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Jul 28, 2018



हर वर्ग के दिलों की धडक़न बन चुके सुखपाल सिंह खैहरा को पुन: विपक्षी दल का नेता बनाया जाए: अतुल नागपाल
विरोधी राजनीतिज्ञों को घेरने की प्रबल क्षमता रखते है सुखपाल खैहरा

फाजिल्का, 28 जुलाई: पंजाब में रेत खदानों का गौरख धंधा, नशा, गुंडागर्दी और बेरोजगारी आदि मुद्दों को पंजाब की कांगे्रस सरकार के समक्ष जोरदार ढंग से उठाकर युवाओं की दिलों की धडक़न बनी सुखपाल सिंह खैहरा को आम आदमी पार्टी के आलाधिकारियों द्वारा विपक्षी दल के नेता के पद से हटाने से पार्टी को काफी नुकसान होगा। इसलिए स. खैहरा को वापिस उसी पद पर नवाजा जाना चाहिए। यह बात आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता अतुल नागपाल ने प्रैस नोट के जरिए कही है। उन्होंने कहा कि स. खैहरा तेज तर्रार नेता हैं और उन्होंने ही पंजाब में रेत खदानों के चल रहे धंधे को जोरदार ढंग से उठाया। जिसके इस गौरख धंधे पर मुख्यमंत्री को खुद हवाई जहान के जरिए रेत खदानों का दौरा करना पड़ा। पंजाब में नशे पर लगाम कसने के लिए पंजाब सरकार को कड़े कदम उठाने के लिए मजबूर करने वाले सुखपाल सिंह खैहरा पंजाब में हर वर्ग के लोगों की चाहत बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब में सत्ताधारी पार्टी के सियासी नेताओं द्वारा किए जा रहे हर गलत कार्यों पर विरोधी राजनीतिज्ञों को आड़े हाथों लेने वाले स. खैहरा एक स्वच्छ छवि वाले नेता हैं। जिसके चलते उनकी सियासत के गलियारे में एक अलग पहचान है। उन्होंने कहा कि स. खैहरा ने पंजाब के हर वर्ग पर अपनी अमित छाप बनाई है। जिसके चलते विपक्षी पार्टियां रोजाना उनसे इस्तीफा मांग रही हैं। क्योंकि स. खैहरा की बढती लोकप्रियता नहीं रूक रही। श्री नागपाल ने पार्टी के आलाधिकारियेां से मांग की है कि स. खैहरा को विपक्षी दल के पद से हटाने से पार्टी को काफी नुकसान होगा। इसलिए उन्हें पुन: उसी पद पर बहाल किया जाना चाहिए। 
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Jul 27, 2018

बेटे के जन्मदिन पर लवली परनामी ने किया रक्तदान
फाजिल्का- 

ब्लड डोनेशन सोसायटी के सदस्य लवली परनामी ने अपने बेटे मधुर परनामी के जन्मदिन पर रक्तदान किया गया। इस बारे में जानकारी देेते हुए सोसायटी के वक्ता कृष्ण तनेजा ने बताया कि लवली परनाम की अेार से सिविल अस्पताल में रक्तदान किया गया है। रक्तदान के बाद लवली परनामी को कृष्ण तनेजा, सोनू वर्मा और मुकेश कुमार ने सम्मानित किया।

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जमीन के आबादकारों को बनाया जाए मालिक: विधायक घुबाया
मुख्यमंत्री से फाजिल्का क्षेत्र के विकास के लिए फंड की मांग भी की

फाजिल्का, 27 जुलाई: सरहदी ग्रामीणों ने कड़े परिश्रम के बाद भारत पाक सरहद के निकट हजारों एकड़ भूमि को आबाद किया। मगर उन आबादकारों को अभी तक मालिक नहीं बनाया गया। उन्हें मालिक बनाया जाना चाहिए। यह बात फाजिल्का के विधायक दविन्द्र सिंह घुबाया ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह से की है। इस सबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखित मांग पत्र भी दिया है। जिसमें फाजिल्का के विकास के लिए फंड की मांग भी की गई है। इस बारे में जानकारी देते हुए विधायक दविन्द्र सिंह घुबाया के मीडिया इंचार्ज बलकार सिंह सिद्धु ने बताया कि फाजिल्का क्षेत्र के विकास के लिए विधायक स. घुबाया द्वारा मुख्यमंत्री से फंड जारी करने की मांग की गई है ताकि रूके हुए विकास कार्य मुकम्मल हो सकें और जो विकास कार्य नए शुरू होने हैं, उन्हें शुरू करवाया जा सके। उन्होंने कहा कि किसान आर्थिक तौर पर कमजोर हैं। खासकर फाजिल्का और फिरोजपुर जिलों के अलावा अमृतसर, तरनतारन व गुरदासपुर जिले के किसान, जिन्होंने सरहदी भूमि को आबाद किया, लेकिन उन्हें उस भूमि का मालिक नहीं बनाया गया। जबकि वह लोग कभी दरिया की बाढ़ और कभी भारत पाक के बीच तनाव के चलते बर्बाद हुए हैं। बाद के कारण जहां उनकी फसलें बर्बाद होती हैं तो भारत पाक तनाव के कारण उन्हें घर बार छोडक़र अन्य स्थानों पर जाना पड़ता है। इसके अलावा भी उन्हें कई समस्याओं से जूंझना पड़ता है। विधायक ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि आबादकारों को भूमि का मालिक बनाया जाए। पंजाब के मख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने उन्हें विश्वास दिलाया है कि सरहदी क्षेत्र फाजिल्का की समस्याओं को दूर करने के लिए जल्दी ही फंड जारी किया जाएगा।


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मिसेज इंडिया महक महाजन नंदा सवेरा फाऊंडेशन और सुर संगम के प्रोग्राम में होंगी स्पैशल गैस्ट ऑफ ऑनर
-बी.एस.एफ. के कमांडैंट नरेश कुमार होंगे मुख्यातिथि, कार्ड किया रिलीज
-29 जुलाई को होगी एक शाम रफी के नाम

फाजिल्का, 27 जुलाई- सवेरा फाऊंडेशन फाजिल्का और सुर संगम फाजिल्का की ओर से सिटी ब्वाय म्यूजिकल ग्रुप जलालाबाद के सहयोग से फाजिल्का में 29 जुलाई को सुरों के सरताल मोहम्मद रफी को श्रद्धांजति अर्पित करने के लिए एक शाम रफी के नाम का आयोजन किया जाएगा। इस बारे में जानकारी देते हुए सवेरा फाऊंउेशन के सदस्य श्री अजय नागपाल ने बताया कि कार्यक्रम का आगाज 29 जुलाई रविवार को शाम 6 बजे आनंद पैलेस फाजिल्का में होगा। जिसमें मिसेज इंडिया श्रीमती महक महाजन नंदा बतौर स्पैशल गैस्ट ऑफ ऑनर शिरकत करेंगे।
जबकि कार्यक्रम में सीमा सुरक्षा बल की 96वीं बटालियन फाजिल्का के कमांडैंट श्री नरेश कुमार बतौर मुख्यातिथि पधारेंगे। इसके अलावा श्री केवल कृष्ण कामरा, श्री संजीव नागपाल, श्री अतुल नागपाल, स. परमजीत सिंह वैरड़, श्री नवदीप असीजा, श्री नरेश मित्तल, श्री राकेश नागपाल, डॉ. रमेश गुप्ता, डॉ. कविता सिंह एवं डॉ. एम.एम. सिंह, श्री मनीष शर्मा, श्री गुरचरन सिंह बाजेके, श्री मुकेश अंगी, श्री मनीष कटारिया, श्री बबलू आहूजा, श्री फतेह चंद बाघला, श्री अनिल झींझा, श्री अश्वनी बब्बर, श्री पवन भठेजा गैस्ट ऑफ ऑनर होंगे। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में प्रदूमण शर्मा, रोशन लाल वर्मा, श्याम सुंदर सोलंकी, अशीश जुनेजा, एडवोकेट राजेश कालड़ा, अशीश शर्मा, संदीप कुक्कड़, अनिल शर्मा, दीपिका नारंग, ऊर्वी सोलंकी, विपन जगा, संदीप कटारिया, दर्शन वर्मा, नील अरोड़ा, अनीरूध शर्मा, मन्नत ठकराल और कृषिव अपनी गले की आवाज का जादू बिखेरेंगे। वहीं बी.एस.एफ. के कमांडैंट श्री नरेश कुमार ने कार्यक्रम का कार्ड रिलीज किया।



