is much older than this. The disclosure was made in 1916 by the British official Dovi, a book written by The Punjab, Nath-West Frontier Province and Kashmir. It has been said that Daulat Rao reached Phazilka 41 years ago by building the Scindia bungalow. At that time, there was Sutlej Darya and surrounding forest itself was forest. But in the meantime some villages had settled.
Sindhia came in 1803
In the book, James Dowie wrote that the British officer Wellesley's Marquee thought to be the most powerful power in India. On the other hand, Napoleon had even thought of attacking India. Daulat Rao Scindia attacked here in Punjab, but he failed. After this he reached Phazilka in 1803 (this name was later placed) and traveled to Delhi from here. It has been written in the book that there was no control over Phazilka at that time.
Oliver also came
144,000 from Namdhari Mia Fajjal Kha Watu 8 was considered as a development ambassador and influential officer for Fazilka, a British officer who settled down the city of Phazilka by purchasing land. Oliver district, who was the builder of the Olive Ganj Market (Mehriya Bazaar) in the heart of the city, was a custom officer in Sirsa. Writer Jugal Kishore Gupta in History of Sirsa Town, quoted Oliver, that the area was not safe in Phazilka at that time. Passing through here was not empty from danger. There was a fear of wild boar like thieves, robbers, lions and snakes. People used to make trolley on Malhot Road and Ferozepur road. At that time the bungalow was not built.
Bahawalpur's Nawabs did control
Before the construction of the bungalow, the kings of Bahawalpur got their control here. When the British officer Van Agnew reached Fazilka, he took the place from Bahawalpur's Nawab Muhammad Bahawal Khan and built a bungalow on horse shoe lake. Where people found justice Due to this bungalow, the name of phazilka got bungalow.
Fazilka did not have police post
Olivar became assistant superintendent of Bhatiya (Sirsa) district and his deployment was done in Fazilka in 1846. Then the police post was empty in Fazilka, Arniwala and Abohar tehsil. There was a custom post in Arniwala-Jodhka. Oliver bought the land and built the city of Fazilka. In 1857 Oliver had pressed the movement for India's independence in Phazilka.
Relationship to Maharaja of Bikaner
Olivar has some relation with the Maharaja of Bikaner. This has been revealed to the letter written by Oliver to the King of Bikaner
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I  LOVE  FAZILKA
1- पाकिस्तान के पाकपटन जिला में सरकारी फाजिल्का इस्लामिया हाई स्कूल है। जो 1953 में बनाया गया। स्कूल 19 केनाल में फैला हुआ है।
1- Government Fazilka Islamia High School in Pakistan's Pakpatan district. Which was built in 1953. The school is spread over 19 canal.



2- फाजिल्का में 1846 में पुलिस स्टेशन बनाया गया। जिसमें सहायक कमिश्नर तैनात किया गया। इस दौरान ही कोर्ट हाऊस स्थापित किया गया। 
2- Police station was built in Fazilka in 1846. In which assistant commissioner was deployed. During this time the court house was established.
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3-फाजिल्का से दो किलोमीटर दूर गांव आवा 1850 में ग्रेवाल परिवार की ओर से बसाया गया था। 
3-Village Aawa was built from the village of Gwewal in 1850, two kilometers away from Fazilka.
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4-साधू आश्रम के संचालक स्वामी कुशल दास जी महाराज थे। 
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4-Swami Kushal Das Ji Maharaj was the successor of the Sadhu Ashram.
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5-सुलेमानकी हैड का निर्माण सन् 1926 में किया गया।
5-Sulemaniki Head was constructed in 1926.



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6-ब्रिटिश साम्रज्य ने बंगला के निकट 1928 में मेथोडिस्ट चर्च का निर्माण करवाया। जो बाद में शास्त्री चौंक के निकट स्थापित की गई। 
6-British Empire constructed the Methodist Church in 1928 near Bangla. Which was later established near Shastri Chowk.
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7-फाजिल्का में विधवा विवाह कांफ्रेंस 24 अप्रैल 1934 को हुई थी।
7-Widow Marriage Conference in Fazilka was held on 24th April 1934.
--------------LACHHMAN DOST FAZILKA-

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Jul 10, 2018

                                                              Fazilka Ek Mahagatha


-फाजिल्का बसने से पूर्व बहावलपुर और ममदोट के नवाबों ने यहां कुछ छोटे - छोटे किले बनवाए , मगर उन की सरहदें सही ढंग से नहीं थी जब वट्टु और बहक परगना का आगमन हुआ तो उन्होंने सरहदें निर्धारित कर ली, 
- 1844 में ब्रिटिश अधिकारिओं ने बहावलपुर के नवाबों से जगह का आदान प्रदान कर लिया और इस के बदले नवाबों को सिंध प्रान्त से कुछ जगह दे दी 
-नवंबर 1884 में जब सिरसा जिले के दो हिस्से हुए तब पच्छिम का आधा हिस्सा फाजिल्का तहसील का था और 40 गावं डबवाली तहसील के थे जो फिरोजपुर के साथ जोड़े गए.

