punjabfly

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Jan 6, 2020

कस्बे से शुरूआत, मंडी से खुशहाली, विभाजन से बर्बादी -अब बुलंदियों पर है - रंगला, बंगला, फाजिल्का


Fazilka Clock Tower
फाजिल्का की भूमि गुरुओं, पीरों पैगम्बरों, अवतारों और शहीदों के आशीर्वाद से ओत-प्रोत है तथा उनकी रहमत से यहां नेकदिल इन्सान बसते हैं, जो हर क्षण दूसरों की सेवा करने को तत्पर रहते हैं। यहां श्री गुरू नानक देव जी और शहीद-ए-आजम स. भगत सिंह ने कदम रखकर इस धरती को पवित्र बनाया। भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा से मात्र 11 किलोमीटर की दूरी पर बसा फाजिल्का, पंजाब की सबसे पुरानी तहसील है, जो अब जिला बन चुका है। यह शहर 1844 में बसाया गया। दरिया के एक किनारे मुस्लिम समुदाय के 12 गाँव थे, जिनमें वट्टू, चिश्ती और बोदला जाति के मुस्लिम परिवारों की संख्या अधिक थी। इन गांवों पर बहावलपुर और ममदोट के नवाबों का नियंत्रण था।

Guruduara Haripura
 ईस्ट इंडिया कम्पनी ने कम्पनी ने सबसे पहले यहां एक अंग्रेज अफसर पैट्रिक एलेग्जेंडर वन्स एगन्यू को आर्गेनाइजेशन एजेंसी की देखरेख के लिए नियुक्त किया। वन्स एगेन्यू ने हार्श शू लेक यानि बाधा झील किनारे एक बंगले का निर्माण करवाया। जिस कारण शहर का नाम बंगला पड़ गया। क्षेत्र की सीमा ममदोट, सिरसा, बीकानेर और बहावलपुर तक थी। फिर जिला सिरसा के कैप्टन जे. एच. ऑलिवर को नियुक्त किया गया। यहां नगर को बसाने के लिए ईस्ट इंडिया कम्पनी ने 32 एकड़ भूमि केवल 144 रुपए 8 आने में भूमि खरीदी थी। यह भूमि वट्टू जाति के मुखिया फज़ल खां वट्टू से खरीद की गई थी, लेकिन वट्टू की एक शर्त थी कि इस स्थान पर जो नगर बसाएगा, उसका नाम फज़ल खां के नाम से रखा जाए। उसके बाद शहर को फाजिल्का के पुकारा जाने लगा। सन् 1862 में अंग्रजों ने सुल्तानपुरा, पैंचांवाली, खियोवाली, केरूवाला और बनवाला रकबे की 2165 बिघा भूमि ओर खरीद ली। यह भूमि 1301 रुपए में खरीद की गई। 

बाद में, 7 अगस्त 1867 में पंजाब सरकार के नोटिफिकेशन 1034 के तहत फाजिल्का की सीमा तय की गई। फाजिल्का को कभी बाढ़ ने उजाड़ा, तो कभी प्लेग, भूख व गरीबी ने, लेकिन ऊन के व्यापार ने इस नगर को बहुत संभाला। व्यापार की दृष्टि से अंग्रजों के न्योते पर यहां पेड़ीवाल, अरोड़वंश, अग्रवाल और मारवाड़ी समुदाय के लोगों ने यहां व्यापार कार्य आरंभ कर दिया। फाजिल्का एशिया की प्रसिद्ध ऊन मंडी बन गया। ऊन की गांठें यहां तैयार होती और रेलगाड़ी के जरिये, दिल्ली, लाहौर और सिन्ध व कराची तक पहुंचाई जाती। वहां कराची की बन्दरगाहों से यह ऊन यूरोप की मंडियों तक पहुंचाई जाती थी। ऐतिहासिक धरोहर घंटाघर जहां पंजाब विधानसभा की आर्ट गैलरी की शान है, वहीं हिन्दोस्तान का गौरव है। घंटाघर 6 जून 1939 में बनाया गया। गाँव आसफवाला में 80 फुट लंबी और 18 फुट चौड़ी शहीदी स्मारक बनाई गई है। सबसे पुरानी ऐतिहासिक इमारत रघुवर भवन है।