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Jul 25, 2018

श्री गुरु नानक देव जी के चरणों से पवित्र हुआ फाजिल्का
ग्रामीणों को दिलाया राक्षस के अत्याचार से छुटकारा

        लोहे जैसा शरीर, बड़े-बड़े नाखून, हाथ, पैर और भयानक आंखों वाले राक्षस की दहशत से फाजिल्का तहसील (अब जिला) के दक्षिण की तरफ बसा गांव हरिपुरा के लोग सहमें हुए थे। राक्षस छह माह में कई बार गांव में आया और कई घरों को जलाकर राख कर गया। राक्षस के जुल्मों-सितम का शिकार ग्रामीण गांव छोडऩे को तैयार हो गए थे। मगर विश्व की महान शख्सियत श्री गुरू नानक देव जी राक्षस का उद्धार करने के लिए मथुरा, वृंदावन, गोकुल, रिवाड़ी, हिसार, सिरसा से होते हुए फाजिल्का तहसील के गांव हरिपुरा में पहुंच गए। (श्री गुरू नानक देव जी की प्रथम यात्रा 1497-1515 दौरान) बाला जी और मरदाना जी गुरू जी के साथ थे। गुरू जी गांव हरिपुरा में एक वृक्ष के नीचे बैठकर ईश्वर भक्ति में लीन हो गए। ग्रामीणों को गुरु जी के आगमन का पता चला तो उन्होंने गुरु जी के कदमों में शीश झुकाया और गुरू जी की सेवा में जुट गए। 


ग्रामीणों की सेवा से गुरु जी प्रसन्न हो उठे और उन्होंने कहा, बोलो भाई, आपको कोई तकलीफ तो नहीं ? ग्रामीण राक्षस की दहशत से परेशान थे। उनके निवास जल चुके थे। ग्रामीणों ने विकराल शरीर वाले राक्षस के बारे में बताया, महाराज, एक राक्षक छह महीने से उनके घर जला जाता है। ग्रामीणों की दर्द भरी दास्तान सुनने के बाद गुरु जी ने फरमाया कि तुम परमपिता परमात्मा के सिक्ख बनो, सत्नाम वाहेगुरू का जाप जपो, इसके बाद तुम्हारे घर नहीं जलेंगे और राक्षस भी तुम्हें तंग नहीं करेगा। 
ग्रामीण गुरू जी के चरणों में शीश झुकाकर बोले, महाराज, हम आपके सिक्ख बनेंगे, नाम जपेंगे। ग्रामीणों द्वारा ऐसे कहने की ही देरी थी कि विकराल रूप धारण किए राक्षस वहां आ धमका। राक्षसग्रामीणों पर बहुत क्रोधित हुआ। बड़े-बड़े दांत और हाथ में आग लिए ग्रामीणों को डराने-धमकाने लगा।
 ग्रामीण राक्षस के खौफ से सहम गए। गुरु जी की दृष्टि राक्षस पर पड़ी तो राक्षसएकदम नीचे गिर गया और काफी देर तक बेहोश पड़ा रहा। जब राक्षस की बेहोशी टूटी तो हाथ जोडक़र गुरु जी के चरणों में गिर गया और क्षमा करने की अपील करने लगा। राक्षस ने गुरू जी से झुककर कहा, महाराज, आप मेरे अपराध क्षमा कर दो, अब मैं किसी के घर को नहीं जलाऊँगा। किसी को तंग नहीं करूंगा। गुरु जी ने राक्षस को वचन के बाद क्षमादान दिया। अब राक्षस अपना उद्धार चाहता था। 
राक्षस ने फिर गुरू जी से निवेदन किया कि आप मुझे इस नश्वर जीवन से मुक्ति दें। गुरू जी ने फरमाया कि अगर तुम अपने हाथ से भक्तों को पानी पिलाने की सेवा करोगे तो तुम्हारे कष्ट कटेंगे और तुम्हारा कल्याण होगा। राक्षस ने बरसों तक वहां श्रद्धालुओं को पानी पिलाने की सेवा की और उसे राक्षस जीवन से मुक्ति मिल गई। भक्तजन गुरु जी के आगे हाथ जोडक़र खड़े हो गए। गुरु जी ने फरमाया कि भाई, यहां एक सुंदर धर्मशाला बनवाओ और यहां आने वाले प्रत्येक भक्त को लंगर छकाओ, सुबह-शाम सत्नाम वाहेगुरू का जाप करो, सच्ची किरत करो और वंड के छको। वाहेगुरू सब दुख-दर्द दूर करेगा। वरदान देने के बाद गुरु जी, बाला और मरदाना के साथ पाकपटन, दीपालपुर, चूनियां से होकर तलवंडी पहुंच गए।
 उसके बाद ग्रामीणों ने गांव हरिपुरा में गुरुद्वारा बडतीर्थ बनवाया। आज गुरुद्वारा की मान्यता दूर-दूर तक है। यहां वार्षिक भंडारे के दिन हजारों की तादाद में श्रद्धालु पहुंचकर शीश झुकाते हैं। लोगों में धार्मिक व सामाजिक चेतना जाग उठी। गुरु जी के पूज्नीय चरणों से सुशोभित गुरुद्वारा में कीर्तन-भजन के स्वर दिग-दिगंत पराग बनकर सुवासित हो रहे हैं। गुरु जी के पवित्र चरणों ने इस क्षेत्र से पाप और संताप का अंधेरा दूर कर दिया है। यही कारण है कि आज फाजिल्का व आसपास के क्षेत्र में सुख-शांति और सद्भाव की ठंडी बयार बह रही है।
गांव हरिपुरा में गुरु जी ने संगतों को वरदान दिया कि जो माई-भाई यहां दीप जलायेगा, अग्रबत्ती करेगा, झाड़ू लगाएगा और पानी पिलाने व अन्य सेवाओं में हाथ बटाऐगा, उसे परमगति प्राप्त होगी। गुरु जी के इस उपदेश पर विकराल रूपी राक्षस ने भी अमल किया और वर्षों तक श्रद्धालुओं को पानी पिलाने की सेवा की।

Fazilka, holy by the feet of Shri Guru Nanak Dev ji
Get rid of the tyranny of monsters brought to the villagers


     The people of Haripura, who lived on the south side of Fazilka tahsil (now the district), with the iron-like body, large nails, hands, feet and horror-eyed monsters, were involved. The monster came to the village several times in six months and burned many houses to ashes. The victims of the monsters of Jumam-Sepam got ready to leave the village village. But the great man of the world, Shri Guru Nanak Dev Ji reached Mathura, Vrindavan, Gokul, Rewadi, Hisar, Sirsa and Haripura, village of Phazilka tehsil, to save the demon. (During the first visit of Shri Guru Nanak Dev Ji to 1497-1515) Balaji and Mardana Ji were with Guru Ji. In Guruji village Haripura sat under a tree and God was absorbed in devotion. When the villagers came to know of Guru ji's arrival, they bowed down in the steps of Guru ji and got involved in the service of Guru ji. Guru Ji was pleased with the service of the villagers and he said, "Brother, do not you have any problem?" The villagers were troubled by the monster's panic. His residences were burnt. The villagers said about the monster with a wild body, Maharaj, a guard has been burning his house for six months. After listening to the painful story of the villagers, Guru ji insisted that you become a Sikh of Parampita, Japa of Satnam Vaheguru, after that your house will not burn and the monster will not even bother you. She said, in the foot of rural Guru ji, she bowed and said, Maharaj, we will become your Sikhs, we will name you. The villagers had to say that there was a delay in saying that the monsters holding a wild look come in there. The demons became very angry at the villagers The villagers began to threaten the big teeth and fire in the hands. The villagers agreed with the horror of the monster. If the sight of Guru ji fell on the monster, the monster suddenly fell down and remained unconscious for a long time. When the unconsciousness of the monster was broken, the hand couple fell at the feet of Guru ji and started appealing to forgive. The monster bowed down to Guru ji and said, Maharaj, forgive me my crime, now I will not burn anyone's house. Do not trouble anyone. Guruji gave a monster apology after the word. Now the monster wanted his salvation. The monster again requested Guru ji to save me from this mortal life. 
                       