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Before the settlement of Fazilka, the Nawabs of Bahawalpur and Mamdot used to build some small fortresses here, but their border was not right when Vattu and Dheka Paragana arrived, they set boundaries,
- In 1844, British officials exchanged space with the Nawabs of Bahawalpur and in exchange for this, the Nawabs gave some place from Sindh province
In November 1884, when Sirsa district had two parts, half of the western part was of Fazilka tahsil and 40 villages were of Dabwali tehsil, which were connected with Ferozepur.
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सुरेश वाला को बनाएंगे हरा भरा: सरपंच सुधीर कुमार      

-पंचायत ने ग्रामीणा के सहयोग से रोपित किए पौधे


फाजिल्का, 10 जुलाई: 

गांव सुरेश वाला को हरा भरा बनाने के लिए ग्राम पंचायत ने ग्रामीणों व बच्चों के साथ मिलकर गांव में पौधे रोपित किए। इस बारे में जानकारी देते हुए सरपंच सुधीर कुमार ने बताया कि घर घर हरियाली स्कीम के तहत गांव सुरेश वाला में पंचायत ने ग्रामीणों व स्कूल के बच्चों के सहयोग से गांव में पौधे रोपित किए ताकि गांव को हरा भरा बनाया जा सके। इस मौके पर सरपंच सुधीर कुमार ने कहा कि लगातार दूषित हो रहे वातावरण को स्वच्छ रखना समय की मांग है। इसलिए हर व्यक्ति को अपने जन्मदिन या शादी की सालगिरह पर पौधे रोपित जरूर करने चाहिए ताकि वातावरण को स्वच्छ बनाया जा सके। इस मौके पर वन विभागके ब्लाक अफसर विनोद कुमार, वन गार्ड सुखदेव सिंह, पंच शिव चंद, ग्रामीण जगमोहन, राहुल, सुमित, रमन, कुलवीर, विक्की, रमेश, संदीप, बब्बलू आदि मौजूद थे।
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                                                     Know about FAZILKA 
                कुछ ऐसे नाम - जिन की है खूब पहचान - चिठ्ठी पत्र पर आज भी वही नाम 

जैसे .........
नाम होटल बाजार - होटल कितने है ? सिर्फ दो - चार ?
नाम मेहरीआं बाजार - क्या कभी देखा है वहां मेहरीआं को ?
नाम - डेड हाउस रोड - इस का मतलब तो समझते होंगे आप ?
नाम- वान बाजार - कहाँ है वान की दूकान ?
नाम - वूल मार्किट - कहाँ है वूल ?
नाम - मुलतानी चुंगी - जहाँ चुंगी नहीं काटी जाती ?
नाम- बीकानेरी रोड , बठिंडा रोड, और भी कई अनूठे नाम हैं बॉस !
क्यों ? हैं ना अनूठे नाम - फिर भी है इन की पहचान - बॉस - यही तो है मेरे फाजिल्का की पहचान !(LACHHMAN DOST)
Know about FAZILKA
Some such names - who have a lot of identity - are still on the same letter even today.
like .........
Name Hotel Market - How much is the hotel? Only two - four?
Name Mehari Bazar - What have you ever seen there?
Name - Dead House Road - What do you mean by this?
Name-Van Bazar - Where is the Van Shop?
Name - Wool Market - Where is Wool?
Name - Multani Chungi - Where Do Taxes Not Cut?
Name: Bikaneri Road, Bathinda Road, and many other unique names are Boss!
Why? There is no unique name - yet the identity of these - boss - that is the identity of my Fazilka!
LACHHMAN DOST FAZILKA