Asafwala Saheed Smark
 इसके अतिरिक्त यहां डेन अस्पताल, ऑलिवर गार्डन, सतलुज दरिया, एशिया के द्वितीय नंबर का टी.वी. टावर, हॉर्स शू लेक, गोल कोठी, प्रताप बाग, सेठ चानण लाल आहूजा पुस्तकालय, बेरीवाला पुल, सरकारी एम. आर. कॉलेज, संस्कृत कॉलेज व अनेक धार्मिक स्थान दर्शनीय हैं। यहां की बनने वाली जूती, मिठाई तोशा, वंगा सुप्रसिद्ध हैं।  27 जुलाई 2011 को फाजिल्का जिला घोषित किया गया।  आज फाजिल्का जिला कहलाता है और लगातार तरक्की की राह पर चल रहा है। (Lachhman Dost -Whats App No. 99140-63937)
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Jan 2, 2020

ਸ਼ਰੀਕਾਂ ਨੇ ਹੀ ਮਾਰ ਦਿੱਤਾ ਫ਼ਜ਼ਲ ਖਾਨ ਵੱਟੂ ਦਾ ਮੁੰਡਾ ਸਲੀਮ ਖਾਨ !

 ਇੱਕ ਰਾਤ ਸਲੀਮ ਖਾਂ ਘੋੜੇ ਤੇ ਸ਼ਹਿਰ ਤੋਂ ਪਿੰਡ ਆ ਰਿਹਾ ਸੀ। ਜਦੋਂ ਉਹ ਪਿੰਡ ਸਲੇਮਸ਼ਾਹ ਦੇ ਨੇੜੇ ਨਹਿਰ ਦੀ ਪੁਲ ਤੇ ਪੁੱਜਿਆ ਤਾਂ ਮੂੰਹ ਸਿਰ ਲਪੇਟੇ ਕੁੱਝ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਉਸ ਤੇ ਹਮਲਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਸਲੀਮ ਖਾਂ ਨੇ ਡਟ ਕੇ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕੀਤਾ। ਪਰ ਜਦੋਂ ਅਮੀਨ ਖਾਂ ਨੇ ਬੰਦੂਕ ਨਾਲ ਸਲੀਮ ਖਾਂ ਨੂੰ 2 ਗੋਲੀਆਂ ਮਾਰੀਆਂ ਤਾਂ ਸਲੀਮ ਖਾਂ ਧਰਤੀ ਤੇ ਡਿਗ ਪਿਆ। ਨਾਲ ਹੀ ਕਾਠ ਵਾਲਾ ਖੂਹ ਸੀ। ਰੋਲਾ ਸੁਣ ਕੇ ਉੱਥੋਂ ਬੰਦੇ ਭੱਜ ਕੇ ਆ ਗਏ। ਪਿੰਡ ਵਿਚ ਵੀ ਪਤਾ ਲੱਗ ਗਿਆ । ਲੋਕ ਜੁੜ ਗਏ ਤਾਂ ਹਮਲਾ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਭੱਜ ਗਏ। ਸਲੀਮ ਖਾਂ ਨੂੰ ਸਰਕਾਰੀ ਹਸਪਤਾਲ ‘ਚ ਦਾਖਲ ਕਰਵਾਇਆ ਗਿਆ। ਥਾਣੇ ਤੋਂ ਦਰੋਗ਼ਾ ਆਇਆ ਤਾਂ ਸਲੀਮ ਖਾਂ ਨੇ ਸਾਰੀ ਗੱਲ ਲਿਖਾ ਦਿੱਤੀ।