Guruji insisted that if you serve the devotees by watering your devotees, then they will suffer you and your welfare will be. The monster served the devotees for drinking water for many years and got rid of monster life. The devotees stood in front of Guru ji. Guruji said, brother, make a beautiful shrine here and chant an anchor to each devotee who comes here, chant the Satnam Vaheguru in the morning and evening; Wahaguru will remove all pain and suffering. After giving the boon, Guru Ji, along with Bala and Mardana, Pakpattan, Dipalpur, through Chunni reached Talwandi. After that the villagers constructed the Gurudwara Badtirtha in the village Haripura. Today the recognition of the gurdwara is far and wide. Hundreds of thousands of people reach the devotees on the day of the annual bhadra and bow their heads. Religious and social consciousness arose among the people. In the gurudwara, the tunes of kirtan-bhajan are beautified by the digestive and polluted pollinants of the Guru. Holy steps of Guru ji have removed the darkness of sin and anger from this region. This is the reason that the cold breeze of happiness and peace and goodwill is blowing in the district and surrounding areas.
In Haripura village, Guruji boasted the accompaniment that my brother will burn the lamp here, he will proceed, plant a broom and give water and other services, he will get the maximum speed. On this sermon of guru, the monstrous monster also followed and served for watering devotees for years.
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Jul 24, 2018

कहाँ गुम हो गई फाजिल्का की यह महान कलाकार 
पीपल या बोहड़ के नीचे गाती थी दुक्की

फाजिल्का के उत्तर की तरफ 16 मील दूर गांव बग्घेकी के उत्तर की तरफ डोगर जाति और दक्षिण की तरफ गांव प्रभात सिंह वाला उर्फ सुभाज के  में जोईऑस जाति के लोगों का कबीला बसता था। इसके साथ ही गांव है प्रभात सिंह वाला (सुभाजके)। जहां गरीब परिवार के घर 1922 में एक बेटी ने जन्म लिया। जिसका नाम निशा रखा गया। मगर जल्द ही उसके मां-बाप की मौत हो गई। अनाथ बच्ची घरों से रोटी मांग कर अपना गुजारा करने लगी। भगवान ने उसे सुरीली आवाज दी। उसकी शैली, नखरा और अंदाज के साथ-साथ सुंदर नैन-नक्श भी दिए। जब वह घरों से मांगने के लिए जाती तो साथ ही कुछ गुणगुनाने लग जाती। बड़ी हुई तो उसकी आवाज और सुरीली होती गई। लोगों ने उसे दुक्की का नाम दिया। वह इस कदर गायिका बनी कि लोग उसकी आवाज के जादू से कायल हो जाते। उसने आसपास के क्षेत्र में प्रसिद्धी हासिल की, लेकिन एक तो गरीब और दूसरा जंगल जैसे गांव में रहने वाली बिन मां-बाप की बेटी दूर तक नहीं जा पाई। वह नाच-गाकर गुजारा करती। मगर गांव वाले उसे बहुत प्यार करते थे। ग्रामीणों को अपना मां-बाप ही समझती थी। छोटा कद और सांवले रंग की दुक्की के बारे में ग्रामीणों का कहना है कि उसकी शादी उसके चाचा के लडक़े के साथ की गई। अभी शादी को कुछ ही महीने हुए थे कि उसके पति की भी मौत हो गई।

              पहले वह मां-बाप के दुख में गाया करती थी तो अब पति के वियोग ने उसे दर्द भरे गीत गाने को मजबूर कर दिया। जब उसने गीत गाना तो गीत के साथ उसके नाच को देखकर भी लोग हैरान रह जाते। लोग उसे दुक्की या निशा कंजरी के नाम से पुकारते थे। उसकी आवाज इस कदर तेज थी कि जब उसका अखाड़ा लगता तो दूर तक जा रहे राहगीर भी रूक जाते। बग्घेकी गांव के गुरदित्त सिंह बताते हैं कि वह अधिकतर पीपल या बोहड़ के नीचे गाती थी। उनके गांव की चौपाल में पीपल का पेड़ था, जहां वह अक्सर गाया करती थी। उस का कोई गुरू पीर नहीं था, बस भगवान को आंखों में बसाकर गाती थी। उसके गीतों की रिकार्डिंग होती थी। जो घर-घर सुने जाते थे और परिवार में मिल बैठकर सुनने के योग्य थे। विवाह-शादी पर गांवों में आज भी जब स्पीकर वाले बुक किए जाते हैं तो लोग कहते है कि दुक्की के रिकॉर्ड (तवे) हों तो ले आना, नहीं तो न आना। वह अपने साथ एक सारंगी वाला और तबले वाला रखती थी। कान पर हाथ रखकर जब आवाज बुलन्द करती थी तो लोग मस्त हो जाते। १९४५ के आसपास उसके 25 से 30 तक गीत रिकॉर्ड हुए थे। मगर अब तो रिकॉर्ड इतने खराब हो चुके हैं कि उसके गीतों की समझ भी नहीं आती, मगर ग्रामीण समझ लेते हैं। रोंदी दे नैन चो गए, यह उसका प्रथम रिकॉर्ड है। दुक्की के रिकॉर्ड दोबारा नए छोटे तवों में 1970 में पाकिस्तान ने आज़ाज किए। एक रिकॉर्ड में ही आठ गाने थे जिसका नम्बर है।

              गांव के बुजुर्ग सरदार काला सिंह का कहना है कि मेरा जन्म हुआ तो रीतों पर दुक्की को बुलाया गया था। उस समय दुक्की ने जो गीत सुनाया उसके बोल थे। रूता ने फिरीयां, कई वन्जाने ने घुम्मे, घूक  चरखडिय़ां तेरे सांवे ने मुन्ने। वह बताते हैं कि  जब गांव में किसी लडक़ी की शादी होती तो वह अखाड़े में मिला पैसा उसकी शादी पर खर्च करती थी। एक बार नवाब ने अखाड़ा लगवाया तो इनाम के तौर पर दुक्की ने नवाब से कहा कि वह बग्घेकी उताड़ से हिठाड़ तक सडक़ बनवा दें। तब वह सडक़ बनाई गई। ग्रामीण बताते हैं कि इस गांव से 15 किलोमीटर दूर गांव अटारी के साथ मंडी हीरा है। वहा नवाब ने दुक्की का अखाड़ा लगवाया। जब अखाड़ा खत्म हुआ तो नवाब दुक्की पर बेईमान हो गया और उसे कैद कर लिया। किसी तरह दुक्की ने गांव में संदेश भेजा। जिसमें लिखा था कि मेरे गांव के लोगों, मैं भी तुम्हारी बेटी-बहन हूं। मुझे ले जाओ। गांव में पचांयत हुई और दुक्की को वापस लाने का फैसला लिया गया। गुरदित्त सिंह वड़वाल और सरदार इशर सिंह ने सतलुज दरिया पार किया और जोगी का भेष बनाकर नवाब की हवेली में पहुंच गए। वहां जोगियों की भाषा में उन्होंने दुक्की को बताया कि वह रात के वक्त आएंगे और चौबारे में रस्सा फैंक देंगे। आप नीचे आ जाना। रात हुई और वह इसमें कामयाब हो गए। मगर नवाब को इसका पता चल गया। उसने पीछे बदमाश भेजे मगर तब तक वह दरिया पार करने में कामयाब हो गए। तब दुक्की ने गीत गाया कि जंगली चीज़ा छुट्टिया, फे र कदी नहीं हत्थी आईया, नवांबा तेरी जेल चो, घुड़ के मेरीयां ले चले ने बाहयां। फिर भारत विभाजन हो गया और दुक्की के कहने पर ग्रामीण उसे दरिया पार तक छोड़ आए। मगर विभाजन के बाद दुक्की का कुछ पता नहीं चला।
photo Rajdeep
Where is this great artist of Fazilka lost
Dukki 
On the north side of Fazilka, 16 miles away from the Dogar race on the north side of the village Baghakei and the south side of the village Prabhat Singh, aka Subhaj, was inhabited by the tribe of Jioes. With this, the village is Prabhat Singh Vaala (Subhajke). Where the poor family's house was born in 1922 by a daughter. Named Nisha. But soon after the death of her parents. The orphan girl started pleading for her bread from the houses and demanded bread. God gave her a melodious voice. His style, flirtation and style, along with beautiful nan-map also. When he went to the houses to ask for something, he started to sing some virtues. If he grew up, his voice and melodiousness had gone. People named him Dukki. She became a singer so much that people would be convinced by the magic of her voice. He achieved popularity in the surrounding area, but the daughter of the father and father of one poor and the other living in a forest like this was not able to go far. He would dance and sing. But the villagers loved him very much. The villagers only considered their parents. The villagers say that they were married with their uncle's girls, about the small stature and sanyal dunki. It was just a few months since the marriage that her husband also died.