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Jul 9, 2018

Maharaja Ganga Singh took out the Gang Canal

                                      महाराजा गंगा सिंह ने निकाली गंग केनाल
     बीकानेर रियासत को पानी देने वाली गंग केनाल फाजिल्का के क्षेत्र से होकर गुजरती है। इसे सतलुज वैली प्रोजेक्ट समझोते के तहत बीकानेर रिसायत को पानी देने के लिए बनाया गया है। बात 1899-1900 की है। जब बीकानरे रियासत में अकाल पड़ गया। तब बीकानेर रियासत के महाराजा गंगा सिंह ने केनाल के लिए ब्रिटिश साम्राज्य से अपील की। पंजाब के चीफ इंजीनियर आर.जी. कनेडी ने 1906 में सतलुज वैली प्रोजेक्ट की रूपरेखा तैयार की तो महाराजा गंगा सिंह को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया। तब महाराजा गंगा सिंह लार्ड कर्जन के पास शिमला पहुंचे। क्योंकि बहावलपुर रियासत की ओर से इसकी खिलाफत की जा रही थी। इसलिए केनाल निकालना आसान नहीं था। बहावलपुर रियासत का तर्क था कि रिपोरियन नियमानुसार बीकानेर रियासत का इस पानी पर कोई हक नहीं है। मगर पंजाब के गवर्नर सर डैंजिल इबटसन को महाराजा से हमदर्दी थी और 1912 में योजना बनाकर तैयार कर ली गई। मगर पहले विश्व युद्ध के कारण यह कार्य अधर में लटक गया। इसके बाद 4 सितंबर 1920 को पंजाब, बहावलपुर और बीकानेर रियासत में सतलुज घाटी प्रोजेक्ट समझौता हुआ।
        महाराजा गंगा सिंह ने केनाल की जिम्मेदार रैवन्यू कमिश्नर जी.डी. रूडकिन को सौंप दी। केनाल पर करीब तीन करोड़ रूपये खर्च आने का अंदाजा था। महाराजा द्वारा 5 दिसंबर 1925 को हुसैनीवाला में गंग नहर का नींव पत्थर पंजाब के गवर्नर सर मैलकम हैले, चीफ जस्टिस ऑफ पंजाब सर सादी लाल, सतलुज वैली प्रोजेक्ट के चीफ इंजीनियर ई.आर. फाए की मौजूदगी में रखा गया। इस केनाल का नाम महाराजा गंगा सिंह के नाम पर गंग केनाल रखा गया। हुसैनीवाला से शिवपुर तक इसकी लंबाई 129 किलोमीटर है। उस समय यह नहर दुनियां की सबसे लंबी नहर थी। महाराजा ने पंजाब क्षेत्र में नहर और रेस्ट हाउस बनाने के लिए सारी भूमि पंजाब सरकार से खरीद की थी। पांच वर्ष में चूने से तैयार की गई यह केनाल अब सीमेंट बजरी और ईंटों से बनी अन्य नहरों से मजबूत है। 26 अक्तूबर 1927 को शिवपुर हैड से केनाल का पानी छोडक़र महाराजा द्वारा इसका उद्घाटन किया गया। इस मौके पर वायसराये ऑफइंडिया लार्ड इरविन के अलावा कई राज्यों के राजा-महाराजा और नवाब भी मौजूद थे।
Gang Canal - Fazilka 
                                          Maharaja Ganga Singh took out the Gang Canal
     Bikaner passes through the area of ​​Gang Kanal Fazilka, which gives the water to the principality. It is designed to give water to Bikaner Reasi under the Sutlej Valley Project Settlement. The talk is from 1899-1900. When there was a famine in the basin kingdom. Then Maharaja Ganga Singh of Bikaner principality appealed to the British Empire for canal. Chief Engineer of Punjab RG When Kanadei outlined the Sutlej Valley Project in 1906, then Maharaja Ganga Singh was called to keep his side. Then Maharaja Ganga Singh reached Shimla near Lord Curzon. Because it was being opposed by Bahawalpur principality. So it was not easy to remove canals. The Bahawalpur principality argued that according to the Reporian rule Bikaner principality has no right over this water. But Sir Darjeeling Ibbatson, Governor of Punjab, was sympathetic to the Maharaja and was prepared in 1912 by planning. But due to World War I this work was hanging in the balance. After this, on September 4, 1920, the Sutlej Valley Project agreement was settled in Punjab, Bahawalpur and Bikaner.
        Maharaja Ganga Singh, responsible for the canal, is the revenue commissioner, G.D. Handed to Rudkin. The estimated cost of the canal was about three crore rupees. The foundation stone of the Gang Canal at Husainainiwala, on December 5, 1925, by Maharaja Sir Sir Malcolm Hailey, Chief Justice of Punjab Sir Sardar Lal, Chief Engineer of Sutlej Valley Project, ER; Kept in the presence of FAA. This canal was named after Gangkal in the name of Maharaja Ganga Singh. Its length is 129 kilometers from Hussainiwala to Shivpura. At that time the canal was the longest canal in the world. The Maharaja had bought all the land from Punjab Government to make canal and rest house in Punjab area. This canal, made from lime in five years, is now stronger than cement gravel and other canals made of bricks. It was inaugurated on 26 October 1927 by Shivaji Mahar, leaving the canal water from Shivpura Head. On this occasion besides the Viceroy of India Lord Irwin, King-King and Nawab of many states were also present.


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