ਪੁਲਸ ਨੇ ਪਿੰਡ ਦੇ 110 ਬੰਦਿਆਂ ਨੂੰ ਹਵਾਲਾਤ ‘ਚ ਡੱਕ ਦਿੱਤਾ। ਕੇਸ ਚੱਲਦਾ ਰਿਹਾ ਤੇ 7 ਸ਼ਰੀਕਾਂ ਤੇ ਅਮੀਨ ਖਾਂ ਨੂੰ 7-7 ਸਾਲ ਦੀ ਸਜਾ ਹੋਈ। ਜਾਣਦੇ ਹੋ ਸਲੀਮ ਕੌਣ ਸੀ, ਸਲੀਮ ਖਾਂ ਫ਼ਜ਼ਲ ਖਾਂ ਵੱਟੂ ਦਾ ਪੁੱਤਰ ਸੀ। ਉਹ ਫਜ਼ਲ ਖਾਂ ਬਜ਼ੁਰਗ ਹੋ ਗਿਆ ਤਾਂ ਉਸ ਦਾ ਪੁੱਤਰ ਸਲੀਮ ਆਪਣੇ ਭਰਾਵਾਂ ਤੋਂ ਅਲੱਗ ਹੋ ਗਿਆ। ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਉਸ ਨੇ ਪਿੰਡ ਫ਼ਜ਼ਲਕੀ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਇੱਕ ਹੋਰ ਪਿੰਡ ਵਸਾ ਲਿਆ ਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਨਾਂਅ ਸਲੀਮਕੀ ਦਿੱਤਾ। ਅੱਜ ਕੱਲ ਪਿੰਡ ਨੂੰ ਸਲੇਮਸ਼ਾਹ ਦੇ ਨਾਂਅ ਨਾਲ ਜਾਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਸਲੀਮ ਨੇ ਪਿੰਡ ਵਿਚ ਮਸੀਤ ਵੀ ਅਲੱਗ ਬਣਵਾ ਲਈ ਅਤੇ ਪਿੰਡ ਦੇ 7 ਖੂਹਾਂ ਚੋਂ 3 ਖੂਹ ਆਪਣੇ ਹਿੱਸੇ ਕਰਵਾ ਲਏ।
ਜ਼ਮੀਨੀ ਝਗੜੇ ਕਾਰਨ ਸਲੀਮ ਦਾ ਆਪਣੇ ਭਰਾਵਾਂ ਸਿਕੰਦਰ ਖਾਂ ਵੱਟੂ, ਚਿਰਾਗ਼ ਖਾਂ ਵੱਟੂ ਤੇ ਜ਼ਾਬਤਾ ਖਾਂ ਵੱਟੂ ਨਾਲ ਨਹੀਂ ਬਣਦੀ ਸੀ। ਸਲੀਮ ਖ਼ਾਨ ਦੇ ਘਰ 2 ਬੱਚੇ ਹੋਏ, ਦੋਵਾਂ ਦੀ ਮੌਤ ਹੋ ਗਈ। ਦੂਜੇ ਭਰਾਵਾਂ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ਕਿ ਸਲੀਮ ਨੂੰ ਵੀ ਮਾਰ ਦਿੱਤਾ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਉਹ ਸਾਰੀ ਜ਼ਮੀਨ ਦੇ ਮਾਲਕ ਬਣ ਜਾਣਗੇ। ਸਲੀਮ ਦੇ ਭਰਾਵਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਚਚੇਰੇ ਭਰਾਵਾਂ ਜਲਾਲ ਖਾਂ ਤੇ ਨਵਾਬ ਖਾਂ ਨਾਲ ਮਿਲ ਸਲੀਮ ਖਾਂ ਨੂੰ ਮਾਰਨ ਦੀ ਯੋਜਨਾ ਤਿਆਰ ਕੀਤੀ। ਉਹਨਾਂ ਨੇ ਅਮੀਨ ਖਾਂ (ਪਿੰਡ ਸਜਰਾਨਾ) ਨੂੰ ਪੈਸੇ ਦੇ ਕੇ ਸਲੀਮ ਖਾਂ ਨੂੰ ਮਾਰਨ ਲਈ ਤਿਆਰ ਕਰ ਲਿਆ ਤੇ ਉਹਨਾਂ ਨੇ ਮਿਲ ਕੇ ਸਲੀਮ ਤੇ ਹਮਲਾ ਕੀਤਾ (Lachhman Dost 99140-63937)