              Earlier, he used to sang in the misery of the parents, now the husband's disconnection forced him to sing a painful song. When he singing songs, people would be surprised to see his dance with the song. People used to call him Dukki or Nisha Kanjari. His voice was so sharp that when his akhara was seen, the passers-by going too far would stop. Gurditt Singh of Baggaike village explains that he sang mostly under Peepal or Bohr. There was a peepal tree in his village's choupal, where he often used to sing. There was no Guru of that person, just singing God in the eyes. His songs were recording. Those who were heard at home and were able to meet and meet in the family. Even when the speakers are booked in the villages on marriage and marriage, people say that if there are records of dukki, then do not bring it, otherwise it will not come. He used to be a Sarangi and Tabla with him. When keeping the hands on the ears, the voice started shouting, people would have been happy. There were recorded 25 to 30 songs from around 1945. But now the record is so bad that there is no understanding of his songs, but the villagers understand. Ronadi de Nain Chau, this is his first record. Dukki's record was revised by Pakistan in 1970 in the new small screen. There were only eight songs in a record whose numbers are numbered.
              The village's elderly Sardar Kala Singh says that when I was born, Dukki was called on the rituals. At that time, the song that Deekki had said was. Rutha ferries, many windies swim, the wheezing wheels, your snout He explains that when a girl was married in the village, she used to spend money in the arena on her wedding. Once the Nawab used the amphitheater, as a reward, Dukki told the Nawab that he would make the road from the carnage to Hithar by making the road. Then he made the road. Rural explains that Mandi diamond is 15 kms away from this village with village attic. There, the Nawab has used the Dakki's arena. When the arena ended, Nawab became dishonest and captured him. Somehow Dukki sent a message in the village. It was written that people of my village, I am your daughter-sister too. Take me It was decided in the village and it was decided to bring Dukki back. Gurditt Singh Wadwal and Sardar Ishar Singh crossed the Sutlej daraya and made Jogi's trace and reached the Nawab's mansion. In the language of the jogis, he told Dukki that he will come at night and will hang the rope in the four corners. You come down The night got over and he managed it. But the Nawab came to know about it. He sent a bad man behind him, but till then he managed to cross the river. Then Dukki sang that the wild things were taken from the holidays, feet and no hitti Iya, Navambhoba, your gel cho, the horses of horses, took the arms out. Then India split, and on the sayings of Dukki, the villagers left it till the river crossing. But after the partition, there was no known deuce.

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Jul 22, 2018



सतनाम कौर ने अन्य बेटियों के लिए भी उम्मीद का दरवाजा खोला: घुबाया
विधायक ने गांव दोना नानका में जाकर डॉक्टरी में दाखिला लेने वाली किसान की बेटी को किया सम्मानित

फाजिल्का -  भारत पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सरहद के निकट स्थित सतलुज दरिया के पार रहने वाले ग्रामीणों में से पहली बार किसी लडक़ी ने डॉक्टरी की पढ़ाई शुरू की है। इससे न सिर्फ जिला फाजिल्का का नाम रोशन हुआ है, बल्कि सरहद पर बसी बेटियों ने यह भी साबित कर दिया है कि सरहदी लड़कियां किसी से कम नहीं हैं। उक्त उदगार फाजिल्का के विधायक दविन्द्र सिंह घुबाया ने किया है। वह सरहदी गांव दोना नानका की रहने वाले किसान परिवार की बेटी सतनाम कौर को सम्मानित करने के लिए पहुंचे थे। इस मौके पर विधायक के मीडिया इंचार्ज बलकार सिंह सिद्धू, कार्यालय इंचार्ज हरबंस ङ्क्षसह, बलदेव सिंह भट्टी, देसा सिंह सरपंच, अध्यापक लवजीत सिंह, अध्यापक सुखदेव सिंह सहित भारी संख्या में कांग्रेस वर्कर और ग्रामीण मौजूद थे। छात्रा सतनाम कौर ने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव के ही सरकारी प्राइमरी स्कूल से हासिल की थी। इस दौरान पांचवीं कक्षा में सतनाम कौर ने 450 में से 446 अंक हासिल करके पंजाब में प्रथम स्थान पाया था। इसके बाद उसने बारहवीं की शिक्षा अकाल एकेडमी बड़ू साहिब से हासिल की और इस दौरान सतनाम कौर ने बिना किसी टयूशन से 93 प्रतिशत अंक हासिल किए। सतनाम कौर उर्फ संतो बाई का इस साल सी.ई.टी. में सिलैक्शन के साथ नीट क्लीयर हो गया। उसने रिजर्व कैटेगिरी में 72वां रैंक हासिल किया और गुरू अंगद देव वैटरनरी एंड एनीमल साईंस यूनिवर्सिटी में रिजर्व कैटेगिरी में 12वां रैंक हासिल करके जहां उसने अपने गांव की शान बढ़ाई, वहीं सरकारी स्कूलों की काबलियत पर शक्क करने वालों के भी मुंह पर भी करारा तमाचा मारा। अब छात्रा सतनाम कौर का वैटरनरी डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए दाखिला हुआ है। स. घुबाया के मीडिया इंचार्ज बलकार सिंह सिद्धू ने बताया कि इस दौरान विधायक घुबाया ने अपने संबोधन में कहा कि सरहद पर स्थित सतलुज दरिया के पार पहली बार किसी लडक़ी ने डाक्टरी की पढ़ाई शुरू की। उन्होंने कहा कि दरिया में बाढ़ हो या भारत पाकिस्तान में तनाव, सरहदी ग्रामीणों ने हमेशा उनका डटकर मुकाबला किया है। उन्होंने कहा कि छात्रा सतनाम कौर ने खुद सफल होकर जिला फाजिल्का की अन्य बेटियों के लिए उम्मीद का दरवाजा खोला है। 
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Jul 20, 2018

न किसानों को फसलों के लिए पानी मिला, न नशा रूका: अतुल नागपाल
अपराधी दे रहे हैं अपराध की नईं लहर को जन्म
Atul Nagpal 
फाजिल्का, 20 जुलाई:  कहीं किसानों को फसलों के लिए प्रयाप्त मात्रा में पानी नहीं मिल रहा तो कहीं युवा वर्ग नशे की दलदल में धंसकर मौत के मुंह में जा रहा है। इसके बावजूद सरकार आराम से सो रही है। उक्त उदगार आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता व पंजाब विधान सभा में विपक्ष दल के नेता के ओ.एस.डी. अतुल नागपाल ने प्रैस ब्यान में किया। उन्होंने कहा कि किसानों को फसलों के लिए नहरीं पानी न मिलने के कारण उनकी फसलों का नुकसान हो रहा है और इसके चलते किसानों का भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। 

जिस कारण किसान धरना लगाकर मरणव्रत पर बैठे हुए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की लापरवाही के कारण किसानों को अपनी भूमि बेचने के लिए फ्लैक्स तक लगाने पड़े।

वहीं राज्य भर में रोजाना नशे के कारण युवा मर रहे हैं। बीते दिन जिला फिरोजुपर में भी एक व्यक्ति की नशे के कारण मौत हो गई। इसके बावजूद सरकार खामोश है और न तो किसानों की सुनी जा रही है और न ही नशे को खत्म किया जा रहा है। जब कि पंजाब में कांग्रेस सरकार बनने से पहले कांग्रेस ने राज्य में नशा चार माह में खत्म करने का वायदा किया था। मगर अभी तक नशा खत्म करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। 
आप नेता श्री नागपाल ने कहा कि युवा पंजाब में हत्या, फिरौती के लिए अपहरण और बाकी कई तरह के गुनाहों में मुब्तिला हो रहे हैं। शोहरत और पैसे कमाने का ख्वाब देखने वाले युवाओं ने पंजाब में अपराध की नईं लहर को जन्म दिया है। अपराधी सरेआम अपनी पोस्ट और तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं। अपने हथियारों की ट्रॉफी की तरह नुमाइश करते हैं और अपराधों को उपलब्धि की तरह पेश करते हैं। श्री नागपाल ने कहा कि उनकी पोस्ट को हजारों लोग देखते हैं और पसंद भी करते हैं। मगर सरकार की नाक तले सब कुछ होने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे। जिस कारण पंजाब काफी पीछे पहुंच गया है। 

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Jul 19, 2018

A Painful Story 
........और गांव के जमींदार को लगा दी गई फांसी

         फाजिल्का के करीब चार किलोमीटर दूर है गांव गंजूआणा हस्ता यानि गंजू हस्ता। जहां हर समुदाय के लोग बड़े प्यार से रहते हैं, लेकिन अधिकांश आबादी कंबोज व राय सिक्ख बिरादरी से सबंधित हैं। भारत विभाजन से पहले यहां बोदला जाति के समुदाय का बोलबाला था। वे  जमींदार थे। इनमें एक जमींदार की दास्तान बड़ी अनोखी है। उस जमींदार में खासियत थी कि वह अवैध प्रेम से नफरत करता था। वह जमींदार था गुलाम नबी बोदला। जो घोड़े रखने का काफी शौकीन था, मगर शराब से उसे नफरत थी। सुबह घोड़े पर चढक़र घूमना और दिनभर खेत में गुजार देना उनकी दिनचर्या में शामिल था। गांव मेें उनकी एक बड़ी सुंदर हवेली थी जिसकी धूम आसपास के गांवों के अलावा अन्य शहरों में भी थी। एक बेटी तथा एक बेटे का पिता गुलाम नबी का सारा दिन हवेली के बाहर गुजरता था। हां, सुबह एक घंटा वह हवेली में जरूर रहता और लोगों की मुश्किलें सुनकर उनका समाधान करता। रोजाना कई लोग उसके पास फरियाद लेकर आते। जिनका निपटारा वह मौके पर ही कर देता। इस कारण उसकी चर्चा दूर-दूर के गांवों तक फैली हुई थी। लोग उसे सम्मान सहित अदब करते थे।