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Jan 1, 2020

क्रांति के इन वीरों ने, छीनी अंग्रेजों की शांति


Lala Sunam Rai M.A. Fazilka
देश की आजादी में फाजिल्का जिले के लोगों का भी अहम योगदान रहा है…फाजिल्का निवासी एडवोकेट नंद लाल सोनी, चौधरी वधावा राम, लाला सुनाम राए एम.ए., हर किशन, डोगर दास पुत्र शाम दास, मुरारी लाल पुत्र तुलसा राम, जोगिन्द्र सिंह पुत्र मेहताब सिंह, देस राज पुत्र कांशी राम मिस्त्री, चांदी राम वर्मा अबोहर, गांव नुकेरिया निवासी हरनाम सिंह पुत्र मघर सिंह, पंजावा के बिशन सिंह पुत्र भाग सिंह, जंडवाला भीमे शाह के तारा सिंह पुत्र अत्तर सिंह, पाकां के ज्ञान चंद पुत्र ज्योति राम, सुुरेश वाला के चेता सिंह पुत्र सूरता राम, घट्टियां वाली के झांगा राम पुत्र वधावा राम, खुईखेड़ा के अर्जुन सिंह पुत्र तलोक सिंह,
चक्क पालीवाला के बचित्र सिंह पुत्र इंद्र सिंह, झोक डिपोलाना के अजीत सिंह पुत्र चंदा सिंह, चिराग ढ़ाणी के गुलजारा सिंह पुत्र उजागर सिंह, कच्चा कालेवाला के लछमण दास, टाहलीवाला जट्टां के नंद सिंह पुत्र फुम्मन सिंह, राजपुरा के पूरन सिंह पुत्र चतर सिंह, सुलखन सिंह पुत्र माहला सिंह वासी रत्ता थेहड़, गुरमुख सिंह पुत्र सुंदर सिंह गांव मिनिया वाला, बघेल सिंह पुत्र इशर सिंह कमालवाला, ज्ञान सिंह पुत्र हजूरा सिंह कमालवाला, बहल सिंह पुत्र सुरैण सिंह जंडवाला भीमे शाह, दयाल सिंह पुत्र कथा सिंह पाकां, महल सिंह पुत्र संता सिंह कंधवाला हाजर खां आदि ने देश की आजादी में अपना अहम योगदान दिया है…सरकार की ओर से इन्हें स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा दिया गया है।(Lachhman Dost Whatsapp 99140-63937)
                                   
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Dec 29, 2019

Fazilka Clock Tower - बिर्मिघम से मंगवाया गया था घडिय़ाल ।


      एक वक्त था, जब शहर का समय क्लॉक टावर तय करते थे…शहर और आसपास के ग्रामीण (जहां तक क्लॉक की आवाज जाती थी) अपनी दिनचर्या निर्धारित करते थे…घडिय़ाल की घनघनाहट जब होती तो हर व्यक्ति सतर्क हो जाता…

घडिय़ाल एक एक घंटे बाद समय दोहराता है…समय जितना होता, घडिय़ाल उतनी बार बजता…यानि दस बजे तो घडिय़ाल …10 बार बजता है… 

अपनी वास्तुकला के सौंदर्य के लिए भी क्लॉक टावर मशहूर हैं…भले ही आज मोबाइल का युग है…मोबाइल ने घडिय़ों का कारोबार लगभग बंद कर दिया…घड़ी तो कम लोग ही देखते हैं…इसके बावजूद क्लॉक टावर के घडिय़ाल की आवाज कईयों को सुबह जगाती है…


फाजिल्का के घंटा घर पर जो घडिय़ाल लगाया गया है… वो इंगलैड के शहर बिर्मिघम से मंगवाया गया था।

 यह भी बता दूं कि घंटा घर को बनाने के लिए करीब तीन साल का समय लगा था और इस पर करीब 22000 रूपये खर्च हुआ था।