       एक रात जब गुलाम नबी हवेली में देर से लौटे तो उसके नौकर ने घोड़ा पकड़ा और तबेले में बांध दिया, लेकिन नौकर के चेहरे पर रोजाना की तरह मुस्कराहट नहीं थी। उसकी नजरें देखकर गुलाम नबी समझ गया कि कोई न कोई बात जरूर है। पूछने पर भी नौकर ने नहीं बताया। न बेटी के चेहरे पर मुस्कराहट और न ही बेटे के चेहरे पर शरारत। पत्नी अलग कमरे में शांत बैठी थी। गुलाम नबी ने सबका चेहरा पढ़ा, लेकिन हकीकत नही पढ़ पाया। बच्चों की मां की आंखों में भरा धोखा गुलाम नबी नही समझ पाए। आखिर बेटे ने मुंह खोला और बोल दिया कि वह अब मां के साथ नही रहेगा। उसे मां से सख्त नफरत हो गई। मगर ज्यादा बताने से साफ मना कर गया। समय बीतता गया। बेटा युवा अवस्था में पहुंच चुका था। रोजाना मां से नफरत भरी आंखों के चलते गुलाम नबी ने अपने बेटे और बेटी को अलग जगह दे दी, लेकिन वह अपने बेटे की जुबान का ताला नही खोल पाया। गांव में तरह-तरह के किस्से फैल चुके थे। एक दिन इस किस्से की हवा गुलाम नबी के कानों तक आ पहुंची, लेकिन उसे पत्नी पर पूरा भरोसा था। उसने पत्नी से पूछा, लेकिन पत्नी बताने वाली नहीं थी। जो लोग उसे अदब से सलाम करते थे, वह उससे दूर रहने लगे। लोग भी फरियाद लेकर आना बंद कर गए। जमींदार को अपमान महसूस होने लगा। मगर वह हकीकत को जाने कैसे ? इस गम को भूलाने के लिए उसने शराब का सहारा लिया। बात दूर-दूर तक पहुंच चुकी थी। गांव के नंबरदार विजय हांडा बताते हैं कि जमींदार शराब का आदि बन गया। जमींदार रोजाना घोड़े पर सवार होकर फाजिल्का आता और पीपल वाला चौंक के ठेके से शराब पीने लग जाता। एक रात हवेली में एक अजनबी को देखकर उसका शक यकीन में बदल गया। आंखों में गुस्से की लाली और चेहरे पर हकीकत को पत्नी तुरंत पहचान गई। मन में चोर था। इसलिए पत्नी ने जुबान नहीं खोली। अजनबी तो भाग गया, लेकिन शक से फैली नफरत की आंधी के कारण गुलाम नबी अपने गुस्से पर काबू नही पा सका। उसकी आँखों में खून उतर आया। गुलाम नबी हवेली के अंदर गया और तेजधार हथियार उठाकर पत्नी की तरफ दौड़ा। पलक झपकते ही उसने अन्य व्यक्ति से अवैध संबन्ध बनाने वाली पत्नी पर हथियार से वार करके हत्या कर दी। हत्या के बाद वह बेखौफ खड़ा रहा। थोड़ी देर सोचने के बाद उसने लाश को उठाया और तबेले में जाकर घोड़े पर रख दी। नौकर हादसा देखकर भाग गया। जमींदार घोड़े पर बैठा और लाश सहित चल पड़ा। घोड़ा आराम से चल रहा था। घोड़े पर रखी लाश से निकलती खून की बूंदें हॉर्स शू लेक तक गिरती गई, लेकिन जमींदार पर इसका कोई असर नहीं था। उसकी तो एक मात्र सोच थी कि जो अवैध सम्बन्ध बनाता है। उसे स्वर्ग में कभी जगह नही मिलती। भगवान उसे कभी माफ नही करता तो फिर इंसान होकर उसे माफ कैसे कर सकता है ? जो लोग उसे झुककर सलाम करते थे, वह लोग उसकी पत्नी के इश्क की चर्चा का मजा ले रहे थे। वह गुलाम नबी की सहनशक्ति से बाहर था। यही कारण था कि उसने पत्नी की हत्या कर दी। जिसका उसे जरा भी अफसोस नही था।
सूर्य उदय हो चुका था। किसी तरह ब्रिटिश पुलिस को हत्या की खबर मिल गई। पुलिस हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए गांव में पहुंच गई। जहां से उन्हें हत्या का सुराग मिला और उन्होंने जमींदार गुलाम नबी को गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे धकेल दिया। इसके बावजूद जमींदार के माथे पर कभी अफसोस नही आया। जेल में ही उसे फांसी की सजा की सूचना मिली। समय की घड़ी चलती गई। फांसी की तैयारियां शुरू हो गई। चेहरे पर काला कपड़ा लपेटकर गुलाम नबी को फांसी के रस्से के नजदीक लाया गया और उसकी अंतिम इच्छा पूछी गई, तब भी उसकी जुबान से एक शब्द निकला। वह शब्द था - अवैध संबंध बनाना पाप है। अल्हा उसे कभी पनाह नहीं देता जो स्त्री पति के होते हुए अन्य व्यक्ति से संबंध बनाती है। रस्सी को उसके गले में डाल दिया गया। पलक झपकते ही गुलाम नबी की लाश रस्सी से लटकती हुई नजर आई। बरसों तक गुलाम नबी के इस किस्से की कहानी माताएं अपनी बेटियों को सुनाती रही। इस कहानी के बाद कभी गांव में इश्क की चर्चा तक नही हुई। भारत विभाजन हुआ तो गुलाम नबी का बेटा-बेटी पाकिस्तान चले गए। पीछे से खाली रह गई एक बड़ी हवेली और गुलाम नबी की दर्द-भरी दास्तान। (Lachhman  Dost Fazilka)
........ and the landlord was hanged
         About 4 km away from Fazilka is the village Ganjuana Hasta urf Ganju Hasta. Where people of every community live with love, but most of the population is related to the Kamboj and Rai Sikh fraternity. Before the Partition of India, there was the domination of the Bodla caste community here. They were landlords. Among these, a landlady's story is very unique. There was a specialty in that landlady that he hated illegal love. He was the landlord Ghulam Nabi. Who was quite fond of keeping horse, but he was hated by alcohol. In the morning, walking around on horseback and passing in the field all day was involved in his daily routine. He had a huge beautiful mansion in the village whose Dhoom was also in other cities besides the surrounding villages. The father of a daughter and a son Ghulam Nabi passed all day outside the mansion. Yes, one hour in the morning he would stay in the mansion and he would solve them by listening to the problems of the people. Many people bring their complaints daily. He settled on the spot only. Because of this, his talk spread to far-flung villages. People used to respect him with respect.
       One night when Ghulam Nabi returned late in the mansion, his servant caught the horse and tied it in a stile, but there was no grin like the daily on the servant's face. Seeing his eyes, Ghulam Nabi understood that there is some thing to talk about. Even when asked, the servant did not tell. No grin on the face of the daughter nor mischief on the son's face. The wife was sitting in a different room. Ghulam Nabi read everything, but did not read the reality. In the eyes of the mother of the children, the deceitful slave did not understand the prophet. After all, the son opened his mouth and said that he will no longer be with the mother. He hated her mother. But it was clearly forbidden to tell more. Time passed by. The son had reached the young age. Because of the hateful eyes of the mother, Ghulam Nabi gave his son and daughter a separate place, but he could not open his son's tongue speech. Various types of stories were spread in the village. One day the wind of this story came to the ears of the prophet, but he had complete confidence in the wife. He asked the wife, but the wife was not about to tell. Those who greeted him with admiration, started living away from him. People also stopped coming for help. The landlord began to feel insulted. But how to know the reality? To get rid of this gum, he resorted to alcohol. The talk was far and wide. Namdhari Vijay Handa of the village explains that the landlord became the father of liquor. Landlord rides on a daily horse and comes to Fazilka and drinks with a peeping shock contractor. One night, seeing a stranger in the mansion turned his suspicion into doubt. The wife immediately recognized the rug of anger in the eyes and the reality on the face. There was a thief in mind. So the wife did not open the tongue. The stranger ran away, but due to the storm of hate spreading the doubt, the slave, Nabi could not control his anger. Blood was found in his eyes. Ghulam went inside the Nabi Haveli and raised sharp weapons and ran towards the wife. As soon as the blink started, he murdered the unlawful wife with a weapon and murdered another person. After the murder, she stood uneasy. After thinking for a while, he picked up the corpse and went to the stables and put it on a horse. The servant ran away after seeing the accident. The landlord sat on the horse and went along with the corpse. The horse was running comfortably. The drops of blood coming out from the body lying on the horse fell to the horse shoe lake, but there was no effect on the landlord. He was the only one who made an illegal connection. She never gets a place in heaven. God never forgives him, how can he forgive and forgive him? People who bowed to him bowing down, they were enjoying the discussion of his wife's love. He was out of the stamina of the slave prophet. This was the reason that he murdered his wife. He had no regrets.
The sun had risen. In some way the British police got the news of the murder. The police reached the village to solve the murder of the killings. From where he got a clue of murder and he arrested Jamindar Ghulam Nabi and pushed him behind the prison bars. Despite this, the landlord has never regretted the forehead. In prison he was reported to be hanged. The clock of time went on. The hanging preparations have begun. By wrapping black cloth on face, Ghulam Nabi was brought near the hanging rope and his last wish was asked, even then a word came out of his tongue. That was the word - making illegal relations is sin. Alha never gives her shelter, which makes her husband relate to another person while being a husband. The rope was thrown in his throat. As soon as the blinking moment, the plight of Ghulam Nabi was seen hanging from the rope. For many years, the story of this slave of the slave Nabi kept telling her daughters. After this story, there was no discussion of Ishq in the village. When India split, Ghulam Nabi's son-daughter went to Pakistan. A big mansion left behind and a painful story of Ghulam Nabi.


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Jul 18, 2018

सारी रात तेरा तकदी आं राह . . . . की गायिका पुप्षा हंस


 भारत विभाजन से पहले पुराना अबोहरी रोड पर मार्केट कमेटी थी। उसके साथ ही फौजदारी केसों के प्रसिद्ध वकील रतन लाल कपूर का घर था। जनक रानी की कोख से एक बेटी ने 30 नवंबर 1917 (कुछ लोग 17 नंवबर 1927 बताते हैं) को जन्म लिया। बच्ची का नाम पुष्पा रखा गया। परिजनों ने उसे फाजिल्का से प्राइमरी शिक्षा दिलाई। यह वही पुष्पा है, जो बड़ी होकर पुष्पा हंस के नाम से प्रसिद्ध हुई और अपनी सुरीली आवाज के जरिए फाजिल्का का नाम देश विदेश में रोशन किया। पुष्पा हंस की शादी 1948 में कर्नल हंस राज चौपड़ा से हुई। इस बीच वह फिल्मों में काम करती रही, लेकिन उनका तबादला दिल्ली हो जाने के कारण वह फिल्मों में काम करना छोड़ गई। मगर उन्होंने अपनी पहचान को कायम रखा और 1989 और 1982 में उन्हे वेस्ट सिंगर अवॉर्ड के अलावा 26 जनवरी 2007 को राष्ट्रपति ने उन्हें पद्मश्री अवॉर्ड से नवाजा। इसी वर्ष पंजाब अकेडमी दिल्ली की ओर से पंजाबी भूषण अवॉर्ड और 2007 में ही दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की ओर से लाइफ टाइम अचीवमेंट कल्पना चावला एक्सीलेंस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। दिल्ली में लंबी बीमारी के बाद फाजिल्का की पुष्पा हंस  8 दिसंबर 2011 को संसार को सदा के लिए अलविदा कह गई। 

    बचपन में ही उसे गुनगुनाने का शौंक था, लेकिन उसके पिता को अच्छा नहीं लगता था। मगर पुष्पा के नाना पंडित विष्णू दिगंबर पालूस्कर संगीत के शौकीन थे। वह पुष्पा से कुछ न कुछ सुनते रहते। उन्होंने रतन लाल कपूर को समझाया। एक दिन संगीत शास्त्री पंडित ओंकार नाथ उनके घर आए और पुष्पा को कुछ सुनाने के लिए कहा। पुष्पा ने उन्हें ऐसा गीत सुनाया कि पंडित ओंकार नाथ उनकी आवाज के कायल हो गए। उन्होंने भी वकील कपूर को समझाया और वकील कपूर ने हां कर दी। इसके बाद लाहौर यूनिवर्सिटी से उन्होंने संगीत की बेचूलर डिग्री हासिल की। वहीं उसने संगीत शास्त्री पंडित ओंकार नाथ शास्त्री, किरण घराने की सरस्वती बाई, उस्ताद चंद्रकांत और विनायक राए पटवर्धन से करीब 10 साल संगीत की शिक्षा हासिल की। उन्होंने अपनी गायकी का दौर 1942 में लाहौर रेडियो स्टेशन से शुरू किया। उस समय वहां गायक श्याम सुंदर, शमशाद, तसंचा जान बेगम और उमराव जिया खान भी मौजूद थे। इस दौरान ही उन्होंने शिव कुमार बटालवी के दर्द भरे नगमों को लेकर पन्ना लाल के संगीत के तहत फिलिप्स कंपनी द्वारा प्रथम एलबम शिव कुमार बटालवी के गीत टाइटल को अपनी सुरीली आवाज का लिबास दिया। जिसकी बटालवी ने भी सराहना की। भारत सरकार की ओर से इसकी लता मंगेश्कर और आशा भोंसले के साथ डाकूमेंटरी भी तैयार की गई। 

    पुष्पा हंस ने 1948 में विनोद के संगीत में पंजाबी फिल्म चमन में बतौर पार्शव गायिका अपनी पहचान बनाई। इसमें उसका कुलदीप कौर पर फिल्माया गया गाना सारी रात तेरा तकदी आ राह था जो पंजाबी फिल्म संगीत का क्लासिक है। इस गीत के जरिए पुष्पा हंस रातो रात बुलंदियों के शिखर पर पहुंच गई। एक दिन राज कमल स्टूडियों के मालिक शांता राम पुष्पा हंस के घर आए और पहले उसके गीत सुने। बाद में उसकी तस्वीरें ली और चले गए। दूसरे दिन वह फिर घर आए और उन्होंने पुष्पा हंस को फिल्म अपना देश के लिए बतौर हेरोइन बनने का न्यौता दिया। फिल्म प्रोड्यूसर व डायरेक्टर सोहराब मोदी की 1950 की फिल्म शीश महल और रोशन लाल मल्होत्रा की फिल्म काले बादल में भी पुष्पा हंस बतौर हेरोइन आई। पुष्पा हंस ने सुनील दत्त की अजंता आर्टस मंडली के साथ मिलकर सरहदी क्षेत्र में बंकरों पर डटे सैनिक जवानों के लिए कई प्रोग्राम पेश किए। पुष्पा हंस 17 साल दि ईवस वीकली की संपादक रही। बी.आर.चौपड़ा की फिल्म एक शोला और जी.पी.सिप्पी की फिल्म शहंशाह में भी पुष्पा हंस से बतौर हेरोइन एग्रीमेंट किया गया, लेकिन परिवार सहित रांची चले जाने के कारण यह फिल्म नहीं हो पाई। बाद में एक शोला (1956) में माला सिन्हा और शहंशाह में शमशाद बेगम को शामिल किया गया। पुष्पा हंस ने दो हजार से भी अधिक गीत गाए। 1979-80 में वह आशा सिंह मस्ताना के साथ कनेडा गई और वहां कुलदीप दीपक के साथ दोगाना हो गया कुवेला रिकॉर्ड करवाया। इसके अलावा उन्होंने निजामूद्दीन ओलिया और अमीर खुसरो पर आधारित डाकूमेंटरी मूवीज में भी अहम योगदान दिया। इसके अलावा पुष्पा हंस ने काबुल, बैंकार, लंदन कनेड़ा, अमरीका, फ्रांस, सिंघापुर, जर्मनी, आबूधाबी और दुबई आदि देशो में पंजाब भाषा और पंजाबी साहित्य को एक अलग पहचान दी। 
-Lachhman Dost Fazilka-

Singer Pushpa Hans
India was a market committee on Old Abohar Road before Partition. Along with that, the house of renowned lawyer Rattan Lal Kapoor was the home of the criminal case. A daughter from Janak Rani's koÕh was born on November 30, 1917 (some people say 17 November 1927). The baby girl was named Pushpa. The family received primary education from Fazilka. This is the same Pushpa, which has grown to become popular by the name of Pushpa Hans and illuminated Fazilka's name abroad in the country abroad through its melodious voice. Pushpa Hans was married to Col. Hans Raj Chaupada in 1948. Meanwhile, she continued to work in films, but due to her transfer to Delhi, she stopped working in films. But he maintained his identity and in 1989 and 1982, besides the West Singer Award, on 26 January 2007, the President received him the Padma Shri award. This year, Punjab Bhushan Award from Punjab Academy Delhi and in 2007 only Delhi Chief Minister Sheila Dikshit has been awarded the Kalpana Chawla Excellence Award for Life Time Achievement. After a long illness in Delhi, Pushpa Swan of Fazilka was saying goodbye to the world on December 8, 2011.
    In his childhood, he used to joke, but his father did not like it. But Pushpa's grandson Pandit Vishnu Digambar Paluskar was fond of music. He kept listening to something from Pushpa. He explained to Rattan Lal Kapoor. One day the musicologist Pandit Omkar Nath came to his house and asked Pushpa to recite something. Pushpa narrated him a song that Pandit Omkar Nath was convinced of his voice. He also explained to the lawyer Kapoor and the lawyer Kapoor gave him yes. After this he got a good degree of music from Lahore University. At the same time, he got music education from music scholar Pandit Omkar Nath Shastri, Kiran Bharani's Saraswati Bai, Ustad Chandrakant and Vinayak Rai Patwardhan for almost 10 years. He started his singing career in 1942 from the Lahore Radio Station. At that time there were singers Shyam Sunder, Shamshad, Tascha Jan Begum and Umrao Jia Khan. During this time, under the music of Panna Lal, he gave the poem titled Shiv Kumar Batalvi's song titled his tuneful voice under the music of Shiv Kumar Batalvi's pain-filled towns. Whose battalivi also lauded. It has also been prepared by the Government of India with Lata Mangeshkar and Asha Bhosle.
    In 1948, Pushpa Hans made her debut as a veteran singer in the Punjabi film Chaman in the music of Vinod. In it, the song filmed on Kuldeep Kaur was a nightmare that was a classic of Punjabi film music. Through this song, Pushpa Swan reached the summit of the night sky. One day, the owner of Raj Kamal Studios Shanta Rama Pushpa came to Hans's house and listened to her earlier. Later he took his photographs and went away. On the second day he came back home and invited Pushpa Hans to become the heroin for his country. Film producer and director Sohrab Modi's 1950 film Sheesh Mahal and Roshan Lal Malhotra's film, in the film Black Cloud, Pushpa Hans was heroin as well. Pushpa Hans, along with Sunil Dutt's Ajanta Arts Council, presented several programs for the soldiers who were camping bunkers in the border area. Pushpa Hans was 17 years editor of The Evil Weekly. There was a heroin agreement with Pushpa Hans in the film of Shilla and G.P. Sippy in Shahenshah, but the film did not get due to Ranchi with the family. Later in Shola (1956) Shamshad Begum was included in Mala Sinha and Shahanshah. Pushpa Hans sang more than two thousand songs In 1979-80, he went to Kanada with Asha Singh Mastana and recorded a queval record doubled with Kuldeep Deepak. Apart from this, he also made important contributions in the post-retirement films based on Nizamuddin Oliya and Amir Khusro. Apart from this, Pushpa Hans has given a distinct identity to Punjabi language and Punjabi literature in Kabul, Bankar, London, Kanada, USA, France, Singapur, Germany, Abu Dhabi and Dubai etc.