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Dec 28, 2019

सियासत के महारथियों की एक कहानी … तस्वीरों की जुबानी

फाजिल्का सरहदी क्षेत्र जरूर है, लेकिन सियासत में पीछे नहीं है…इस क्षेत्र की मिट्टी ने देश को कई सियासतदान दिए हैं…उनमें ch.Wadhawa Ram का रिकॉर्ड है कि वह देश के विभाजन के बाद प्रथम विधायक तो बने ही, साथ में उन्होंने जेल में ही विधानसभा चुनाव जीतकर रिकॉर्ड भी बनाया…इसके अलावा फाजिल्का विधानसभा हलके ने पंजाब सरकार को कई मंत्री भी दिए…इनके बारे में ब्लाग में लिखा जाएगा…फाजिल्का की धरती पर प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, श्रीमति इन्दिरा गांधी ने भी कदम रखा…मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब आर.एस.एस. के प्रचारक थे तो वह कई बार इस इलाके में आए…प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू अबोहर आए… सियासत के इन महारथियों की एक कहानी…तस्वीरों की जुबानी।
देश की प्रधानमंत्री श्रीमति इन्दिरा गांधी जब फाजिल्का (1972) में आईउनकी यह तस्वीर
Ex PM Smt Indra Gandhi in Fazilka
देश के प्रधानमंत्री रहे श्री अटल बिहारी वाजपेयी की (1977) फाजिल्का में यह यादगार तस्वीरें।
Ex PM Sh. Atal Bihari Vajpai in Fazilka 1977
फाजिल्का में टी.वी. टावर लगाने के लिए देश के प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी से मिले पत्रकार लीलाधर शर्मा, धर्म लूना व अन्य।
Mr. Leela Dhar Sharma and Mr Dharm Loona with Ex PM Mr Rajiv Gandhi
लोकसभा स्पीकर चौधरी बलराम जाखड़ फाजिल्का में एक यादगार तस्वीर
A memorable photo- Lok Sabha Speaker Chaudhary Balram Jakhar in Fazilka
Congress Leader जगमीत सिंह बराड़ के पिता स. गुरमीत सिंह बराड़ फाजिल्का में, शर्मा व अन्य। Ms. Uma Sharma (RETIRED AS DEPUTY DIRECTOR PUBLIC RELATIONS PUNJAB) साथ हैं के पिता व स्वतंत्रता सैनानी डा. गोबिन्द राम
This Historical Photo Is Of Abohar. (Distt FAZILKA)
Pandit Jawahar Lal Nehru Visited Abohar Before Independence, On The back Side Of ‘State Bank Of India’ Abohar. Late Sh. Chandi Ram Verma Freedom Fighter from Abohar Sitting On The Stage.
with Thx- https://www.facebook.com/AboharCity/
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Dec 27, 2019

SIRSA OR MULTAN के बीच खड़ा एक बुलंद इमारत वाला शहर BANGLA


       झील का मनमोहक नजारा…कोयल की मीठी आवाज…झूमते मोर…फलों व फूलों की खुश्बू…मदमस्त हवा…यह सब बंगले के आसपास हो तो हर कोई चाहेगा कि इस बंगले में ही रहा जाए…ब्रिटिश कलाकृति से सजा-संवरा बंगला खुद ही इंसान को आकषित कर रहा था…उस बंगले का निर्माणकर्ता भी युवा था…पैट्रिक एलैगजैंडर वन्स एगन्यू…सिर्फ 22 साल का था…ब्रिटिश सरकार ने उसे बंगले (फाजिल्का) का चार्ज दिया हुआ था।

उसकी सोच ही ऐसी थी…कहां बसना है…किन लोगों से मिलना है…सियासी अफसर भी था वो…पंजाबी भी जानता था…भटियाना (अब सिरसा) में बतौर सहायक सुपरीटेडैंट था…डयूटी बंगले में थी…शहर बसाना…शहरों को आबाद करना उनका मनपसंद काम था…उसने बहावलपुर के नवाब मुहम्मद बहावल खान तृतीय से जगह ली और बाधा झील किनारे बंगले का निर्माण करवाया…न्याय पसंद अधिकारी था…बंगले में ही न्याय करता…बिलकुल सही न्याय…आजकल क तरह देर से नही…तुरंत फैसला…दूर दराज तक का क्षेत्र था…इसलिए दूर दूर तक बंगले की धूम थी…बंगला नाम प्रसिद्ध हो गया…कस्बा बन गया…हरेक व्यक्ति की जुबान पर बंगला…तकरीबन एक साल में ही युवा वंस एगन्यू का बंगला हरेक का प्यारा बन गया।