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Jul 17, 2018

समस्याओं को दूर करवाने के लिए डी.सी. से मिलेंगे: अतुल नागपाल
विपक्षी दल के नेता के जरिए विधान सभा में उठवाएंगे मुद्दे
नईं आबादी के बाशिंदों ने आप नेता अतुल नागपाल को निमंत्रण देकर बताई समस्याएं
                                   
                                 
 फाजिल्का, 17 जुलाई: अबोहर का मुहल्ला नईं आबादी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। इस मौहल्ले में किसी भी सरकार ने सुविधाएं उपलब्ध नहीं करवाई। जिस कारण यहां परेशानी का आलम है। यह समस्याएं मौहल्ले के लोगों ने आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता व पंजाब विधान सभा में विपक्षी दल के नेता के ओ. एस. डी. अतुल नागपाल से कहे। श्री नागपाल वहां लोगों के आमंत्रण पर उनकी समस्याएं सुनने के लिए पहुंचे थे। इस मौके पर लोगों ने श्री नागपाल को बताया कि मौहल्ले में न तो पूरी बिजली सप्लाई मिल रही है और न ही प्रयाप्त मात्रा में पीने का स्वच्छ पानी। बिजली के बार बार लग रहे कटों से गर्मी में जीना मुहाल हो गया है। वहीं खड़े दूषित पानी में मच्छरों की भरमार है और इन मच्छरों के कारण लोग रात के वक्त भी चैन की नीद नहीं ले सकते। भारी संख्या में पहुंचे लोगों ने श्री नागपाल से बताया कि मौहल्ले की समस्याओं से उनका जीना दुर्भर है। श्री नागपाल ने उनकी समस्याओं को सुना और कहा कि वह मौहल्ले के लोगों की समस्याओं को दूर करवाने के लिए जिला फाजिल्का के डिप्टी कमिशनर से भेंट करेंगे। उन्होंने कहा कि समस्याओं के सबंध में वह पंजाब विधान सभा में विपक्षी दल के नेता स. सुखपाल सिंह खैहरा से भी बात करेंगे और उन्हें अबोहर स्थित उक्त मौहल्ले में लाकर लोगों को पेश आ रही समस्याओं से अवगत करवाएंगे ताकि स. खैहरा उनके वार्ड और पूरे जिला फाजिल्का की समस्याओं को विधान सभा में जोरढ़ंग से उठा सकें। इस मौके पर अजय नागपाल, आम आदमी पार्टी के युवा नेता सागर झांब, आप के वरिष्ठ नेता परमजीत सिंह, मोन्टी, सीनियन नेता विजय, डॉ. विजय मुटनेता, चेतन और पवन आदि साहित आम आदमी पार्टी के वालंटियर व मौहल्ले के बाशिंदे भारी संख्या में मौजूद रहे।      
                                                                                                                                                              D.C. to get rid of problems Meet - Atul Nagpal
Issues raised in the Legislative Assembly through Leader of Opposition party
Problems told to Atul Nagpal, the leader of the new population
Fazilka, 17 July :   The new district of Abohar is deprived of the basic amenities. No government has provided facilities in this mohalla. The reason here is the problem of trouble. These problems are the people of Mohalla, a senior leader of the Aam Aadmi Party and a leader of opposition party in the Punjab Legislative Assembly. O.S.D. Atul Nagpal said. Shri Nagpal arrived at the invitation of the people to hear their problems. On this occasion, the people told Shri Nagpal that neither the full power supply is available in the Mohalla nor the clean drinking water in the adequate quantity. It has been difficult to live in heat with repeated cuts of electricity. At the same time there is a lot of mosquitoes filled in contaminated water and due to these mosquitoes, people can not sleep peace even during the night. A large number of people reached Sri Nagpal, told them that his life was difficult with the problems of Mohali. Shri Nagpal heard his problems and said that he would meet the deputy commissioner of District Fazilka to get rid of the problems of the people of Mohali. He said that in view of the problems, he was the leader of opposition party in the Punjab Legislative Assembly. Talk to Sukhpal Singh Khaira and bring him to the aforementioned Mohalla located in Abohar, so that he will know about the problems faced by the people. Khaira could raise the problems of his ward and entire district phazila in the Legislative Assembly. On this occasion Ajay Nagpal, Aam Aadmi Party's youth leader Sagar Jhamb, Paramjeet Singh, Monti, senior leader Vijay, Dr. Vijay Mutate, Chetan and Pawan, the senior leaders of Aam Aadmi Party's Volunteer and Mohalla, Be present
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Jul 16, 2018

गुरू पीरों की पवित्र धरती है फाजिल्का: विधायक घुबायापीर बाबा नौ गज्ज की मजार पर चढ़ाई चादर


फाजिल्का, 16 जुलाई: फाजिल्का हलके के विधायक दविन्द्र सिंह घुबाया ने सरहदी गांव पक्का चिश्ती में पीर बाबा नौ गज्ज की मजार पर आयोजित मेले में चादर चढ़ाई और पीर का आशीर्वाद लिया। इस मौके पर उनके साथ उनके मीडिया इंचार्ज बलकार सिंह सिद्धू, सुरिन्द्र पाल सिंह छिन्दा, बलदेव सिंह, मक्खण सिंह पी.ए., हरबंस सिंह कार्यालय इंचार्ज, हरकृष्ण नंबरदार बेरीवाला, डॉ. संतोख सिंह और तरसेम सिंह आदि सहित भारी संख्या में कांग्रेस के युवा वर्कर भी मौजूद रहे। इस बारे में जानकारी देते हुए विधायक स. घुबाया के मीडिया इंचार्ज बलकार सिंह सिद्धू ने कहा कि इस दौरान विधायक स. दविन्द्र सिंह घुबाया ने कहा कि फाजिल्का की पवित्र धरती गुरू पीरों की धरती है। यहां के लोग गुरूओं और पीरों की शिक्षाओं पर चलती है। इसके बाद उन्होंने ग्रामीणों की समस्याएं भी सुनी और उनमें कई समस्याओं का मौके पर निपटारा किया, जबकि कई समस्याओं को दूर करने के लिए उन्होंने अधिकारियों को आदेश दिया। 


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जिला परिषद, ब्लाक समिति और पंचायत चुनावों की तैयारी में जुट जाएं आप वालंटियर: अतुल नागपाल
आम आदमी पार्टी की नीतियां घर घर पहुंचाने का आह्वान

          फाजिल्का, 16 जुलाई: 
आने वाले जिला परिषद, ब्लाक समिति और पंचायत चुनावों को लेकर आम आदमी पार्टी ने कमर कस ली है। इन चुनावों को लेकर अबोहर विधान सभा हलके में बैठकों को सिलसिला लगातारी जारी है। लगातार हो रही इन बैठकों में वालंटियरों को आम आदमी पार्टी की नीतियों को घर घर पहुंचाने का आह्वान किया जा रहा है। इस सबंध में अबोहर के आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता परमजीत सिंह के निवास स्थान पर आम आदमी पार्टी की एक बैठक की गई। जिसमें आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता व पंजाब विधान सभा में विपक्षी दल के नेता के ओ.एस.डी. अतुल नागपाल ने विशेष तौर पर शिरकत की। बैठक में श्री नागपाल ने पंजाब भर में होने वाले जिला परिषद, ब्लाक समिति और पंचायत चुनावों के बारे में जानकारी दी और वालंटियरों को इन चुनावों की तैयारी में जुट जाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पंजाब के लोगों का रूझान आम आदमी पार्टी की तरफ लगातार बढ़ रहा है और पंजाब में आम आदमी पार्टी ही लोगों के लिए विकास और उन्नति की उम्मीद की किरण है। उन्होंने वालंटियरों की डयूटी लगाई और कहा कि आम आदमी पार्टी की कल्याणकारी नीतियों को घर घर पहुंचाया जाए। इस मौके पर श्री नागपाल ने कहा कि पंजाब के युवाओं को नशे ने घेर लिया है और नशे के खिलाफ विभिन्न संगठनों द्वारा चलाए गए अभियान की वह सराहना करते हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब में कांग्र्रेस और अकाली भाजपा का आधार काफी गिरा है, जबकि आम आदमी पार्टी का आधार लगातार बढ़ रहा है। इस मौके पर अजय नागपाल, आम आदमी पार्टी के युवा नेता सागर झांब, आप के वरिष्ठ नेता परमजीत सिंह, मोन्टी, सीनियन नेता विजय, डॉ. विजय मुटनेता, चेतन और पवन आदि मौजूद थे। 

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