        सिरसा से लेकर मुलतान के बीच बंगला सैंटर प्लेस था…जो भी ब्रिटिश अधिकारी इस रास्ते से गुजरता…वो इस बंगले में जरूर पहुंचता… सिरसा के अलावा मालवा, सतलुज राज्य की बैठकें यहां होने लगी…इस बंगले में तैनात वंस एगन्यू को 13 दिसम्बर 1845 को फिरोजपुर का चार्ज भी दे दिया गया…इसके बाद 23 फरवरी 1846 को उनका तबादला लाहौर कर दिया गया…उनके स्थान पर बंगले में J.H.Oliver की तैनाती की गई…उन्होंने बंगले को और निखारा…बंगले के साथ गार्डन बनाया…जिसका नाम ओलिवर गार्डन रखा गया।
Mehndi Hassan
      यह वही बंगला है…जहां पाकिस्तान में सुप्रसिद्ध रहे गजल गायक मेहंदी हसन जब सिर्फ आठ साल के थे…उस समय वह अपने परिवार के साथ राजस्थान में रहते थे…वह यहां अपने पिता अजीम खान के साथ आए थे…बात 1935 की है…उसके पंजाब के राज गायक के लिए मुकाबला था…उस मुकाबले में हिस्सा लेने के लिए अजीम खान भी आए थे…मेहंदी हसन साथा थे…ध्रुप्द एवं ख्याल ताल में जब मेहंदी हसन ने पहली प्रोफार्मेंस दी तो तालियों की गंूज ने बता दिया था कि मेहंदी हसन किसी समय में दुनिया का प्रसिद्ध गजल गायक बनेगा…वही हुआ। Lachhman Dost (Whatsup no) 99140-63937 
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Dec 26, 2019

इब्बन बत्तूता ने कहा था, यहां जो शहर बसेगा, रमणीक होगा…इमारत के नाम पर बसा दिया शहर-BANGLA

किसी ने देवी देवताओं के नाम पर अपने शहर का नाम रखा तो किसी ने पीर पैगंबर के नाम परकिसी ने राजा के नाम पर तो किसी ने खुद अपने नाम परमगर यहां एक ऐसा शहर भी है जो इमारत के नाम पर बसाया गया हैवह भी दरिया के निकटएक सुंदर शहर, प्यारा और रमणीक शहरबंगलाजिस का नाम आज भी बुजुर्ग बंगला ही पुकारते हैंहैरानी इस बात की भी है कि यह शहर पहले कोई गांव नहीं था ही किसी राजा महाराजा और देवी देवता या पीर फकीर के नाम पर बसा हैसीधे ही शहर आस्तित्व में आया है।
      आज से करीब 645 साल पहले इब्बन बत्तूता यह बात बता चुके हैं कि अगर सतलुज दरिया के किनारे कोई शहर बसाया जाता है तो वह शहर बड़ा रमणीक होगाआज यह शहर रमणीक हैजिसकी महिमा दूर दराज तक हैसमय की सरकारें सियासत अगर इस शहर पर कुल्हाड़ी चलाती तो आज इस शहर को देखने के लिए दूरदराज से लोग आते
Bangla

यह एक ऐसा शहर है, जहां से भारत शुरू होता हैएक समय था, जब यह मौजूदा राज्य हरियाणा के जिला सिरसा की तसहील थी और इसकी एक सीमा राजस्थान के शहर बीकानेर एक सीमा पाकिस्तान के शहर हवेली तक लगती थी, फिर यह जिला फिरोजपुर की तहसील बनीअब यह खुद जिला है।
        इमारत के नाम पर बसा यह शहर बंगला (फाजिल्का)ब्रिटिश अधिकारियों ने बड़ी सूझबूझ से बनाया था। पहली बात, यह बंगला सुंदर और मनमोहक बाधा झील के किनारे बनाया गया, ब्रिटिश अधिकारी जानते थे कि बंगला शहर के बीचोबीच नहीं है और शहर बंगले के दूसरी तरफ नहीं बढ़ेगाइसलिए यहां शहर के बीचोबीच क्लॉक टावर बनवाया गयाजिस तरफ भी जाना होजिस शहर में भी जाना हो तो वहां से हर तरफ सडक़ निकलती हैं…(शेष अगले ब्लॉग में)
Bangla - (Fazilka )
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